Edited By Pardeep,Updated: 26 Oct, 2018 04:34 AM
इसी वर्ष के अंत में पांच राज्यों तथा अगले वर्ष के आरंभ में होने वाले लोकसभा के चुनाव को देखते हुए विभिन्न राजनीतिक दलों ने आपसी महागठबंधन के प्रयास शुरू कर दिए हैं। एक ओर जहां देश में विरोधी दलों का महागठबंधन बनाने की प्रक्रिया फिलहाल धीमी चल रही है...
इसी वर्ष के अंत में पांच राज्यों तथा अगले वर्ष के आरंभ में होने वाले लोकसभा के चुनाव को देखते हुए विभिन्न राजनीतिक दलों ने आपसी महागठबंधन के प्रयास शुरू कर दिए हैं। एक ओर जहां देश में विरोधी दलों का महागठबंधन बनाने की प्रक्रिया फिलहाल धीमी चल रही है तो दूसरी ओर देश पर शासन करने वाले अनेक राजनीतिक परिवार आपसी कलह और फूट का शिकार हो रहे हैं।
इनमें राकांपा सुप्रीमो शरद पवार, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव, इनैलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला, राजद सुप्रीमो लालू यादव और छत्तीसगढ़ के पूर्व कांग्रेसी नेता अजीत जोगी आदि के परिवार शामिल हैं। महाराष्टï्र में राकांपा सुप्रीमो शरद पवार के परिवार की तीसरी पीढ़ी में झगड़ा फूट पड़ा है और वे पार्टी में हिस्सेदारी की दावेदारी पर उतर आए हैं। जहां शरद पवार ने अपने भतीजे अजीत पवार के बेटे पार्थ को लोकसभा का संभावित उम्मीदवार बनाने से इंकार कर दिया है, वहीं अपने दूसरे भतीजे राजेंद्र के बेटे रोहित की भी राजनीतिक आकांक्षाओं पर ब्रेक लगा दी है।
शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने भी यह कह कर पार्थ की उम्मीदवारी पर लकीर फेर दी है कि शरद पवार की इच्छा के बिना परिवार से कोई भी सदस्य 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगा। इससे शरद पवार के परिवार में असंतोष कुलबुलाने लगा है। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ रह चुकी मुलायम सिंह यादव की सपा पर जहां उनके बेटे अखिलेश का प्रभुत्व हो चुका है वहीं नाराज चल रहे अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव ने अखिलेश और सपा से अलग होकर अपनी अलग ‘प्रगतिशील समाजवादी पार्टी’ बनाकर चुनाव लडऩे की तैयारी शुरू कर दी है।
हरियाणा के चौटाला परिवार में कलह और फूट भी खुल कर सामने आ गई है। इसकी नींव इसी 7 अक्तूबर को गोहाना में इनैलो की रैली में उस समय पड़ी जब सांसद दुष्यंत चौटाला व उनके भाई दिग्विजय के कथित समर्थकों ने प्रतिपक्ष के नेता व उनके चाचा अभय चौटाला के विरुद्ध हूटिंग कर दी थी। इससे नाराज होकर इनैलो चीफ ओम प्रकाश चौटाला ने अपने दोनों पोतों दुष्यंत और दिग्विजय के विरुद्ध अनुशासनहीनता की कार्रवाई तक कर डाली और दुष्यंत को कारण बताओ नोटिस देते हुए पार्टी से निलंबित कर दिया तथा छोटे पौत्र दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाले इनैलो के छात्र विंग इनसो (इंडियन नैशनल स्टूडैंट्स आर्गेनाइजेशन) को भी भंग कर दिया है।
जहां दुष्यंत और दिग्विजय द्वारा प्रदेश में अपनी अलग से बैठकों का दौर चल रहा है, वहीं उनके चाचा अभय सिंह चौटाला भी शनिवार से बैठकों का सिलसिला शुरू करने जा रहे हैं। अब देखना है कि इस बड़े राजनीतिक परिवार की अंतर्कलह आने वाले दिनों में क्या रूप धारण करती है। चारा घोटाले में सजा काट रहे राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का परिवार भी कलह का शिकार है। पिछले महीने खबर आई थी कि लालू एकदम अकेले पड़ गए हैं। उन्हें देखने के लिए तेजस्वी, तेज प्रताप और राज्यसभा सांसद बड़ी बेटी मीसा भारती में से कोई नहीं जाता।
राजनीति में स्वयं को ‘किंग मेकर’ बताने वाले लालू अपने ही बेटों को काबू नहीं कर पा रहे। तेजस्वी और तेज प्रताप में मतभेदों की चर्चा कुछ समय से सुनाई दे रही है जिससे परिवार और पार्टी दोनों मुश्किल में हैं। दरअसल तेज प्रताप चाहते हैं कि उनसे बिना पूछे पार्टी में कोई फैसला न लिया जाए। इस बीच मीसा भारती का भी यह बयान आ चुका है कि दोनों भाइयों में मनमुटाव है। छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी के परिवार की 4 प्रमुख शख्सियतें अलग-अलग राजनीतिक पाॢटयों में अपनी किस्मत आजमा रही हैं।
वर्ष 2016 में कांग्रेस से अलग हुए अजीत जोगी और उनके बेटे अमित जोगी ने कांग्रेस से गठबंधन करने से इंकार कर दिया है और अपनी पार्टी ‘जनता कांग्रेस’ (हल) का बसपा से गठबंधन करके कांग्रेस से दो-दो हाथ करने जा रहे हैं। उनकी बहू रिचा बसपा में शामिल होकर हाथी पर सवार हो गई है जबकि अजीत जोगी की पत्नी रेणु अभी भी कांग्रेस में है। यदि उक्त राजनीतिक परिवारों का यह हाल है और ये स्वयं फूट का शिकार हैं तो यह प्रश्र उठना कुदरती ही है कि इन दलों का क्या बनेगा और ये दल ‘गठबंधन’ का क्या लाभ कर पाएंगे और क्या यह प्रस्तावित ‘गठबंधन’ ‘घटबंधन’ बन कर तो नहीं रह जाएगा?—विजय कुमार