भारतीय जेलें बनीं ‘गैस्ट हाऊस’ मोटी रकम देकर हर सुविधा पाना संभव

Edited By ,Updated: 27 Sep, 2019 12:43 AM

indian jails became  guest houses  by paying big money

हमारी जेलों में एक ऐसा दुष्चक्र चल रहा है जहां स्टाफ को मुंह मांगी रकम देकर कोई भी सुविधा हासिल की जा सकती है जिसमें टी.वी., मोबाइल या नशा सब शामिल है। कैदियों को सुविधाएं देने के बदले करोड़ों रुपए वसूल किए जाते हैं और बाकायदा ऊपर तक यह पैसा जाता...

हमारी जेलों में एक ऐसा दुष्चक्र चल रहा है जहां स्टाफ को मुंह मांगी रकम देकर कोई भी सुविधा हासिल की जा सकती है जिसमें टी.वी., मोबाइल या नशा सब शामिल है। कैदियों को सुविधाएं देने के बदले करोड़ों रुपए वसूल किए जाते हैं और बाकायदा ऊपर तक यह पैसा जाता है। 

2011 से 2018 तक पंजाब की विभिन्न जेलों में बंद कैदियों से मिल कर पंजाब की जेलों की हालत जानने वाले आम आदमी पार्टी के नेता प्रो. तेज पाल सिंह के अनुसार जब वह कपूरथला जेल में गए तो वहां उन्होंने एक राजनीतिक दल के नेता के रिश्तेदार को चिकन खाते हुए देखा और उसके ‘कमरे’ में कसरत करने के लिए जिम का सामान भी मौजूद था। 

बंगलादेश के रास्ते घुसपैठ के आरोप में पकड़ा गया तथा ग्वालियर सैंट्रल जेल में बंद अहमद अलमक्की नामक घुसपैठिया कस्टडी में रहते हुए भी मोबाइल और लैपटाप का धड़ल्ले से इस्तेमाल करता रहा और भेद खुलने पर जेल में बनाए अपने नैटवर्क की सहायता से फरार हो गया। इंदौर के ‘संदीप तेल हत्याकांड’ के आरोपी रोहित सेठी ने उसे देहरादून पेशी पर ले जाने वाले पुलिस कर्मियों के साथ सांठगांठ करके देहरादून में पेशी निपटाने के बाद मसूरी जाकर गर्लफ्रैंड के साथ गुलछर्रे उड़ाए। 

इसी प्रकार तिहाड़ जेल के एक सहायक अधीक्षक पर जेल में कैदियों से मिलने के लिए पहुंचे उनके परिजनों को वी.आई.पी. सुविधाएं उपलब्ध करवाने और उन्हें जेल की देहरी के भीतर ले जाने के आरोप लगे। और अब एंटी क्रप्शन ब्यूरो की छापेमारी के बाद राजस्थान की अजमेर सैंट्रल जेल में बंद कैदियों द्वारा विशेष सुविधाएं और ‘वी.आई.पी. बैरकें’ प्राप्त करने के लिए 8 लाख रुपए मासिक तक खर्च करने का पता चला है। ए.सी.बी. के एक अधिकारी के अनुसार जांच के दौरान जेल के बैरक नंबर 1 से 15 तक में बंद अमीर कैदियों को स्वच्छ कमरा, स्वच्छ कपड़े और शौचालय, विशेष भोजन, फोन काल, सिगरेट, तम्बाकू, टैलीविजन आदि की विशेष सुविधाएं दी जा रही थीं। कैदियों से एक डिब्बा सिगरेट के लिए 12 से 15 हजार रुपए तक लिए जाते थे। इन विशेष सुविधाओं के बदले में पैसे का लेन-देन करने के लिए जेल का स्टाफ जेल से बाहर कैदियों के परिवार वालों से मिलता था। कुछ रकम नकद ली जाती जबकि कुछ ऑनलाइन ट्रांसफर की जाती थी। 

अजमेर जेल में जुलाई में पकड़े गए इस स्कैंडल में अभी तक 4 जेल अधिकारियों सहित 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिनमें 2 कैदी तथा एक कैदी का रिश्तेदार शामिल है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पिछले 2 वर्षों में इस स्कैंडल में कम से कम 2 करोड़ रुपए के वारे-न्यारे हुए हैं। इस प्रकार के स्कैंडलों का सामने आना निश्चय ही भारतीय जेलों में व्याप्त कुव्यवस्था और सुनियोजित ढंग से चल रहे भ्रष्टाचार का ज्वलंत उदाहरण है जिसे रोकने के लिए कठोर प्रशासकीय पग उठाने के साथ-साथ जेलों की निगरानी प्रणाली मजबूत करने की जरूरत है।—विजय कुमार 

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