‘गंगा की सफाई’ न होने  पर सरकारी एजैंसियों को ‘फटकार’

Edited By ,Updated: 08 Feb, 2017 12:25 AM

ganga failing to reprimand government agencies

आज हमारे देश की जीवन रेखा समझी जाने वाली गंगा तथा अन्य अनेक नदियां कल-कारखानों का दूषित और विषैला पानी तथा सीवरेज का मल-जल छोड़े जाने के...

आज हमारे देश की जीवन रेखा समझी जाने वाली गंगा तथा अन्य अनेक नदियां कल-कारखानों का दूषित और विषैला पानी तथा सीवरेज का मल-जल छोड़े जाने के कारण बुरी तरह प्रदूषित और विषाक्त हो चुकी हैं।इनके पानी को पीना तो एक ओर, यह स्नान करने योग्य भी नहीं रहा तथा भयानक बीमारियों का कारण बन रहा है। इसी कारण उत्तर प्रदेश के चुनावी राज्य में यह एक मुद्दा बन गया है। 1985 से 2015 तक गंगा की सफाई के नाम पर 22,000 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं परन्तु इसके बावजूद गंगा की सफाई नहीं हो सकी।

इसके बाद केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनर्जीवन मंत्री उमा भारती ने ‘नमामि गंगे’ परियोजना के अंतर्गत जनवरी 2016 से गंगा की सफाई की अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक योजनाओं की घोषणा की तथा इसके लिए 2000 करोड़ रुपए का फंड भी आबंटित किया।परन्तु फिलहाल सब कुछ ठप्प पड़ा है। इस संबंध में नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) के अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने लताड़ लगाते हुए सरकारी एजैंसियों से कहा है कि,‘‘केंद्र सरकार द्वारा 2000 करोड़ रुपए का फंड देने के बावजूद गंगा की एक बंूद तक की सफाई नहीं की गई है। क्या इस तरह सरकारी एजैंसियां ‘नमामि गंगे’ प्रोजैक्ट को पूरा करेंगी?’’

प्रदूषण फैलाने वाली 14 फैक्टरियों को तुरंत बंद करने के निर्देश देते हुए उन्होंने यह भी कहा, ‘‘संबंधित एजैंसियां और केंद्र व यू.पी. सरकारें इसके लिए एक-दूसरे के सिर पर ठीकरा फोडऩा बंद करके काम शुरू करें। अभी तक सिर्फ आबंटित फंड का दुरुपयोग हुआ है, गंगा की सफाई नहीं।’’ ‘‘सी.पी.सी.बी. और केंद्र ने यदि अपना कार्य सही ढंग से नहीं किया तो क्या राज्य सरकार ने यह मामला ट्रिब्यूनल के समक्ष उठाया और अपने कार्य के बारे में जानकारी दी? अत: बताया जाए कि यह प्रोजैक्ट कैसे पूरा किया जाएगा?’’ एन.जी.टी. ने एक सप्ताह के भीतर उनसे यह भी बताने को कहा कि अभी अधिकारियों ने निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया

एन.जी.टी. पहले भी उत्तर प्रदेश सरकार को गंगा की सफाई में लापरवाही बरतने तथा गंगा नदी में प्रदूषण के स्रोतों के संबंध में कोई संतोषजनक उत्तर न देने पर फटकार लगा चुकी है। उसका  इस पर ध्यान न देना स्पष्टï प्रमाण है कि वह गंगा की सफाई को लेकर कतई गंभीर नहीं है। यदि केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकारें इस संबंध में ईमानदारी से रुचि नहीं लेंगी, तब तो गंगा तथा अन्य नदियां इसी प्रकार मैली ही बनी रहेंगी।    —विजय कुमार

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