Edited By ,Updated: 19 Oct, 2019 12:49 AM
मतदान का समय निकट आने के साथ ही हरियाणा में चुनाव बुखार यौवन पर पहुंच गया है। इस बीच हार-जीत को लेकर कई तरह की भविष्यवाणियां की जा रही हैं। अभी तक सभी ओपिनियन पोल भाजपा के पक्ष में ही गए हैं। बेशक पहले मुकाबला एक तरफा ही दिखाई देता था परंतु चुनावों...
मतदान का समय निकट आने के साथ ही हरियाणा में चुनाव बुखार यौवन पर पहुंच गया है। इस बीच हार-जीत को लेकर कई तरह की भविष्यवाणियां की जा रही हैं। अभी तक सभी ओपिनियन पोल भाजपा के पक्ष में ही गए हैं। बेशक पहले मुकाबला एक तरफा ही दिखाई देता था परंतु चुनावों के निकट आने के साथ ही सभी वर्गों के सक्रिय रुचि लेने से इसकी रोचकता बढ़ गई है।
2014 के विपरीत इस बार आदर्श चुनाव आचार संहिता जारी होते ही राजनीतिक दलों पर ‘डिफेंसमैंट आफ प्रापर्टी एक्ट’ लागू कर देने से राज्य के अधिकांश स्थानों पर न ही उम्मीदवारों ने अपनी पब्लिसिटी के लिए दीवारों पर लिखवाया और न ही ज्यादा होॄडग और झंडे आदि लगाए। इस बीच ‘जननायक जनता पार्टी’ (जजपा) और कांग्रेस की स्थिति में सुधार हुआ है परंतु हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डा. अशोक तंवर कांग्रेस को कितना नुक्सान पहुंचा पाएंगे यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे। सबसे बड़ा आघात बिखराव की शिकार ‘इनैलो’ को लगा है तथा अंतिम चरण में इसके कई उम्मीदवार मैदान छोड़ गए।
इन चुनावों में ‘जजपा’ उभर कर आई है। अजय सिंह चौटाला के जेल में होने के बावजूद उनके पुत्र दुष्यंत चौटाला चुनाव को काफी रोचक और संघर्षपूर्ण बनाए हुए हैं। कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में मुख्य प्रतिद्वंद्वी दलों भाजपा तथा कांग्रेस के लिए विद्रोही उम्मीदवार सिरदर्द का कारण बन रहे हैं कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में बसपा भी इन्हें कड़ी चुनौती दे रही है। इन चुनावों में अंतिम समय तक उलटफेर हो रहे हैं। जहां पूर्व मंत्री करतार भडाना (रालोद) आधिकारिक तौर पर 18 अक्तूबर को भाजपा में शामिल हो गए वहीं सोनीपत की राई सीट पर ‘इनैलो’ प्रत्याशी इंद्रजीत सिंह दहिया चुनाव से हट कर कांग्रेस के जयतीर्थ दहिया के समर्थन में आ गए हैं। रादौर मेें ‘बसपा’ नेता चौधरी रणधीर सिंह ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है।
एक उलटफेर यह भी हुआ कि सोनिया गांधी की 18 अक्तूबर को महेंद्रगढ़ में होने वाली रैली रद्द हो गई और उनकी जगह राहुल गांधी ने जनसभा को संबोधित किया। तोशाम में कांग्रेस की किरण चौधरी के विरुद्ध चुनाव लड़ रहे भाजपा उम्मीदवार शशि रंजन परमार को दिल का दौरा पड़ जाने के कारण स्टंट डालना पड़ा जिस कारण वह एम्बुलैंस द्वारा ही अपना प्रचार कर रहे हैं। भाजपा केंद्र सरकार द्वारा धारा-370 समाप्त करने, राफेल डील, बालाकोट एयर स्ट्राइक आदि उपलब्धियां भुनाने की कोशिश में है और इन चुनावों में प्रतिद्वंद्वी दल एक-दूसरे के विरुद्ध आरोपों के खूब तीर छोड़ रहे हैं।
गोहाना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘‘धारा-370 के हटने से कांग्रेस के पेट में दर्द हो गया है।’’ कुरुक्षेत्र में हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पूर्व कांग्रेस सरकार पर एक प्रापर्टी डीलर की तरह काम करने और किसानों से सस्ती दरों पर जमीन खरीदने का आरोप लगाया। सन्नी देओल ने नारनौंद के ‘लौहारी रागो’ गांव में कैप्टन अभिमन्यु की चुनाव सभा में कहा, ‘‘तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख, लेकिन 21 तारीख को याद रखना, कमल के फूल को याद रखना।’’ इसके बाद वह बोले, ‘‘यह अढ़ाई किलो का हाथ आज आपसे वोट मांगने आया है।’’ कैथल से कांग्रेस के प्रत्याशी रणदीप सिंह सुर्जेवाला ने एक सभा में कहा, ‘‘मोटर व्हीकल कानून के नाम पर तुगलकी फरमान जारी करके भाजपा लोगों से जब्री वसूली कर रही है।’’ उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि ‘‘मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टïर पांच वर्षों में 69 बार कैथल आए लेकिन उन्होंने इस क्षेत्र के विकास के लिए कुछ नहीं किया।’’
‘जजपा’ नेता दिग्विजय सिंह चौटाला बोले ‘‘भाजपा सरकारी नौकरियों में हरियाणा की उपेक्षा तथा गुजरातियों को अधिमान दे रही है।’’ इन चुनावों में हरियाणा में 9 वर्ष से अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा (कांग्रेस) की साख भी दाव पर लगी हुई है जो इन चुनावों में भी कांग्रेस की जीत का दावा कर रहे हैं और मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में रोहतक जिले की ‘गढ़ी सांपला किलोई’ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
जहां हुड्डा ने अपने समर्थकों को ‘वोट काटुओं’ से सावधान रहने को कहा है वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ‘गढ़ी सांपला किलोई’ में एक चुनावी सभा में बोलते हुए कहा, ‘‘हुड्डïा भ्रष्टïाचार का पर्याय हैं और जब वह मुख्यमंत्री थे तो कहा करते थे कि ‘खूब खेलूंगा राजनीति का खेल क्योंकि मेरी जेब में है अहमद पटेल।’ और इसके बाद वह बोले, ‘‘अब नहीं चलेगा कोई खेल, तुम्हारा इंतजार कर रही है जेल।’’ हरियाणा के चुनावी रंगमंच पर कुछ ऐसे दृश्य भी देखने को मिले हैं। आने वाले चंद दिनों में राज्य का राजनीतिक परिदृश्य क्या करवट लेता है यह देखना दिलचस्प होगा।—विजय कुमार