देश में अग्निकांडों से लगातार हो रही जान-माल की भारी क्षति

Edited By ,Updated: 13 Feb, 2019 02:57 AM

heavy loss of life and property due to continuous fire erosion in the country

राजधानी दिल्ली, मुम्बई और कोलकाता जैसे महानगरों सहित पिछले कुछ समय से देश में होने वाले अग्निकांडों में भारी वृद्धि होने से जान-माल तथा पर्यावरण और यहां तक कि जीव-जंतुओं तक की भारी क्षति हो रही है। न सिर्फ आम लोग ही इन अग्निकांडों का शिकार हो रहे...

राजधानी दिल्ली, मुम्बई और कोलकाता जैसे महानगरों सहित पिछले कुछ समय से देश में होने वाले अग्निकांडों में भारी वृद्धि होने से जान-माल तथा पर्यावरण और यहां तक कि जीव-जंतुओं तक की भारी क्षति हो रही है। 

न सिर्फ आम लोग ही इन अग्निकांडों का शिकार हो रहे हैं बल्कि सरकारी कार्यालय, अस्पताल और राष्ट्रीय संग्रहालय जैसी संस्थाएं भी आग की लपेट में आने से मूल्यवान राष्ट्रीय विरासत भी नष्टï हो रही है। दिल्ली के 6 मंजिला राष्ट्रीय संग्रहालय में 26 अप्रैल, 2016 की रात लगी आग से वहां जानवरों की खाल से निर्मित उनके प्रतिरूप जैसी कई प्रदर्शनीय वस्तुएं जल कर राख हो गई थीं। देश में अग्निकांडों का यह सिलसिला अभी भी जारी है जिसके हाल ही के चंद उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

27 दिसम्बर, 2018 को दिल्ली के स्वरूप नगर में एक फैक्टरी में आग लगने से एक मजदूर की मृत्यु हो गई। 28 दिसम्बर, 2018 को ठाणे में लगी भीषण आग में 18 गोदामों में रखा सामान जल कर राख हो गया। 24 जनवरी, 2019 को गुरुग्राम में आग से झुलस कर एक बच्चे की मृत्यु और 200 झुग्गियां जल कर राख हो गईं। 30 जनवरी को माता वैष्णो देवी मंदिर के निकट टीन के शैड में आग लगने से एक युवक की मृत्यु और 2 अन्य घायल हो गए। 30 जनवरी को राजकोट के झोंपड़-पट्टी इलाके में आग लग गई जिससे 50 झोंपडिय़ां जल कर राख हो गईं। 03 फरवरी को दुर्गापुर थाना के गांव के एक मकान में आग लगने से झुलस कर एक युवती की मृत्यु हो गई। 

03 फरवरी को बिहार के नवगछिया में श्रीपुर गांव में अलाव से निकली चिंगारी ने 8 घरों को अपनी चपेट में ले लिया। इससे एक ही परिवार के 4 बच्चों की मृत्यु और 3 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। 04 फरवरी को महाराष्टï्र में जालना के क्षीर सागर गांव में एक गौशाला में लगी आग में झुलस कर 3 बच्चों की मृत्यु हो गई। 07 फरवरी को मुजफ्फरपुर के गांव झपहां मझौलिया में आग की लपेट में आने से पति-पत्नी की मृत्यु हो गई। 08 फरवरी को उकलाना के गांव भेरी अकबरपुर में शार्ट सर्किट से आग लगने के परिणामस्वरूप एक ही परिवार के 4 सदस्यों की मृत्यु हो गई। 10 फरवरी को बंगाल के मिदनापुर जिले की एक बस्ती में आग लगने से पति-पत्नी सहित 3 लोगों की मृत्यु हो गई। 10 फरवरी को अलवर की ढाणी सुखजीतन घाट में एक रिहायशी परिसर में आग लगने से 11 पशुओं की मृत्यु और 40 अन्य पशु घायल हो गए। 

और अब 12 फरवरी को दिल्ली के एक होटल में तड़के भीषण आग लग जाने के कारण एक बच्चे सहित 17 लोगों की मृत्यु हो गई जबकि 35 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। माना जा रहा है कि आग शार्ट सर्किट की वजह से लगी। अग्निकांडों से होने वाले विनाश के ये तो चंद उदाहरण मात्र हैं जबकि इनके अलावा भी और न जाने कितनी घटनाएं हुई होंगी जो प्रकाश में नहीं आ पाईं। ज्यादातर मामलों में शार्ट सर्किट होने, गैस सिलैंडर फटने या लीक करने, ज्वलनशील पदार्थों के निकट लापरवाही से आग जलाने आदि कारणों से ही अग्निकांड होते हैं। 

हालांकि अनेक स्थानों पर दमकल विभाग के कर्मचारियों ने समय पर पहुंच कर विनाश रोकने में सफलता पाई है परंतु आम शिकायत है कि दमकल वाहन घटनास्थल पर समय पर नहीं पहुंच पाते और पहुंच भी जाएं तो उनके पास आग बुझाने का आवश्यक सामान नहीं होता। अधिकांश दमकल केन्द्रों को संकरी गलियों में जाने में सक्षम वाहनों, मल्टीपर्पज अग्निशमन वाहनों, अधिक ऊंचाई तक जाने वाली सीढिय़ों, अग्निशमन में सक्षम उपकरणों से युक्त मोटरसाइकिलों, हाई पावर क्रेनों, रिकवरी वैनों आदि के भारी अभाव का सामना करना पड़ रहा है। अधिकांश अग्निशमन वाहन पुराने माडल के हैं। अत: जब तक अग्निकांडों से बचने के लिए संबंधित विभागों को पूरे प्रशिक्षण व अत्याधुनिक अग्निशमन उपकरणों से लैस करके अग्निकांडों का मुकाबला करने की सुनियोजित रणनीति नहीं बनाई जाती तब तक ऐसे अग्निकांडों को कदापि नहीं रोका जा सकता।—विजय कुमार

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