Edited By Pardeep,Updated: 05 May, 2018 02:04 AM
देश विभाजन के बाद लाहौर को अलविदा कह कर हम 14 अगस्त, 1947 को जालंधर आ गए। पूज्य पिता लाला जगत नारायण जी के मित्र सेठ सुदर्शन जी ने हमें जालंधर के पक्का बाग में वह मकान दिलवा दिया जिसमें हम आज तक रह रहे हैं। ‘प्रताप’ के मालिक आदरणीय महाशय कृष्ण जी...
देश विभाजन के बाद लाहौर को अलविदा कह कर हम 14 अगस्त, 1947 को जालंधर आ गए। पूज्य पिता लाला जगत नारायण जी के मित्र सेठ सुदर्शन जी ने हमें जालंधर के पक्का बाग में वह मकान दिलवा दिया जिसमें हम आज तक रह रहे हैं।
‘प्रताप’ के मालिक आदरणीय महाशय कृष्ण जी अपने समय के श्रेष्ठï लेखकों में से एक थे और उनके बड़े सुपुत्र वीरेंद्र जी लाला जी के निकट साथी थे। महाशय जी अपने लेखों में कांग्रेस पर टिप्पणी करते थे जबकि वीरेंद्र जी पक्के कांग्रेसी थे जिस कारण वीरेंद्र जी ने उन्हें कहा कि मैं अलग अखबार निकालना चाहता हूं जिसकी महाशय कृष्ण जी ने अनुमति दे दी। इसके बाद वीरेंद्र जी ने 1946 में ‘जय हिंद’ का प्रकाशन आरंभ किया जिसका स्टाफ आदि रखने में लाला जी का बहुत योगदान था।
कुछ महीनों के बाद पाकिस्तान बन गया और महाशय कृष्ण जी अपने पुत्रों वीरेंद्र और नरेंद्र के साथ दिल्ली शिफ्ट कर गए और वहां से ‘प्रताप’ उर्दू का प्रकाशन शुरू कर दिया। इसी प्रकार ‘मिलाप’ के मालिक खुशहाल चंद जी भी अपने परिवार और यश जी के साथ दिल्ली चले गए और वहां से ‘मिलाप’ उर्दू का प्रकाशन शुरू हो गया। बहरहाल, जालंधर आने के बाद जब लाला जी ने वीरेंद्र जी से दिल्ली जाकर बात की तो वीरेंद्र जी ने उन्हें ‘जय हिन्द’ शुरू करने की अनुमति दे दी और ‘जय हिन्द’ का प्रकाशन जालन्धर से शुरू हो गया। ‘जय हिंद’ में लाला जी ने अपने लेखों द्वारा प्रशासन और सरकार का ध्यान शरणार्थियों की दयनीय दशा की ओर खींचा तो पंजाब की तत्कालीन गोपीचंद भार्गव सरकार को अपनी आलोचना बर्दाश्त न हुई तथा उन्होंने श्री वीरेंद्र पर दबाव बनाया कि वह लाला जी से ‘जय हिंद’ वापस ले लें।
1948 के शुरू में वीरेंद्र जी दिल्ली से जालंधर शिफ्ट हो गए तो लाला जी ने उन्हें अखबार वापस दे दिया और 4 मई, 1948 को 1800 प्रतियों से अपने उर्दू दैनिक ‘हिंद समाचार’ का प्रकाशन शुरू कर दिया। कुछ समय के बाद यश जी भी जालंधर आ गए और यहां से ‘मिलाप’ उर्दू का प्रकाशन शुरू कर दिया और जब वीरेंद्र जी से ‘जय हिंद’ नहीं चल सका तो उन्होंने भी ‘प्रताप’ उर्दू यहां से आरंभ कर दिया। लाला जी लाहौर कांग्रेस के प्रधान थे तथा पंजाब आने पर वह पंजाब कांग्रेस के महासचिव बनाए गए। उन्हें 1952 में भीमसेन सच्चर मंत्रिमंडल में शामिल किया गया व शिक्षा, परिवहन और स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया।
भीम सेन सच्चर के त्यागपत्र के बाद प्रताप सिंह कैरों के मुख्यमंत्री काल के दौरान लाला जी ने अपने तीनों ही विभागों में अभूतपूर्व सुधार करते हुए जहां 8वीं कक्षा तक पाठ्य पुस्तकों और परिवहन का राष्ट्रीयकरण किया वहीं आयुर्वैदिक डिस्पैंसरियां खुलवाने की प्रक्रिया शुरू की तो स. प्रताप सिंह कैरों द्वारा परिवहन के राष्ट्रीयकरण का विरोध करने पर उनकी कैरों से बिगड़ गई। इसके बाद जब प्रताप सिंह कैरों पर आरोप लगे तो लाला जी ने मंत्रिमंडल और कांग्रेस से त्यागपत्र देकर ‘हिंद समाचार’ में उनके स्कैंडल छापने शुरू कर दिए। लाला जी ने कैरों के विरुद्ध चौ. देवी लाल, प्रबोध चंद्र, अब्दुल गनी डार आदि नेताओं के साथ तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राधाकृष्णन से भेंट की जिसके बाद श्री कैरों के विरुद्ध जांच बिठाई गई।
इस दौरान ‘हिंद समाचार’ लगातार तरक्की कर रहा था पर इसे कई संकटों का सामना भी करना पड़ा। जब हरियाणा बना तो बंसी लाल सरकार ने इसके विज्ञापन बंद कर दिए व जब 1974 में ज्ञानी जैल सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री बने और उन्होंने पंजाब में शराब की बिक्री नीति में खुली ढील दी तो लाला जी द्वारा इसका विरोध करने पर पहले उन्होंने ‘हिंद समाचार’ के विज्ञापन बंद किए, फिर सरकारी कार्यालयों में हमारे अखबारों का प्रवेश बंद किया और फिर हमारी बिजली कटवा दी। हमें ट्रैक्टर की मदद से अखबार छापने पड़े। हालांकि बाद में सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर बिजली बहाल कर दी गई। इसी प्रकार शेख अब्दुल्ला की जम्मू-कश्मीर सरकार का भ्रष्टïाचार उजागर करने पर उसने भी ‘ङ्क्षहद समाचार’ पर बैन लगाया परंतु सुप्रीमकोर्ट के आदेश से सरकार को कुछ दिनों में ही बैन हटाना पड़ा।
अपनी संघर्ष यात्रा के दौरान हिंद समाचार समूह ने आतंकवाद के विरुद्ध भी लड़ाई लड़ी और अपने 2 मुख्य संपादकों पूज्य पिता लाला जगत नारायण जी और श्री रमेश चंद्र जी, 2 समाचार संपादकों और उप-संपादकों के अलावा 58 अन्य रिपोर्टरों, फोटोग्राफरों, ड्राइवरों, एजैंटों और हाकरों को खोया। धीरे-धीरे जो ‘हिंद समाचार’ 1800 प्रतियों से शुरू हुआ था बढ़ते-बढ़ते इसकी प्रसार संख्या 101,475 प्रतियों तक पहुंच गईं तथा यह भारत का सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला उर्दू समाचार पत्र बन गया परंतु आज जब हम अपने ‘हिंद समाचार’ की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, देश में उर्दू का प्रसार लगातार घट रहा है क्योंकि विभाजन से पूर्व अदालतों की भाषा उर्दू थी जो अब नहीं रही।
उर्दू जानने वाले हर बुजुर्ग के जाने के साथ ‘हिंद समाचार’ एक पाठक खो रहा है और इस समय इसकी प्रसार संख्या मात्र 20,000 रह गई है। ‘हिंद समाचार’ ही नहीं अन्य उर्दू समाचार पत्रों के साथ भी यही स्थिति है परंतु ‘हिंद समाचार’ के बाद ग्रुप द्वारा शुरू किए गए अन्य समाचारपत्रों पंजाब केसरी (हिन्दी), जग बाणी (पंजाबी) और नवोदय टाइम्स (दिल्ली) सहित ग्रुप की कुल प्रसार संख्या ए.बी.सी. के अनुसार 12 लाख 4 हजार प्रतियां है तथा ग्रुप के 1 करोड़ 64 लाख से अधिक पाठक हैं। बहरहाल 70 वर्षों तक ‘हिंद समाचार’ को अपना प्यार देने वाले पाठकों का आभार व्यक्त करते हुए हम इस लम्बे सफर में हमारे हमसफर बनने वाले अपने स्टाफ का भी आभार व्यक्त करते हैं जिनमें से कुछ सदस्य आज 80 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद भी अपने इस प्रिय समाचार पत्र की सेवा कर रहे हैं।—विजय कुमार