‘गणपति विसर्जन पर’ ‘आकस्मिक दुखद मौतें’

Edited By ,Updated: 18 Sep, 2016 01:41 AM

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गौरी नंदन श्री गणेश जी देवताओं में प्रथम पूज्य और विघ्नहत्र्ता हैं। वेद व्यास जी ने जब उन्हें महाभारत की कथा बोलकर लिखवाने के बाद आंखें खोलीं तो ...

गौरी नंदन श्री गणेश जी देवताओं में प्रथम पूज्य और विघ्नहत्र्ता हैं। वेद व्यास जी ने जब उन्हें महाभारत की कथा बोलकर लिखवाने के बाद आंखें खोलीं तो देखा अत्यधिक श्रम के कारण गणेश जी के शरीर का तेज (तापमान) अत्यंत बढ़ गया था जिसे शांत करने के लिए व्यास जी ने उन्हें सरोवर में स्नान करवाया और कालांतर में इसी दिन से हिन्दू धर्मावलम्बियों द्वारा गणेश प्रतिमा के विसर्जन का चलन शुरू हुआ। 

 
गणेशोत्सव भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से चतुर्दशी तिथि तक मनाया जाने वाला 10 दिवसीय पर्व है। मान्यता है कि इन दिनों में श्रद्धा एवं विधि-विधानपूर्वक गणेश जी की पूजा-अर्चना करने पर विघ्नहत्र्ता जीवन की समस्त बाधाओं का अंत कर अपने भक्तों पर सौभाग्य की वर्षा करते हैं।
 
पुरातन काल में मूलत: गणेशोत्सव एक पारिवारिक पर्व था परंतु बाद के दिनों में महान स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे सामाजिक स्वरूप देकर राष्ट्रीय एकता का प्रतीक पर्व बना दिया।
 
उन्होंने आजादी की लड़ाई, छुआछूत निवारण और समाज को संगठित एवं राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक गणेश पूजन का आयोजन किया जिसका उद्देश्य सभी जातियों और धर्मों  के लोगों को एक सांझे मंच पर लाने का था जहां मिल-बैठ कर वे सब विचार कर सकें। 
 
इन गणेशोत्सवों के दौरान युवकों की टोलियां सड़कों पर घूम-घूम कर अंग्रेजी शासन के विरुद्ध गीत गातीं और लोगों को जागने का आह्वान करतीं। लोकमान्य तिलक द्वारा आरंभ किए गए इन गणेशोत्सवों में वीर सावरकर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, पं. मदन मोहन  मालवीय, सरोजनी नायडू, बैरिस्टर जयकर, रेंगलर परांजपे जैसे देश के शीर्ष नेता पहुंचते।
 
गणपति पूजन का पर्व उत्साहपूर्वक मनाने की परम्परा जहां लोगों में धार्मिकता और राष्ट्रीयता की भावना का संचार करती है वहीं गणपति विसर्जन के दौरान नदियों-तालाबों आदि में डूबने व अन्य कारणों से होने वाली मृत्यु खुशी को गम में बदल देती है जो निम्र चंद घटनाओं से स्पष्ट है :
 
* कर्नाटक के शिमोगा में गणेश मूर्ति विसर्जन के दौरान एक नाव तुंगभद्रा नदी में डूब गई जिसके परिणामस्वरूप 12 श्रद्धालु मौत के मुंह में चले गए। 
 
* लुधियाना में सतलुज दरिया में मूर्ति विसर्जित करने आए 4 श्रद्धालुओं की पानी में डूबने से मृत्यु हो गई। 
 
* उत्तर प्रदेश के ललितपुर में शहर के बीचों-बीच स्थित सुमेरा तालाब में बनाए गए तैरते हुए मंच पर क्षमता से अधिक लोगों के सवार हो जाने से मंच पलट गया और पानी में डूब जाने से एक युवती की मृत्यु हो गई। 
 
* महाराष्ट में नासिक, वर्धा, नांदेड़, जलगांव और नागपुर में गणपति विसर्जन के दौरान 13 श्रद्धालुओं की पानी में डूब जाने से मृत्यु हो गई जबकि पुणे में 2 लोग लापता हो गए। 
 
* राजस्थान के नागौर जिले में मेड़ता रोड स्थित विष्णु तालाब में गणेश प्रतिमा के विसर्जन के दौरान 4 युवकों की गहरे पानी में डूब जाने से मृत्यु हो गई जबकि पुलिस के अनुसार विसर्जन स्थल के निकट नीची लटक रही बिजली के तार की चपेट में आने से एक अन्य युवक की मौत हो गई।  
 
* मध्य प्रदेश में रतलाम, भिंड, सिहोर, नरसिंहपुर, पीथमपुर तथा देवास में गणेश विसर्जन के दौरान 11 लोगों की डूबने से मृत्यु हो गई। 
 
अत: प्रशासन को चाहिए कि मुख्य विसर्जन स्थलों पर सुरक्षा के लिए एम्बुलैंस गाडिय़ों, गोताखोरों और जीवन रक्षक नौकाओं आदि की व्यवस्था रखने के अलावा लोगों को गहरे पानी में जाने के जोखिमों के प्रति भी सचेत किया जाए और प्रत्येक शहर में निश्चित स्थानों पर ही विसर्जन की अनुमति हो।
 
विघ्नहत्र्ता के मंगलमय स्मृति पर्व के अवसर पर इस तरह की घटनाओं का होना जहां दुखद है वहीं इनसे पर्व की महत्ता भी कम होती है। अत: लोग भावनाओं में बह कर गहरे पानी में प्रवेश करने जैसे जोखिम से बचें और प्रशासन को भी इसके लिए समुचित प्रबंध करने चाहिएं ताकि कुप्रबंधन के कारण कोई अप्रिय घटना न हो।
 

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