दक्षिण भारत में भाजपा के गठबंधन प्रयासों को पहला धक्का

Edited By ,Updated: 13 Jan, 2019 03:23 AM

first push to bjp s coalition efforts in south india

भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के चुनाव में तमिलनाडु में पी.एम.के. और एम.डी.एम.के. सहित 5 छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया था और 39 में से एक सीट पर पार्टी ने तथा दूसरी पर पी.एम.के. ने जीत दर्ज की थी परंतु बाद में पांचों दलों ने भाजपा से...

भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के चुनाव में तमिलनाडु में पी.एम.के. और एम.डी.एम.के. सहित 5 छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया था और 39 में से एक सीट पर पार्टी ने तथा दूसरी पर पी.एम.के. ने जीत दर्ज की थी परंतु बाद में पांचों दलों ने भाजपा से रिश्ते तोड़ लिए थे। 

इस समय जहां एक ओर लोकसभा के अलावा 6 राज्यों के आने वाले चुनावों से ठीक पहले भाजपा के अनेक गठबंधन सहयोगी इससे नाराज चल रहे हैं और दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा एवं अन्य राज्यों में कांग्रेस तथा दूसरे विरोधी दलों में भाजपा का मुकाबला करने के लिए होने वाले गठबंधन से भाजपा को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। 

दूसरी ओर जहां भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने महाराष्ट्र में अपने नेताओं को नाराज शिव सेना के विरुद्ध उकसाहट भरी बातें न कहने की नसीहत दी है वहीं उन्होंने दक्षिण भारत में गठबंधन सहयोगियों की तलाश शुरू कर रखी है। इसके साथ ही वह विभिन्न वर्गों के वोट प्राप्त करने के लिए दूसरे दलों के नाराज नेताओं को पार्टी में शामिल करने के प्रयास भी कर रहे हैं। चुनावों को देखते हुए ही अमित शाह ने पार्टी के बड़े नेताओं अरुण जेतली, राजनाथ सिंह आदि को पांच दक्षिण भारतीय राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और कर्नाटक पर फोकस करने के लिए कहा है। इसी पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जनवरी को तमिलनाडु में पांच जिलों के बूथ स्तरीय कार्यकत्र्ताओं को वीडियो कांफ्रैंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए 90 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू की गई सफल गठबंधन राजनीति का उल्लेख किया है। 

साथ ही नरेंद्र मोदी ने नए गठबंधन सहयोगी बनाने और पुराने गठबंधन सहयोगियों से दोस्ती निभाने का भी उचित संकेत दिया है। एक कार्यकत्र्ता के यह पूछने पर कि क्या भाजपा दक्षिण भारत में अन्नाद्रमुक या अभिनेता से नेता बने रजनीकांत के साथ गठबंधन करेगी, उन्होंने कहा : ‘‘भाजपा के दरवाजे हमेशा खुले हैं। 20 वर्ष पूर्व हमारे दूरदर्शी नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति में नई संस्कृति लाए थे जो सफल गठबंधन राजनीति की संस्कृति थी। उन्होंने क्षेत्रीय आकांक्षाओं को सर्वाधिक महत्व दिया। अटल जी ने जो रास्ता दिखाया था, भाजपा उसी पर चल रही है।’’ 

पांच दशक तक कांग्रेस के निकट रही द्रमुक के भाजपा के साथ कभी भी वैचारिक संबंध नहीं बन सके। हालांकि 1999 के चुनाव के पहले दोनों एक-दूसरे के निकट आए थे लेकिन 2004 के चुनाव से ठीक पहले दोनों अलग हो गए थे और तब से ही दोनों के बीच दूरी बनी हुई है। जहां भाजपा से गठबंधन के मामले में अन्नाद्रमुक अनिश्चय की स्थिति में है वहीं नरेंद्र मोदी के उक्त बयान पर तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता और द्रमुक के अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। एम.के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के जवाब में कहा है कि ‘‘द्रमुक अब कभी भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेगी और नरेंद्र मोदी वाजपेयी नहीं हैं। उनके नेतृत्व में गठबंधन अच्छा नहीं है और यह बात आश्चर्यजनक तथा हास्यास्पद है कि वह खुद अपनी तुलना पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी से कर रहे हैं।’’ 

स्टालिन के अनुसार, ‘‘लोग यह नहीं भूलेंगे कि नरेंद्र मोदी के शासन में ही तमिलनाडु के अधिकार छीने गए जो इससे पूर्व कभी नहीं हुआ था। मोदी ने भारत की एकता मजबूत करने के लिए कुछ नहीं किया तथा उन्होंने धर्म निरपेक्षता, सामाजिक न्याय और संघवाद के मूल्यों की उपेक्षा की।’’ श्री वाजपेयी को स्वस्थ गठबंधन बनाने का श्रेय देते हुए उन्होंने कहा कि, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में ऐसा नहीं है।’’ उन्होंने देश में विभिन्न विचारधाराओं (pluralism) की रक्षा न करने का भी मोदी पर दोषारोपण किया। गठबंधन सहयोगियों का दायरा बढ़ाने के लिए अमित शाह और नरेंद्र मोदी के प्रयास अच्छे हैं तथा उनके द्वारा श्री वाजपेयी के रास्ते पर चलते हुए दूसरे दलों के लिए पार्टी के दरवाजे खुले रखने की सोच प्रशंसनीय है, परंतु इसमें उन्हें कितनी सफलता मिलती है यह समय के गर्भ में है।—विजय कुमार 

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