Edited By ,Updated: 22 May, 2019 01:49 AM
हरियाणा और पंजाब की सरकारों द्वारा किसानों को ट्यूबवैल के लिए बिजली पर सबसिडी देने बारे कृषि अर्थशास्त्री श्री आर.एस. घुमान ने कहा था कि ‘‘किसानों को मुफ्त बिजली का 81.52 प्रतिशत हिस्सा पंजाब में मध्यम और बड़े किसानों को मिल रहा है जबकि केवल 18.25...
हरियाणा और पंजाब की सरकारों द्वारा किसानों को ट्यूबवैल के लिए बिजली पर सबसिडी देने बारे कृषि अर्थशास्त्री श्री आर.एस. घुमान ने कहा था कि ‘‘किसानों को मुफ्त बिजली का 81.52 प्रतिशत हिस्सा पंजाब में मध्यम और बड़े किसानों को मिल रहा है जबकि केवल 18.25 प्रतिशत छोटे और हाशिए पर रहने वाले किसान ही इससे लाभान्वित हो रहे हैं।’’
बड़े किसानों को बिजली सबसिडी बंद करने की मांग करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में एडवोकेट एच.सी. अरोड़ा ने कहा था कि ‘‘पंजाब में मनप्रीत बादल, सुखबीर बादल, हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कैप्टन अभिमन्यु और चौटाला परिवार के अलावा ऐसे हजारों अमीर किसान बिजली सबसिडी का लाभ ले रहे हैं।’’ याचिकाकत्र्ता ने न्यायालय को बताया था कि ‘‘मुफ्त बिजली का लाभ जरूरतमंद किसानों की बजाय अमीर किसान उठा रहे हैं तथा सबसिडी के तौर पर लगभग 7000 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान हुआ है।’’ न्यायालय ने इस पर दोनों राज्यों की सरकारों से जवाब मांगा था जिस पर पंजाब सरकार ने 20 मई को अपने जवाब में कहा कि उन्होंने एक सर्कुलर द्वारा अमीर किसानों से सबसिडी छोडऩे की अपील की थी।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश कृष्ण मुरारी और न्यायमर्ति अरुण पल्ली ने इस जवाब पर पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ‘‘किसी की स्वेच्छा पर यह मामला नहीं छोड़ा जा सकता। सबसिडी का लाभ केवल जरूरतमंदों को मिलना चाहिए।’’ ‘‘नागरिकों के गाढ़ेे पसीने की कमाई सरकार अमीर किसानों को सबसिडी देने में क्यों उड़ा रही है?
ऐसा करने की किसी भी स्थिति में अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि इसका सीधा बोझ करदाताओं पर पड़ता है। सबसिडी देकर सरकार करदाताओं की राशि का दुरुपयोग कर रही है। सरकार कार्रवाई करके यह सबसिडी वापस ले सकती है।’’ अमीर किसानों को दी जा रही ट्यूबवैल सबसिडी और मुफ्त बिजली की सुविधा बंद करने को कहने संबंधी न्यायालय का यह निर्णय सही है जिसे लागू करवाने के लिए जल्दी कदम उठाने चाहिएं।—विजय कुमार