Edited By ,Updated: 22 Feb, 2019 02:36 AM
पाक समर्थित आतंकवादी गिरोह ‘जैश-ए-मोहम्मद’ द्वारा पुलवामा में कायरतापूर्ण हमले के लिए अधिकांश विश्व समुदाय पाकिस्तान की आलोचना कर रहा है और भारत को हरसंभव सहायता देने की प्रतिबद्धता जताई है। जहां अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस हमले को भयावह बताते...
पाक समर्थित आतंकवादी गिरोह ‘जैश-ए-मोहम्मद’ द्वारा पुलवामा में कायरतापूर्ण हमले के लिए अधिकांश विश्व समुदाय पाकिस्तान की आलोचना कर रहा है और भारत को हरसंभव सहायता देने की प्रतिबद्धता जताई है।
जहां अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस हमले को भयावह बताते हुए इसके लिए जिम्मेदारों को सजा देने, आतंकियों को पनाह न देने व उनसे सहयोग न करने की पाकिस्तान को नसीहत दी है, वहीं रूस ने यू.एन. से ‘जैश’ के सरगना मसूद अजहर को ‘ग्लोबल टैररिस्ट’ घोषित करने की मांग की है और फ्रांस ने उसे बैन करने के लिए प्रस्ताव लाने का निर्णय किया है। न्यूजीलैंड सरकार ने पुलवामा हमले के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव पारित किया है।
भारत की यात्रा पर आए सऊदी अरब के शहजादे मोहम्मद बिन-सलमान ने भी पुलवामा हमले की कड़े शब्दों में ङ्क्षनदा की और परोक्ष रूप से पाकिस्तान को अपने यहां शरण लिए हुए आतंकवादियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने को कहा। इसके अलावा जहां अतीत के अनुभवों को देखते हुए भारत ने पाकिस्तान को पुलवामा हमले में जैश की संलिप्तता का कोई सबूत सांझा न करने का फैसला किया है वहीं मसूद पर प्रतिबंध लगाने बारे विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा अगले सप्ताह विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में चीनी विदेश मंत्री से बात करने की भी संभावना है।
बेशक अधिकांश विश्व समुदाय पाकिस्तान पर आतंकवाद का रास्ता छोडऩे के लिए दबाव बनाने का संकेत दे रहा है परंतु पाकिस्तान पर इसका कोई प्रभाव होता नजर नहीं आ रहा। इसका प्रमाण इमरान द्वारा पुलवामा हमले बारे भड़काऊ बयान से मिलता है जिसमें इमरान ने पुलवामा हमले की निंदा करने की बजाय भारत को ही यह चेतावनी दी कि पाकिस्तान पर हमला करने पर मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा। पाकिस्तान का रेल मंत्री मोहम्मद शेख अहमद रशीद तो इमरान से भी आगे बढ़ गया है और उसने कहा है कि, ‘‘भारत अगर पाकिस्तान पर हमला करता है तो वहां घंटियां बजाने के लिए कोई नहीं बचेगा।’’
इस बात की पुष्टिï तो इमरान खान की पूर्व पत्नी रेहम खान ने भी की है कि इमरान खान पाकिस्तानी सेना के दबाव तले उसकी तय की हुई रणनीति पर ही चलता है। इमरान को पाकिस्तानी सेना के हाथों की कठपुतली बताते हुए रेहम ने कहा है कि ‘‘इमरान उतना ही बोलता और करता है जितना उसे बोलने और करने के लिए सेना कहती है।’’ ‘‘प्रधानमंत्री के रूप में इमरान की कोई हैसियत नहीं है। पुलवामा में हमले पर बयान देने के लिए भी वह सेना के निर्देशों का इंतजार करता रहा और अपने बयान में विषयों को टाल गया। उसका बयान बहुत संतुलित और कूटनीतिक तरीके से ‘टिक’ किया हुआ था...पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को उस (पुलवामा हमले) की कड़ी निंदा करनी चाहिए थी।’’
पुलवामा हमले के बाद भी पाकिस्तानी सेना द्वारा लगातार जारी युद्ध विराम उल्लंघनों और सेना के पाले हुए आतंकियों की गतिविधियों से भी इसकी पुष्टिï होती है कि पाकिस्तान पर किसी बात का कोई असर नहीं है। इस समय 50 से अधिक आतंकवादी गिरोह पाकिस्तान में सक्रिय हैं तथा वहां पाकिस्तानी सेना और गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. की मिलीभगत से भारत-विरोधी आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर चलाए जा रहे हैं। आतंकवादी गिरोहों द्वारा भारत को धमकियां देने का सिलसिला भी लगातार जारी है तथा एक बार फिर घाटी में बड़े आत्मघाती हमले की धमकी दी गई है। ‘हिजबुल मुजाहिद्दीन’ के आप्रेशनल कमांडर रियाज नाइकू ने कहा है कि ‘‘युवा लड़कों की ओर से घाटी में और फिदायीन हमले किए जाएंगे।’’
‘‘जब तक सेना और भारत की एजैंसियां कश्मीर में हैं उन्हें रोने को मजबूर होना पड़ेगा। तुम्हारे सैनिकों से कफन भरते रहेंगे। हम मरने को तैयार हैं लेकिन तुम लोगों को भी जिंदा नहीं रहने देंगे। वह दिन दूर नहीं जब हमारे 15 वर्षीय बच्चे अपने शरीर पर विस्फोटक बांध कर तुम्हारे सैनिक वाहनों से जा टकराएंगे।’’
इमरान के भारत को धमकियां देने, आतंकवादी गिरोहों के विरुद्ध कार्रवाई करने की बजाय उन्हें समर्थन देने और विश्व समुदाय की सलाह स्वीकार न करने से स्पष्ट है कि पाकिस्तान अपने कुटिल इरादों से बाज आने वाला नहीं। इसका एकमात्र समाधान पाकिस्तान के पाले हुए आतंकवादियों के विरुद्ध सेना के अभियान में और तेजी लाकर स्थानीय लोगों के सहयोग से उनका सफाया करने पर ही निर्भर है।—विजय कुमार