सरकार द्वारा खुली बिक्री वाली 14 जरूरी वस्तुओं को दी गई जी.एस.टी. छूट न के बराबर

Edited By ,Updated: 21 Jul, 2022 03:29 AM

gst given to 14 essential items for open sale no discount

जी.एस.टी. परिषद की पिछले महीने चंडीगढ़ में हुई बैठक में डिब्बा या पैकेटबंद और लेबल युक्त (फ्रोजन को छोड़ कर) अनिवार्य जीवनोपयोगी खाद्य वस्तुओं पर 5 प्रतिशत जी.एस.टी. लगाने का

जी.एस.टी. परिषद की पिछले महीने चंडीगढ़ में हुई बैठक में डिब्बा या पैकेटबंद और लेबल युक्त (फ्रोजन को छोड़ कर) अनिवार्य जीवनोपयोगी खाद्य वस्तुओं पर 5 प्रतिशत जी.एस.टी. लगाने का फैसला किया गया था। इसके साथ ही अनब्रांडेड प्री-पैकेज्ड और प्री-लेबल आटा तथा दालों पर भी 5 प्रतिशत जी.एस.टी. लगाने की घोषणा करते हुए कर दरों में यह बदलाव 18 जुलाई से लागू करने की घोषणा की गई। इस बैठक में पहली बार दूध और दूध से बने उत्पादों को जी.एस.टी. के दायरे में लाने का फैसला भी किया गया है। 

ब्लेड, पेपर, कैंची, पैंसिल, शार्पनर, चम्मच, स्कीमर आदि पर भी सरकार ने जी.एस.टी. बढ़ा कर 18 प्रतिशत तथा एल.ई.डी. लाइटों पर भी 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया है। 1000 रुपए से कम के किराए वाले होटल के कमरे, जो अब तक जी.एस. टी. से मुक्त थे, पर भी 12 प्रतिशत जी.एस.टी. लगाने और वेयर हाऊस में सामान रखने की टैक्स दरों में भी वृद्धि की घोषणा की गई है। 

देश में पहले ही महंगाई से मचे कोहराम के बीच आटा, दाल और चावल जैसी जरूरी वस्तुओं को भी जी.एस.टी. के दायरे में लाने के फैसले की लोगों द्वारा भारी आलोचना की जा रही है तथा संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन से महंगाई तथा 5 प्रतिशत जी.एस.टी. को लेकर विपक्ष द्वारा हंगामा किया जा रहा है। बुधवार को तीसरे दिन भी विपक्ष ने जी.एस.टी. में वृद्धि वापस लेने की मांग करते हुए संसद भवन में धरना, प्रदर्शन व नारेबाजी की। 

इसी को देखते हुए 18 जुलाई को उक्त बदलावों के लागू होने के अगले ही दिन 19 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण ने 14 वस्तुओं की सूची जारी की तथा स्पष्ट किया कि इन्हें खुला या बिना पैकिंग बेचने की स्थिति में इन पर जी.एस.टी. लागू नहीं होगा। उन्होंने यह भी स्पष्टï किया कि जी.एस.टी. परिषद में इस बारे निर्णय लेते समय गैर-भाजपा राज्यों सहित बैठक में शामिल सभी राज्य सहमत थे। 

सीधे शब्दों में वित्त मंत्री के बयान का अर्थ यह है कि यदि कोई उपभोक्ता गांव या शहर में गली या नुक्कड़ की दुकान से कम मात्रा में बिना पैकिंग वाला उक्त सामान खरीदता है तो उसे इस पर जी.एस.टी. नहीं देना पड़ेगा, जबकि शहर के बड़े माल व स्टोर से बिल्कुल इसी तरह पैकिंग वाला सामान खरीदने वाले ग्राहकों को 5 प्रतिशत जी.एस.टी. अदा करना ही होगा। 

उल्लेखनीय है कि बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक आदि कई राज्यों ने उक्त सामान की खुली बिक्री पर जी.एस.टी. लगाने पर आपत्ति करते हुए इसे हटाने के लिए कहा था। इन राज्यों में अधिकांश जनसंख्या वित्तीय रूप से कमजोर होने के कारण टैक्स देने में सक्षम नहीं है। अत: इन राज्यों की मांग के बाद वित्त मंत्रालय ने यह स्पष्टीकरण जारी किया है। बेशक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्टï कर दिया है कि कम मात्रा में अनिवार्य जीवनोपयोगी वस्तुएं खुले में खरीदने पर उपभोक्ताओं को उन पर जी.एस.टी. नहीं देना पड़ेगा, परंतु यह ‘छूट’ न के बराबर है। 

इस निर्णय से गांव, मोहल्लों की छोटी दुकानों से रोजाना की जरूरत का उक्त सामान थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खरीदने वालों को ही मामूली सी राहत मिलेगी, जबकि कुछ अधिक मात्रा में और पैक किया हुआ सामान खरीदने वाले इससे वंचित ही रहेंगे। कांग्रेस ने निर्मला सीतारमण द्वारा दी गई सफाई को खारिज करते हुए कहा है कि गरीब उपभोक्ताओं को प्री-पैकेज्ड और लेबल वाले सामान खरीदने की इच्छा क्यों नहीं रखनी चाहिए? सरकार स्वच्छता से पैक सामान खरीदने की इच्छा रखने वाले लोगों को सजा क्यों देना चाहती है? 

अत: सरकार को जी.एस.टी. के नियमों में और बदलाव करके इन्हें अधिक उदार और तर्कसंगत बनाना चाहिए। इसके अंतर्गत रसोई में काम आने वाली उन सब वस्तुओं पर भी जी.एस.टी. में राहत दी जाए, जो सामान्य वर्ग के भोजन का जरूरी हिस्सा हैं। रसोई के सबसे जरूरी उत्पाद रसोई गैस व रसोई में इस्तेमाल होने वाली अधिकांश वस्तुएं पहले ही जी.एस.टी. के दायरे में हैं, अत: सरकार द्वारा छूट के दायरे में अधिक  वस्तुएं शामिल करने के परिणामस्वरूप महंगाई से अत्यधिक तंग समाज के एक व्यापक वर्ग को राहत मिल सकेगी।—विजय कुमार 

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