वोटों के लिए तमिलनाडु में ‘नोटों और शराब की बारिश’

Edited By ,Updated: 15 May, 2016 02:10 AM

for votes in tamil nadu notes and alcohol rain

इस वर्ष होने वाले 5 राज्यों के चुनावों में से असम तथा बंगाल में मतदान हो चुका है, शेष 3 राज्यों तमिलनाडु, केरल व पुड्डुचेरी (केंद्र शासित क्षेत्र)

इस वर्ष होने वाले 5 राज्यों के चुनावों में से असम तथा बंगाल में मतदान हो चुका है, शेष 3 राज्यों तमिलनाडु, केरल व पुड्डुचेरी (केंद्र शासित क्षेत्र) में सोमवार 16 मई को मतदान होने में मात्र एक दिन रह गया है। 

 
अपने 13 मई के संपादकीय ‘5 राज्यों के चुनाव के अंतिम चरण की चंद रोचक दिलचस्पियां’ में हमने इन चुनावों के अंतिम दौर की कुछ खास बातों का उल्लेख किया था पर उसके बाद भी तमिलनाडु के चुनावों के संबंध में कुछ दिलचस्प रहस्योद्घाटन हुए हैं :
 
राज्य के 234 निर्वाचन क्षेत्रों में इस बार शराब व अन्य उपहारों को जब्त करने के लिए छापेमारी के अलावा नकद राशि बरामद करने पर भी ज्यादा ध्यान दिया गया जिसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं।
 
तमिलनाडु में आचार संहिता लागू होने के बाद से 12 मई तक विभिन्न उम्मीदवारों द्वारा मतदाताओं के वोट खरीदने के लिए रखी गई 100 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध राशि बरामद हो चुकी है जो एक रिकार्ड है।
 
तमिलनाडु में हाल ही में छापों के दौरान द्रमुक के एक पूर्व मंत्री और शराब कारखाने के मालिक के घर से 3.58 करोड़ रुपए तथा एक अन्य द्रमुक उम्मीदवार के निवास स्थान से 2 करोड़ रुपए की राशि बरामद की गई। 
 
इससे पूर्व अन्नाद्रमुक के एक मंत्री के नजदीकी व्यापारी के चेन्नई स्थित निवास से 4.87 करोड़ रुपए नकद बरामद करने के अलावा चेन्नई के निकटवर्ती ‘एगमोर’ स्थित एक फ्लैट से 3 करोड़ रुपए नकद जब्त किए गए। चर्चा यह भी है कि तमिलनाडु में रात को बिजली गुल होने के दौरान पैसे बांटे जाते थे ताकि इसका स्टिंग न किया जा सके। 
 
एक दिलचस्प बात यह भी है कि इन चुनावों में एक ओर तो लगभग सभी दल किसी न किसी रूप में अपने-अपने राज्यों में शराब बंदी करने के वादे करते रहे और दूसरी ओर मतदाताओं में बांटने के लिए अन्य उपहारों तथा नशीले पदार्थों के अलावा शराब की तो झड़ी ही लगा दी। 
 
यही कारण है कि अकेले तमिलनाडु में 70 करोड़ रुपए मूल्य की अन्य वस्तुएं जब्त की गई हैं जिनमें हजारों लीटर शराब के अलावा गांजा, सोना, चांदी आदि शामिल हैं। अब तो इसमें और कई चीजें भी जुड़ गई हैं। सत्ताधारी अन्नाद्रमुक तथा अन्य दलों द्वारा अपने उम्मीदवारों को जिताने के लिए मतदाताओं को पैट्रोल तक दिया गया। 
 
चेन्नई में एक युवक गत दिवस एक पैट्रोल पंप पर 100 रुपए का पैट्रोल भरवाने गया लेकिन जब 100 रुपए से भी ऊपर का पैट्रोल डाला जा चुका तो उसने पैट्रोल पंप कर्मचारी को टोकते हुए कहा कि उसके पास तो 100 रुपए ही हैं लेकिन कर्मचारी ने उसकी बात अनसुनी करते हुए उसके बाइक की टंकी में 500 रुपए का पैट्रोल भर दिया और फिर बोला, ‘‘यह अन्नाद्रमुक की ओर से आपके लिए एक तोहफा है। बस इसके बदले में आप पार्टी के उम्मीदवार को वोट डाल दीजिएगा।’’
 
कुछ स्थानों पर पैट्रोल पंप वाले लोगों को ‘पैट्रोल कार्ड’ बांट रहे हैं तथा इसके बदले में उनसे किसी विशेष राजनीतिक दल के लिए वोट डालने का अनुरोध कर रहे हैं। हाल ही में चुनाव आयोग के उडऩ दस्ते ने चेन्नई में एक पैट्रोल पंप पर छापा मारने के बाद उसे सील भी कर दिया था क्योंकि वहां एक अन्नाद्रमुक प्रत्याशी के दिए हुए टोकन के बदले में लोगों के वाहनों में पैट्रोल भरा जा रहा था।  
 
चुनाव प्रचार के दौरान नकद राशि, विभिन्न प्रकार के उपहारों, शराब और अन्य नशों का बांटा जाना इस तथ्य का स्पष्टï प्रमाण है कि राजनीति पर आज ‘धन-बल’ इतना अधिक हावी हो चुका है कि मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दल किसी भी सीमा तक जा सकते हैं।
 
अब राजनीतिक दलों के नेताओं का यह पैंतरा देख कर मतदाता भी सयाने हो गए हैं और वे उनसे जो कुछ भी मिलता है उसे स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं करते क्योंकि अब मतदाताओं ने भी मन बना लिया है कि ‘‘भागते चोर की लंगोटी ही सही। इस समय जो मिल रहा है वह तो ले लो, बाद में तो ये महानुभाव पांच साल नजर आने से रहे क्योंकि ‘सियासत अब तिजारत’ हो गई है।’’
 

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