Edited By ,Updated: 16 Mar, 2020 01:10 AM
भारत में अब तक कोरोना वायरस के 107 मामलों की पुष्टि हो चुकी है जिसमें से सबसे ज्यादा (32) महाराष्ट्र में सामने आए हैं। महाराष्ट्र सरकार ने भी स्थिति को भांपते हुए कड़े एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इसके तहत संवेदनशील क्षेत्रों में धारा 144...
भारत में अब तक कोरोना वायरस के 107 मामलों की पुष्टि हो चुकी है जिसमें से सबसे ज्यादा (32) महाराष्ट्र में सामने आए हैं। महाराष्ट्र सरकार ने भी स्थिति को भांपते हुए कड़े एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इसके तहत संवेदनशील क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर दी गई है और 4 से ज्यादा लोगों की भीड़ इकट्ठी होने से मना कर दिया है। हालांकि भारत उन कुछ पहले देशों में से था जिसने उचित समय पर इस आपदा से निपटने की तैयारी शुरू कर दी थी। 17 जनवरी से ही बंदरगाहों और एयरपोर्ट्स पर 6 लाख लोगों को जांच के बाद ही देश में आने दिया।
हालांकि कुछ ही दिनों बाद भारत ने दूसरे देशों से आने वाले पर्यटकों का वीजा रद्द कर दिया है मगर सोचने की बात यह है कि क्या हम इस आपदा से निपटने के लिए तैयार हैं। क्या सरकार और लोगों की ओर से उठाए जा रहे एहतियाती उपाय पर्याप्त हैं। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इस बात का आश्वासन दिया था कि भारत में इस वायरस के परीक्षण के लिए लैब बढ़ाकर 50 से ज्यादा कर दी जाएंगी जोकि देश भर में वायरस की टैस्टिंग के काम में लगी रहेंगी।
हालांकि बीमारियों से निपटने का हमारा रिकार्ड काफी उत्कृष्ट है। पोलियो से देश लगभग पूरी तरह से मुक्ति पा चुका है। इसके अलावा 2009 में स्वाइन फ्लू और एच.1 एन-1 फ्लू पर भी हमने काफी हद तक नियंत्रण कर लिया था लेकिन अभी तक भारत ने कोरोना वायरस जैसी महामारी का सामना नहीं किया है। भारत न तो 10 दिनों में अस्पताल बना सकता है और न ही चीन की तरह अपने शहरों को दिन में 2 बार धो कर सैनेटाइज कर सकता है। हमारा स्वास्थ्य तंत्र यू.के. जैसा भी नहीं है जहां सबके लिए मुफ्त इलाज सुलभ है। भारत में 1457 नागरिकों पर एक डाक्टर है जोकि डब्ल्यू.एच.ओ. के मानकों से काफी कम है। यहां न केवल अस्पतालों की कमी है बल्कि डाक्टरों और नर्सों की भी भारी कमी है।
भारत में अभी यह बीमारी स्टेज-2 पर है जिसमें इस पर नियंत्रण पाना काफी हद तक संभव और हमारी पहुंच के भीतर है। इसमें सभी को अस्पताल में कॉरंटीन (अलग करना) करने की बजाय यदि घरों में ही सुरक्षित कर दिया जाए तो यह बेहतर होगा क्योंकि किसी भी कोरोना पीड़ित व्यक्ति को ठीक होने में कम से कम 15 दिन लगते हैं और इसके बाद उसका संक्रमण खत्म होने में 15 दिन और लगते हैं। इसलिए यदि हम 4 से 6 हफ्ते के लिए केवल एमरजैंसी सुविधाओं को चालू रखते हुए बाकी सभी मामलों में लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दें तो हम इन खतरों से उबर सकते हैं। हालांकि सुनने में यह काफी नकारात्मक समाधान प्रतीत हो सकता है लेकिन महामारी को स्टेज 3 पर पहुंचने से रोकने के लिए यह काफी कारगर साबित होगा। इस रास्ते पर चलते हुए हमें आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ सकता है लेकिन जानी नुक्सान को बचाने का यह एक अच्छा उपाय हो सकता है।