महत्वपूर्ण मुद्दों पर तुरंत निर्णय लिए दिल्ली, उत्तर प्रदेश व छत्तीसगढ़ की सरकारों ने

Edited By ,Updated: 31 Dec, 2021 05:23 AM

govts of delhi up and chhattisgarh took immediate decisions on important issues

आमतौर पर सरकारों पर जनहित से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर कार्रवाई न करके समस्या को बढऩे देने का आरोप लगता रहता है परंतु दिल्ली, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने जनहित व जन सुरक्षा से जुड़े 3 अलग-अलग मुद्दों पर शीघ्र कार्रवाई करने की पहल करके...

आमतौर पर सरकारों पर जनहित से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर कार्रवाई न करके समस्या को बढऩे देने का आरोप लगता रहता है परंतु दिल्ली, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने जनहित व जन सुरक्षा से जुड़े 3 अलग-अलग मुद्दों पर शीघ्र कार्रवाई करने की पहल करके अच्छा उदाहरण पेश किया है : 

* देश में कोरोना के बढ़ते हुए मामलों के साथ-साथ लोगों द्वारा बचाव के नियमों की बढ़ रही अवहेलना को रोकने के लिए दिल्ली सरकार कोरोना प्रोटोकाल का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कठोर कदम उठा रही है। इसी सिलसिले में 28 दिसम्बर को दिल्ली प्रशासन ने एक ही दिन में 4000 से ज्यादा चालान काटने के अलावा 15 लोगों के विरुद्ध केस दर्ज किए और उन्हें 81 लाख रुपए जुर्माना किया। एक सप्ताह में दिल्ली प्रशासन ने कोरोना प्रोटोकाल का उल्लंघन करने वालों को 2 करोड़ रुपए से अधिक जुर्माना किया। 

* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 28 दिसम्बर को कानपुर दौरे के दौरान उनके रैली स्थल से लगभग 5 किलोमीटर दूर एक कार पर स्वयं ही भाजपा का झंडा और बैनर लगाकर उसमें तोड़-फोड़ करके दंगा करवाने की साजिश रचने की घटना के अगले ही दिन 29 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश पुलिस ने समाजवादी पार्टी के 5 कार्यकत्र्ताओं को गिरफ्तार करके इस साजिश का पर्दाफाश करने में सफलता प्राप्त की। आरोप लगाया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी से जुड़े एक नेता ने अपनी कार पर भाजपा का झंडा तथा बैनर लगवाया और फिर अपने समर्थकों से उस पर हमले करवाने के अलावा रैली से ठीक पहले उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया ताकि प्रधानमंत्री की रैली में आई हुई भीड़ उत्तेजित हो और कानपुर में बवाल हो जाए। (उल्लेखनीय है कि अखिलेश यादव ने भी उक्त सपा कार्यकत्र्ताओं को उसी समय पार्टी से निकाल दिया है।) 

* इसी प्रकार गत 26 दिसम्बर को रायपुर में धर्म संसद के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उनकी हत्या करने के लिए नाथूराम गोडसे को हाथ जोड़ कर प्रणाम और सार्वजनिक रूप से धन्यवाद करके विवाद पैदा करने वाले संत कालीचरण को 3 दिन बाद ही 29 दिसम्बर को छत्तीसगढ़ पुलिस ने मध्य प्रदेश के खजुराहो शहर के निकट बागेश्वर धाम से गिरफ्तार कर लिया जो अब 2 दिन के पुलिस रिमांड पर है। 

ध्यान रहे कि संत कालीचरण के उक्त बयान के विरुद्ध देशव्यापी रोष भड़क उठा था और उसकी गिरफ्तारी की मांग की जा रही थी, जिस पर संत कालीचरण ने कहा था कि उसे महात्मा गांधी को अपशब्द कहने का अफसोस नहीं है, चाहे उसे फांसी पर लटका दिया जाए। इस बीच मध्य प्रदेश सरकार ने संत कालीचरण को गिरफ्तार करने के तरीके पर आपत्ति जताई है, जिससे दोनों राज्यों में विवाद पैदा हो गया है। मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि ‘‘कालीचरण महाराज की गिरफ्तारी छत्तीसगढ़ सरकार ने जिस तरीके से की है, वह मर्यादा के खिलाफ है।’’ दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कटाक्ष करते हुए पूछा है कि ‘‘भाजपा नेता बताएं कि वे संत की गिरफ्तारी पर खुश हैं या दुखी?’’ 

इसी बीच कालीचरण को समर्थन देने के लिए भाजपा के कुछ अन्य नेता भी आगे आ गए हैं और उन्होंने इसे असंवैधानिक बताया है। कालीचरण के समर्थन में हिन्दू महासभा ने ग्वालियर और इंदौर में प्रदर्शन किए और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व छत्तीसगढ़ पुलिस के पुतले भी जलाए। बहरहाल, कोरोना पर नियंत्रण, प्रधानमंत्री की रैली में दंगा फैलाने की साजिश नाकाम करके उसका पर्दाफाश करने और संत कालीचरण की गिरफ्तारी करके दिल्ली, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने अपनी सक्रियता और कत्र्तव्य परायणता का ही परिचय दिया है जिसके लिए ये साधुवाद की पात्र हैं। यदि सभी सरकारें इसी प्रकार महत्वपूर्ण मामलों में तेजी से कार्रवाई करें तो बहुत सी समस्याएं गंभीर रूप धारण करने से पहले ही समाप्त की जा सकती हैं।—विजय कुमार 

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