Edited By ,Updated: 16 Jul, 2019 01:04 AM
पाकिस्तान द्वारा शुरू किए गए आतंकवाद के कारण सदियों से कश्मीर में रह रहे लगभग 3 लाख कश्मीरी पंडितों को 1990 के दशक में कश्मीर घाटी छोडऩी पड़ी। तब से ये देश के दूसरे हिस्सों में रह रहे हैं और उनकी वापसी की तमाम बातें अभी तक हवा में ही हैं। इस समय...
पाकिस्तान द्वारा शुरू किए गए आतंकवाद के कारण सदियों से कश्मीर में रह रहे लगभग 3 लाख कश्मीरी पंडितों को 1990 के दशक में कश्मीर घाटी छोडऩी पड़ी। तब से ये देश के दूसरे हिस्सों में रह रहे हैं और उनकी वापसी की तमाम बातें अभी तक हवा में ही हैं। इस समय जबकि भाजपा जम्मू-कश्मीर में चुनाव लड़ कर अपने दम पर सरकार बनाने की कोशिश में है, इसके राष्ट्रीय महासचिव और जम्मू-कश्मीर के भाजपा प्रभारी राम माधव ने एक साक्षात्कार में कहा है कि :
‘‘कश्मीर घाटी के मुस्लिम बहुल इलाकों में कश्मीरी पंडितों को फिर से बसाया जाएगा। सरकार इनके पुनर्वास की तैयारी कर रही है और इस प्रस्ताव को भाजपा के उच्च कमान की स्वीकृति लगभग मिल चुकी है।’’ राम माधव का यह भी कहना है कि ‘‘कश्मीरी पंडितों को वापस कश्मीर में बसाने के लिए भाजपा संकल्पबद्ध है और इसके लिए लम्बे समय से एक योजना पर काम कर रही है। मुझे पूरा विश्वास है कि जब हम (जम्मू-कश्मीर में) सत्ता में आएंगे तो इस मुद्दे पर और आगे बढ़ेंगे।’’ जहां गृह मंत्रालय ने राम माधव के उक्त बयान पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है वहीं जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने इसके अगले ही दिन एक इंटरव्यू में कश्मीर से पलायन कर गए कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए अलग टाऊनशिप बनाने की वकालत की।
श्री मलिक का कहना है कि ‘‘ऐसी टाऊनशिपों के लिए इलाकों की शिनाख्त कर ली गई है और उनके विकास की दिशा में काम जारी है। अलग टाऊनशिप कश्मीरी पंडितों की इच्छा की बात नहीं बल्कि जरूरत है। हमें उनको रहने के लिए उनकी पसंद की अच्छी जगह देनी होगी।’’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘उन तमाम लोगों को जो स्वयं को प्रमुख (कश्मीरी) नेता होने का दावा करते हैं, पुलिस एवं सेना की सुरक्षा मिली हुई है। क्या हम उनकी सुरक्षा नहीं कर रहे? हमें ऐसा ही पंडितों के लिए भी करना होगा। इसके लिए बेहतरीन रास्ता यही होगा कि जिन लोगों ने उनके घर छीने हैं वे ही उन्हें लौटने के लिए निमंत्रित करें। इसके लिए महबूबा और उमर, फारूक तथा हुर्रियत के नेताओं को प्रयास करना चाहिए।’’
अपना घर-बार छोड़ऩे को विवश कश्मीरी पंडित परिवारों की वापसी के प्रयासों की शुरूआत एक अच्छा संकेत अवश्य है परंतु इस संबंध में सभी पक्षों को साथ लेकर एक सर्वस्वीकार्य नीति बनाने की आवश्यकता है। जहां राम माधव का बयान राजनीति से प्रेरित प्रतीत होता है वहीं राज्यपाल सत्यपाल मलिक का बयान वास्तविकता के अधिक निकट लगता है। इस बारे केंद्र सरकार को दृढ़ता से कार्य करना चाहिए।—विजय कुमार