दल बदलुओं की ‘नर्सरी’ हरियाणा टिकट न मिला तो दिल और दल दोनों बदले

Edited By ,Updated: 06 Oct, 2019 12:44 AM

if the party did not get nursery haryana ticket both the heart and party changed

लम्बे समय से दल-बदलुओं के लिए विख्यात रहे हरियाणा में ‘आया राम गया राम’ परम्परा 1967 में शुरू हुई। तब हसनपुर सुरक्षित विधानसभा सीट से विधायक ‘गया लाल’ ने 9 घंटे में 2 बार दल बदल कर हरियाणा के मुख्यमंत्री भगवत दयाल शर्मा की कांग्रेस सरकार गिराने और...

लम्बे समय से दल-बदलुओं के लिए विख्यात रहे हरियाणा में ‘आया राम गया राम’ परम्परा 1967 में शुरू हुई। तब हसनपुर सुरक्षित विधानसभा सीट से विधायक ‘गया लाल’ ने 9 घंटे में 2 बार दल बदल कर हरियाणा के मुख्यमंत्री भगवत दयाल शर्मा की कांग्रेस सरकार गिराने और राव वीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में संविद सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। फिर 1977 में हरियाणा में चौ. देवी लाल की सरकार जब संकट में आ गई तब उनकी सरकार में मंत्री भजन लाल, तेजाखेड़ा फार्म पर देवी लाल द्वारा ठहराए हुए विधायकों को वहां से निकाल कर ले गए और अंतत:  29 जून,1979 को देवी लाल सरकार गिराकर खुद मुख्यमंत्री बन गए। 

और जब जनता पार्टी के पतन के बाद भजन लाल को लगा कि इंदिरा गांधी अब उनकी सरकार गिराने वाली हैं तो 22 जनवरी, 1980 को उन्होंने अपने 37 विधायकों को लेकर पूरी जनता सरकार का कांग्रेस में विलय करके अपनी सरकार बचा ली और इसे कांग्रेस की सरकार बना दिया। चुनावों में पाॢटयों द्वारा टिकट कटने से नाराज अनेक टिकट अभिलाषियों ने बड़े पैमाने पर दल-बदल का जो खेल खेला उसने ऊपर दिए गए ‘महा दल बदल’ की याद ताजा करा दी है जिनमें से अनेक ने नामांकन पत्र भरने के अंतिम दिन निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में पर्चे भर दिए। कुछ ही महीने पहले भाजपा में शामिल हुए पुंडरी से निर्दलीय विधायक दिनेश कौशिक पार्टी टिकट के चाहवान थे परंतु जब भाजपा ने उन्हें टिकट न दिया तो उन्होंने फिर पाला बदल कर निर्दलीय के रूप में पर्चा भर दिया। 

इसी प्रकार करनाल जिला परिषद की चेयरमैन ऊषा मेहला के पति संजय मेहला को पार्टी ने असंध से टिकट देने से इंकार कर दिया तो वह भी निर्दलीय उम्मीदवार बन गए। पिहोवा से भाजपा टिकट के चाहवान स्वामी संदीप ओंकार के अलावा भी अनेक वरिष्ठ भाजपा नेता सोमवीर सांगवान (दादरी), बलराज कुंडू (मेहम), पवन खरखौदा (खरखौदा सुरक्षित) और शिवशंकर भारद्वाज (भिवानी) भी भगवा पार्टी को अलविदा कह कर अपनी पार्टी के विरुद्ध चुनाव मैदान में उतर पड़े हैं। पूर्व मंत्री तथा वरिष्ठï कांग्रेस नेता सतपाल सांगवान व भूपेंद्र मलिक पहले ही जजपा में शामिल होकर टिकट हासिल कर चुके हैं जबकि बलराज कुंडू ने मेहम, पवन ने खरखौदा और शंकर भारद्वाज ने भिवानी से पर्चा भर दिया है। 

1978 से कांग्रेस से जुड़े तथा 4 बार के विधायक निर्मल सिंह भी ‘विद्रोही’ हो गए। इस बार कांग्रेस से टिकट न मिलने पर न सिर्फ उन्होंने अम्बाला शहर से निर्दलीय पर्चा भर दिया है बल्कि अपनी बेटी चित्रा को भी अम्बाला छावनी से निर्दलीय उम्मीदवार बना दिया है। पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता राकेश कम्बोज भी टिकट न मिलने पर इंद्री से निर्दलीय खड़े हो गए हैं। गत वर्ष दोफाड़ होने का सर्वाधिक प्रभाव इनैलो पर पड़ा है जिसके अधिकांश सदस्य भाजपा में शामिल हो गए हैं। इनैलो छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए सतीश नांदल को गढ़ी सांपला-किलोई से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विरुद्ध खड़ा किया गया है। इनैलो से कई दशकों से जुड़े इसके उपाध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने पार्टी से दशकों पुराना नाता तोड़ कर कांग्रेस का हाथ थामा तो कांग्रेस ने भी उन्हें थानेसर से टिकट थमा दिया। 

पूर्व इनैलो मंत्री स्व. जसविंद्र सिंह संधू के बेटे गगनदीप संधू तथा इनैलो के पूर्व विधायक प्रदीप चौधरी कांग्रेस में जबकि वरिष्ठï इनैलो नेता रामपाल माजरा भाजपा में शामिल हो गए हैं। इसी प्रकार पूर्व कांग्रेस विधायक शारदा राठौर भी भाजपा में चली आई हैं। हरियाणा में शिअद के इकलौते विधायक बलकौर सिंह ने इसे अलविदा कह कर भाजपा का दामन थाम लिया तथा शिअद के आपत्ति करने के बावजूद भाजपा ने उन्हें कालांवाली (सुरक्षित) सीट से टिकट देकर पुरस्कृत किया है। बसपा के एकमात्र विधायक भी भाजपा से जा मिले हैं। 

5 निर्दलीय विधायकों में से 4 भाजपा में शामिल हो गए और वे सभी भाजपा के टिकट के दावेदार थे परंतु भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया  जबकि एक अन्य निर्दलीय विधायक जयप्रकाश वापस कांग्रेस में जाकर अपने निर्वाचन क्षेत्र कलायत से टिकट पाने में सफल हो गए। यही नहीं जहां टिकटों के वितरण से असंतुष्टï पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर ने पार्टी से त्यागपत्र दे कर इसकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं, वहीं दो पूर्व विधायकों राधेश्याम शर्मा (निर्दलीय,महेंद्रगढ़) तथा अनिल ठक्कर (कांग्रेस, सोनीपत) के अलावा महेंद्रगढ़ कांग्रेस सेवा दल के जिला अध्यक्ष सतीश शर्मा ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है। इनके अलावा भी अन्य टिकट अभिलाषियों ने पाले बदले हैं। अब यह तो 24 अक्तूबर को परिणाम आने के दिन ही पता चलेगा कि दल बदलुओं को मतदाताओं ने कितना ठुकराया और कितना गले लगाया।—विजय कुमार   

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!