भारत में हिन्दू-मुस्लिम एकता के अटूट बंधन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Jun, 2017 09:49 PM

inclusiveness of hindu muslim unity in india

इन दिनों जबकि देश में ‘बीफ’ तथा अन्य संवेदनशील मुद्दों को लेकर.....

इन दिनों जबकि देश में ‘बीफ’ तथा अन्य संवेदनशील मुद्दों को लेकर विषाक्त वातावरण बना हुआ है, स्वार्थी तत्वों द्वारा साम्प्रदायिक वातावरण खराब करने के प्रयासों के बावजूद  देश में लोगों का एक-दूसरे के प्रति व्यवहार बार-बार गवाही दे रहा है कि हमारे भाईचारे के बंधन अटूट हैं: 

उत्तर प्रदेश में आगरा स्थित एक मंदिर के प्रांगण में पूजा कुशवाहा नामक 12वीं कक्षा की छात्रा बच्चों को पवित्र कुरान पढ़ाती है। अपने घर में बच्चों के लिए कुरान की क्लासें लगाने वाली अपनी पड़ोसी महिला को देख कर उसके मन में भी अरबी सीखने की इच्छा जागी और जल्दी ही इसमें महारत प्राप्त करके उसने बच्चों को कुरान पढ़ाना शुरू कर दिया। उसने पहले अपने घर में और फिर जगह कम पड़ जाने पर एक स्थानीय मंदिर के प्रबंधकों की अनुमति लेकर मंदिर के प्रांगण में क्लासें लगानी शुरू कर दीं जो आज काफी सफल हैं। 

पूजा को धाराप्रवाह उर्दू बोलते और कुरान की आयतों की व्याख्या करते हुए देख कर सभी अभिभूत हो जाते हैं। पूजा के इस प्रयास की नगर की अनेक मुस्लिम संस्थाओं ने सराहना की है। राजस्थान में सीकर जिले की सीमा पर बसे कोलिडा गांव में हिन्दुओं द्वारा बनवाए जा रहे ‘सूरजमल माता मंदिर’ के लिए जमीन कम पड़ गई तो गांव की मुस्लिम बिरादरी के सदस्यों ने नवम्बर, 2016 में निर्माणाधीन मंदिर की बगल में अपने कब्रिस्तान में से लाखों रुपए मूल्य की जमीन मंदिर को दान कर दी। 

मेरठ के लिसाड़ी गेट इलाके की खुशहाल कालोनी में एक मुसलमान परिवार के साथ 20 वर्षों से रह रहे रमेश भाटिया की बीमारी जब गंभीर रूप धारण कर गई तो अस्पताल वालों के जवाब दे देने पर वे उसे अपने घर ले आए और अंतिम समय तक उसकी सेवा करते रहे। रमेश की मृत्यु के बाद मुस्लिम परिवार के ही सदस्यों ने उसकी अर्थी को कंधा देकर श्मशानघाट पहुंचाया और परिवार के ही एक सदस्य ने मुखाग्रि दी। रमेश को परिवार की बेटियां राखी बांधती और अपने सगे भाई की तरह मानती थीं। 

वाराणसी में रमजान के पहले दिन एक इफ्तार पार्टी में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच नामक एन.जी.ओ. के हिन्दू सदस्यों ने ‘काऊ मिल्क पार्टी’ का आयोजन किया। मंच के सदस्यों ने अपने हाथों से गाय के दूध और खजूरों के साथ रोजा रखने वालों का रोजा खुलवाया और स्वयं भी पहला रोजा रख कर मुसलमान भाइयों के प्रति अपना सम्मान दिखाया। इस अवसर पर मुसलमान भाइयों ने गाय न काटने का संकल्प भी लिया। 

केरल के मुस्लिम बहुल ‘मलप्पुरम’ गांव में स्थित पुन्नाथाला के ‘नरसिंहमूर्ति मंदिर’ के प्रबंधकों ने रोजा रखने वाले 500 लोगों के लिए ‘इफ्तार’ पार्टी का आयोजन किया। मंदिर से जुड़े हिन्दुओं ने रोजा रखने वालों के लिए शुद्ध शाकाहारी पकवान बनाए जिसे रोजा रखने वालों ने प्यार से ग्रहण किया। उक्त मंदिर की अवस्था बड़ी जर्जर थी और इसे मुरम्मत की जरूरत थी। गांव के मुस्लिम भाईचारे के सदस्यों ने इसके लिए 20 लाख रुपए इकट्ठा करके दिए और मुस्लिम युवाओं ने जीर्णोद्धार के दौरान श्रम दान भी किया। 

मुजफ्फरनगर की जेल में बंद 1174 मुसलमान कैदियों के साथ-साथ लगभग 32 हिन्दू कैदी भी पूरे दिन का रोजा रख रहे हैं। जेल प्रबंधन ने रोजा रखने वालों के लिए विशेष भोजन की व्यवस्था की है और उन्हें अन्य वस्तुओं के साथ-साथ दूध और मेवे भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि प्रख्यात फिल्मकार महेश भट्टï भी अपनी दिवंगत मां को श्रद्धांजलि स्वरूप रमजान के महीने में रोजे रखते हैं। भाईचारे के उक्त उदाहरण अकाट्य प्रमाण हैं कि समाज को धर्म के आधार पर बांटने की स्वार्थी तत्वों की कोशिशें कभी भी कामयाब नहीं हो सकतीं। अंतत: ऐसे तत्वों को मुंह की ही खानी पड़ेगी और भारत का ‘सर्वधर्म समभाव’ का स्वरूप इसी तरह कायम रहेगा। —विजय कुमार 

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