‘सुशासन बाबू’ नीतीश के राज में बिहार भारी ‘कुशासन’ की ओर

Edited By ,Updated: 16 Feb, 2016 12:41 AM

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15 साल पुराने लालू-राबड़ी के कुशासन को उखाड़ कर नीतीश कुमार 4 नवम्बर, 2005 को बिहार के मुख्यमंत्री बने।

15 साल पुराने लालू-राबड़ी के कुशासन को उखाड़ कर नीतीश कुमार 4 नवम्बर, 2005 को बिहार के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने लगातार साढ़े 9 वर्ष शासन करने के बाद 2014 के लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी जद (यू) की हार के चलते 17 मई 2014 को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।

 
इस दौरान उनके द्वारा किए गए सुधारवादी कार्यों के सम्मान स्वरूप लोग उन्हें ‘सुशासन बाबू’ कहने लगे। 2015 में नीतीश कुमार की पार्टी ने अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी लालू यादव की ‘राजद’ के साथ महागठबंधन करके राज्य विधानसभा का चुनाव लड़ा और 20 नवम्बर, 2015 को वह पुन: मुख्यमंत्री बने परंतु इस बार स्थिति पहले जैसी नहीं रही। 
 
लालू और राबड़ी के मुख्यमंत्री काल में बिहार में जो लाकानूनी मची उसके दृष्टिगत उनके शासनकाल को ‘जंगल राज’ कहा जाने लगा था और अब बिहार की महागठबंधन सरकार में लगातार हो रहे अपराधों को देखते हुए लोगों ने इसे फिर ‘जंगल राज-2’ कहना शुरू कर दिया है। अन्य अपराधों के अलावा राज्य में डेढ़ महीने में हुई हाई प्रोफाइल हत्याएं निम्र में दर्ज हैं : 
 
* 26 दिसम्बर 2015 को दरभंगा में एक निजी कम्पनी के 2 इंजीनियरों मुकेश कुमार सिंह तथा ब्रजेश सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी गई। 
* 28 दिसम्बर को एक इंजीनियर की वैशाली में हत्या कर दी गई।
* 8 जनवरी, 2016 को बिहार पुलिस का एक ए.एस.आई. मारा गया। 
* 16 जनवरी को राजधानी पटना में रविकांत नामक जौहरी को उसकी दुकान में घुस कर गोलियों से भून दिया गया। 
* 25 जनवरी को इंदौर की रहने वाली सृष्टिï जैन नामक युवती की आटो रिक्शा में गोली मार कर हत्या कर दी गई, जब वह रेलवे स्टेशन जा रही थी।
* 5 फरवरी को लोजपा नेता बृजनाथ सिंह को चंद अपराधियों ने पटना में बेतहाशा गोलियां दाग कर छलनी कर दिया।
* 11 फरवरी को सारन जिले में भाजपा नेता केदार सिंह मारा गया।  
* 12 फरवरी को बिहार भाजपा के उपाध्यक्ष विश्वेश्वर ओझा की भोजपुर में हत्या करने के अलावा उसके 3 साथी घायल कर दिए गए। 
 
यही नहीं, राज्य में सत्तारूढ़ धड़े की दबंगई तथा अन्य अपराध भी जारी हैं। गत 17 जनवरी को जद (यू) विधायक बीमा भारती अपने पति अवधेश मंडल को पुलिस थाने से छुड़वाकर ले गई और 24 जनवरी को जद (यू) के एक विधायक सरफराज आलम को दिल्ली-गुवाहाटी एक्सप्रैस में एक दम्पति के साथ बदसलूकी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 
 
27 जनवरी को राजद विधायक कुन्ती देवी के बेटे रंजीत ने एक स्वास्थ्य केंद्र पर हमला करके वहां तैनात चिकित्सक सतेंद्र कुमार सिन्हा को लाठी-डंडों से पीट-पीट कर घायल कर दिया। 6 फरवरी को नवादा से राजद विधायक राज वल्लभ यादव ने एक 15 वर्षीय नाबालिगा की इज्जत लूट ली। पुलिस जांच में शिकायत सच पाई जाने पर उसे पार्टी से निष्कासित कर दिया गया और इस समय गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार है। 
 
राज्य के आई.जी. पुलिस सैंट्रल रेंज कुंदन कृष्णन के विरुद्ध भी लोगों द्वारा कार्रवाई करने की मांग की जा रही है जिस पर विश्वेश्वर ओझा की हत्या की कवरेज के लिए गए मीडिया वालों को धमकाने का आरोप है। 
 
सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं से जुड़ी उक्त घटनाओं के अलावा भी राज्य में  अपराधी गिरोहों की गतिविधियां और जब्री वसूली का कारोबार जोरों पर है जिससे राज्य वासियों द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लगाई ‘सुशासन’ की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। 
 
बिहार की बिगड़ रही कानून व्यवस्था के लिए विपक्षी दल राज्य में नीतीश कुमार द्वारा राजद के साथ गठबंधन को जिम्मेदार बता रहे हैं। उनका कहना है कि इन अपराधों से नीतीश कुमार की ‘सुशासन बाबू’ वाली छवि को आघात लग रहा है जो उन्होंने अपने प्रथम 2 कार्यकालों में कम से कम 50,000 अपराधियों को गिरफ्तार करके बड़ी मेहनत से  बनाई थी।
 
नीतीश की इस पारी में जिस तरह बिहार में अपराध बढ़े हैं और उनके ‘अपने’ ही इनमें शामिल पाए जा रहे हैं, यदि यही सिलसिला जारी रहा तो नीतीश कुमार के लिए अपनी और अपनी पार्टी को पहुंचने वाली अपूर्णीय क्षति से उबरना मुश्किल हो जाएगा। अत: उन्हें अपनी ‘गठबंधन धर्म’ की मजबूरियों को दरकिनार करते हुए यथाशीघ्र राज्य की कानून व्यवस्था पर काबू पाना चाहिए। 
 

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