राजधानी की जीवन रेखा ‘मैट्रो’ में बढ़ती चोरी और जेबतराशी

Edited By Pardeep,Updated: 17 Nov, 2018 04:03 AM

increasing theft and jeebastasi in the capital s life line  metro

दिल्ली मैट्रो रेल निगम लिमिटेड (डी.एम.आर.सी.) द्वारा संचालित मैट्रो रेल भारत की राजधानी दिल्ली की परिवहन व्यवस्था है। इसकी शुरूआत 24 दिसम्बर, 2002 को शाहदरा-तीस हजारी लाइन से हुई थी। 229 स्टेशनों, 314 किलोमीटर लम्बे ट्रैक और 10 लाइनों वाली यह भारत...

दिल्ली मैट्रो रेल निगम लिमिटेड (डी.एम.आर.सी.) द्वारा संचालित मैट्रो रेल भारत की राजधानी दिल्ली की परिवहन व्यवस्था है। इसकी शुरूआत 24 दिसम्बर, 2002 को शाहदरा-तीस हजारी लाइन से हुई थी। 229 स्टेशनों, 314 किलोमीटर लम्बे ट्रैक और 10 लाइनों वाली यह भारत में सबसे बड़ी और व्यस्ततम तथा दुनिया की 9वीं सबसे लम्बी मैट्रो प्रणाली है। 

डी.एम.आर.सी. प्रतिदिन मैट्रो के 2700 से अधिक फेरे संचालित करती है। मैट्रो सेवा सुबह 5 बजे से शुरू होकर रात 11.30 बजे तक जारी रहती है और दिल्ली वासियों के लिए जीवन रेखा जैसी बन गई है परंतु प्रतिवर्ष 100 करोड़ से अधिक लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने वाली इस रेल सेवा को अब कानून-व्यवस्था संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 4 मई, 2017 को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंस राज गंगा राम अहीर ने दिल्ली पुलिस के हवाले से एक सवाल के जवाब में राज्यसभा में बताया था कि दिल्ली मैट्रो में उस वर्ष प्रतिदिन चोरी के 52 मामले सामने आए। 

मैट्रो पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मैट्रो में मुख्य अपराध चोरी है। यहां कई ऐसे गिरोह काम कर रहे हैं जो यात्रियों की जेब से नकदी, मोबाइल व अन्य कीमती सामान चोरी करते हैं। पुलिस ऐसे बदमाशों को आए दिन गिरफ्तार भी करती है लेकिन जेल से बाहर आने के बाद वे दोबारा इसी काम में जुट जाते हैं जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं। इस वर्ष अक्तूबर तक हुई जेबें काटने की 499 घटनाओं में से 468 घटनाओं में महिला जेबकतरियों का हाथ पाया गया। दिल्ली मैट्रो में लेडी चोर गैंग की सक्रियता दिन-प्रति-दिन बढ़ रही है। ये हमेशा समूह में ट्रेनों के गेट के आसपास ही रहती हैं और काम होते ही अगले स्टेशन पर उतर जाती हैं। अधिकांश घटनाएं पीक ऑवर तथा भीड़भाड़ वाले स्टेशनों पर होती हैं। 

कुछ चोरनियां गोद में छोटे-छोटे बच्चों के साथ मैट्रो में यात्रा करती हैं और अपने शिकार को घेर कर खड़ी हो जाती हैं। फिर बच्चा संभालने के बहाने धक्कामुक्की करते हुए अपने शिकार का ध्यान बंटा कर उसका पर्स, मोबाइल या अन्य वस्तुएं उड़ा देती हैं। मैट्रो में ये चोरनियां 2006 से सक्रिय हैं। मैट्रो में पुरुषों के गिरोह शाम को सक्रिय होते हैं। ये गेट के पास या दो कोच को जोडऩे वाली जगह पर शिकार को घेर कर खड़े होते हैं। एक जेब-कतरा शिकार की जेब से मोबाइल या पर्स निकाल कर पीछे खड़े अपने दूसरे साथी को देता है और दूसरा साथी तीसरे की ओर बढ़ा देता है। 

कई बार शिकार को घेर कर खड़ा चोर समूह उसके पैर पर अपना पैर रख देता है या उसे धक्का मार देता है और कई बार वे लोग आपस में झूठमूठ की बहस भी करने लग जाते हैं। इससे शिकार का ध्यान बंट जाता है और इसी दौरान मौके का फायदा उठा कर गिरोह के दूसरे सदस्य अपने शिकार की जेब साफ कर देते हैं। चोरी के अलावा मैट्रो में अवैध शस्त्रास्त्र ले जाने के अनेक मामले भी सामने आ रहे हैं। मात्र इसी वर्ष अभी तक 27 मामले पकड़े गए हैं जबकि 2017 में इसी अवधि के दौरान यह संख्या 20 और 2016 में 17 थी। बहरहाल अब मैट्रो में चोरी और अन्य अपराध रोकने के लिए पुलिस अनेक प्रबंध कर रही है। इनमें पीक ऑवर्स में स्टेशन परिसरों में पुलिस की मौजूदगी बढ़ाना, शिकायतों पर एक्शन लेना, सी.सी.टी.वी. सर्विलांस पर जोर देना, स्टेशनों पर नए पुलिस बूथ बनाना, चोरों को रंगे हाथों पकडऩे वाले लोगों को सम्मानित करना आदि शामिल है। 

इसके अलावा सी.आई.एस.एफ. के साथ को-आर्डीनेशन बढ़ाना और सादे कपड़ों में पुलिस कर्मियों की पैसेंजर के रूप में ट्रेनों के अंदर ड्यूटी लगाने जैसे कदम भी उठाए जा रहे हैं। अनेक अपराधी तत्वों को तड़ीपार घोषित करने की तैयारी भी चल रही है। इन सब पगों को जितनी जल्दी लागू किया जा सके उतना ही अच्छा होगा और मैट्रो की यात्रा उतनी ही सुरक्षित और सुखद तथा आरामदेह हो सकेगी।—विजय कुमार 

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