धार्मिक अल्पसंख्यकों पर पाक में बढ़ रहे अत्याचार

Edited By ,Updated: 01 Dec, 2022 04:05 AM

increasing atrocities on religious minorities in pakistan

विभाजन के बाद पाकिस्तान में रह गए हिंदू, सिख, ईसाई व अहमदिया आदि अल्पसंख्यकों पर इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा हिंसा, भेदभाव, ईश निंदा, धर्मांतरण, लड़कियों के अपहरण, बलात्कार व जबरन विवाह का सिलसिला जारी है।

विभाजन के बाद पाकिस्तान में रह गए हिंदू, सिख, ईसाई व अहमदिया आदि अल्पसंख्यकों पर इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा हिंसा, भेदभाव, ईश निंदा, धर्मांतरण, लड़कियों के अपहरण, बलात्कार व जबरन विवाह का सिलसिला जारी है। 

कभी पाकिस्तान के शहरों में अल्पसंख्यकों की संख्या 15 प्रतिशत तक थी जो अब 4 फीसदी से भी कम हो गई है। वहां अल्पसंख्यकों को न आसानी से रोजगार मिलता है और न ही व्यवसाय शुरू करने के लिए ऋण। स्कूलों में अल्पसंख्यकों के विरुद्ध घृणा का पाठ भी पढ़ाया जाता है। इसी कारण पाकिस्तान के अकेले सिंध प्रांत के विभिन्न शहरों से पिछले 5 वर्षों के दौरान 30,000 से अधिक हिंदू समुदाय के सदस्य धार्मिक वीजा लेकर भारत पहुंचे लेकिन उनमें से 40 प्रतिशत से कम लोग ही वापस गए। 

पिछले एक महीने में ही सिंध प्रांत में 16 नाबालिग हिन्दू लड़कियों और महिलाओं का अपहरण कर उनका धर्म परिवर्तन कराने के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों से विवाह करवाया गया। अब तो पाकिस्तान में हिन्दू लड़कों का भी जबरन धर्मांतरण करवाया जाने लगा है। सिंध के लारकाना स्थित ‘जामिया इस्लामिया मस्जिद’ में 9 अक्तूबर को एक हिन्दू युवक का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया गया। 

सिख समुदाय के सदस्यों पर अत्याचार जारी रहने के कारण यह समुदाय भी हाशिए पर आ गया है तथा सिख लड़कियों का अपहरण और जबरन धर्मांतरण के बाद उनका मुस्लिम समुदाय के युवकों से निकाह करवाया जा रहा है। 20 अगस्त को एक सिख युवती का अपहरण कर बंदूक के बल पर उसका बलात्कार और धर्म परिवर्तन कराने के बाद उसकी शादी उसके अपहरणकत्र्ता से करवा दी गई। उसके परिवार ने सहायता के लिए पुलिस से गुहार लगाई परंतु निराशा ही हाथ लगी। 

इसी प्रकार खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के ‘पीर बाबा’ में एक सिख अध्यापक का अपहरण कर उसका जबरन धर्मांतरण किए जाने के विरुद्ध इलाके में रोष भड़क उठा। लगातार ऐसे मामले सामने आने से पाकिस्तान में सिख समुदाय का अस्तित्व भी खतरे में है। कराची, लाहौर, फैसलाबाद और पेशावर शहरों के अलावा गांवों में बड़ी संख्या में रहने वाले ईसाई समुदाय के सदस्य भी इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। वहां ईसाई समुदाय से संबंधित तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री शहबाज भट्टी की 2011 में तालिबान आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी जबकि 2013 में पेशावर स्थित एक गिरजाघर पर आत्मघाती हमले में इस समुदाय के दर्जनों लोग मारे गए। 

अगस्त, 2021 में बहावलपुर के यजमान शहर में मोहम्मद वसीम नामक व्यक्ति ने अनीता नामक एक ईसाई युवती का जबरन धर्मांतरण करवाने के बाद उससे शादी कर ली और उसे एक कमरे में बंद कर बार-बार उसके साथ बलात्कार किया। इसी वर्ष जनवरी में पेशावर शहर में अज्ञात बंदूकधारियों ने एक पादरी की हत्या कर दी जबकि साथी पादरी घायल हो गया। यहीं पर बस नहीं, पाकिस्तान में रहते अहमदिया समुदाय के सदस्य भी इस्लामी कट्टरपंथियों, जिन्हें अक्सर कानून और प्रशासन की मौन स्वीकृति रहती है, के निशाने पर आए हुए हैं। 

पाकिस्तानी संसद ने 1974 में अहमदिया मुस्लिम जमात को गैर मुस्लिम घोषित किया था और 1984 में जनरल जिया उल हक ने अध्यादेश पारित करके अहमदी समुदायों के उन सभी कामों पर पाबंदी लगा दी जिनसे वे मुसलमान जाहिर होते हों। इस कानून के अंतर्गत हजारों अहमदियों की हत्या कर दी गई। आज भी पाकिस्तान की जेलों में अहमदिया समुदाय के अनेक सदस्य सजा काट रहे हैं। लाहौर की मस्जिद में 92 मासूम अहमदियों की नमाज पढ़ते हुए गोलियां मार कर 2010 में हत्या कर दी गई थी। 

अहमदिया समुदाय के धर्म स्थलों को अपवित्र भी किया जा रहा है। इसी 22 नवम्बर को लाहौर से लगभग 100 किलोमीटर दूर हाफिजाबाद जिले में स्थित प्रेमकोट कब्रिस्तान में असहिष्णु तत्वों ने अहमदियों की 4 कब्रों पर अहमदी-विरोधी अपशब्द लिख दिए। कुल मिलाकर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को दबाने के लिए ईशनिंदा कानून का भारी दुरुपयोग किया जा रहा है तथा इसके अंतर्गत बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक जेलों में बंद कर दिए गए हैं जिसे रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाना चाहिए।—विजय कुमार

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!