देश में बढ़ रही ‘बेरोजगार’ युवक-युवतियों की फौज

Edited By ,Updated: 15 Jan, 2019 03:00 AM

increasingly unemployed youth in the country

देश में 3 करोड़ से अधिक युवा बेरोजगार हैं। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के समय श्री नरेन्द्र मोदी ने युवाओं के लिए 1 करोड़ नौकरियां सृजित करने का वायदा किया था, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ। ‘स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया 2018’ की रिपोर्ट के अनुसार इस समय पिछले...

देश में 3 करोड़ से अधिक युवा बेरोजगार हैं। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के समय श्री नरेन्द्र मोदी ने युवाओं के लिए 1 करोड़ नौकरियां सृजित करने का वायदा किया था, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ। 

‘स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया 2018’ की रिपोर्ट के अनुसार इस समय पिछले 20 वर्षों में देश में बेरोजगारी उच्च स्तर पर है तथा यहां ज्यादातर लोग इतनी भी कमाई नहीं कर पा रहे जिससे जीवन गुजार सकें। इसीलिए लोगों का झुकाव सरकारी नौकरियों की ओर बढ़ रहा है लेकिन सरकारी नौकरियां हैं कहां? इसी तरह ‘सैंटर फार मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी’(सी.एम.आई.ई.) की रिपोर्ट के अनुसार दिसम्बर, 2018 में अनुमानित बेरोजगारी की दर 7.38 प्रतिशत के 27 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई जबकि दिसम्बर, 2017 में यह दर 4.78 प्रतिशत थी। 

इस हिसाब से सितम्बर, 2016 के बाद देश में बेरोजगारी दर में काफी वृद्धि देखने को मिली है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में कुल 1.09 करोड़ वेतनभोगी कर्मचारी बेरोजगार हुए हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सरकारी नौकरियों में कमी को लेकर अक्सर अपना पक्ष रखते रहे हैं। उन्होंने 4 जनवरी को नागपुर में युवकों के एक समारोह में भाषण करते हुए कहा है कि ‘‘इस समय देश को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है उनमें बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है तथा उपलब्ध रोजगार एवं बेरोजगारों की संख्या के बीच अंतर होने के कारण हर कोई सरकारी नौकरी नहीं प्राप्त कर सकता।’’ 

‘‘रोजगार के अवसर पैदा करना किसी भी सरकार की वित्तीय नीति का मुख्य भाग होता है और इस पर विचार करने की जरूरत है कि देश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में रोजगार के नए अवसर कैसे पैदा किए जाएं।’’ एक ओर देश में बेरोजगारी इस हद तक बढ़ी हुई है तथा दूसरी ओर यह भी एक विडम्बना ही है कि न सिर्फ सरकार रोजगार के नए अवसर सृजित करने में बल्कि देश में पहले से सृजित और वर्षों से खाली पड़े लाखों पद नई नियुक्तियां करके भरने में भी विफल सिद्ध हो रही है। केंद्रीय और राज्य सरकारों में 29 लाख से अधिक पद खाली हैं। 

अकेले शिक्षा के क्षेत्र में ही 13 लाख से अधिक पद खाली पड़े हैं। इनमें 9 लाख एलीमैंट्री अध्यापक और 4.17 लाख सर्वशिक्षा अभियान के अंतर्गत अध्यापकों के रिक्त स्थान हैं। सैकेंडरी स्तर के अध्यापकों के एक लाख पद खाली हैं। केंद्रीय विद्यालयों में ही अगस्त, 2018 में 7885 अध्यापक कम थे। पुलिस विभाग में 4.43 लाख पद खाली पड़े हैं। इसके अलावा अगस्त, 2018 में सी.आर.पी.एफ. तथा असम राइफल्स में 61,578 स्थान रिक्त थे। विभिन्न मंत्रालयों व सरकारी विभागों में 36.3 लाख स्वीकृत पदों में से 4.12 लाख पद रिक्त पड़े हैं। रेलवे में 2.53 लाख स्थायी पद रिक्त पड़े हैं और इस समय रेलवे में अराजपत्रित काडर में 17 प्रतिशत स्थान खाली हैं। 

केंद्र सरकार द्वारा सभी राज्यों के लिए आंगनबाड़ी वर्करों के 14 लाख और आंगनबाड़ी सहायकों के कुल स्वीकृत 12 लाख पदों में क्रमश: 1.06 लाख और 1.16 लाख पद खाली पड़े हैं। आई.ए.एस., आई.पी.एस. और आई.एफ.एस. जैसे विभिन्न उच्च स्तरीय पदों पर क्रमश: 1449, 970 और 30 स्थान रिक्त हैं। सुप्रीमकोर्ट में जजों के 9, हाईकोर्टों में 417 तथा अधीनस्थ अदालतों में जजों के 5436 स्थान खाली हैं। एम्स दिल्ली में 304 फैकल्टी सदस्य कम हैं और यही हाल अन्य विभागों का भी है। ऐसे में जहां देश में रोजगार के नए अवसर सृजित करने की आवश्यकता है वहीं बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार में खपाने के लिए बड़ी संख्या में नई ऋण एवं प्रोत्साहन योजनाएं शुरू करने की भी जरूरत है ताकि बेरोजगारी से तंग युवा गलत और देश तथा समाज के लिए हानिकारक रास्ते पर न चल पड़ें।—विजय कुमार 

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