चुनावों के मौके पर छोटे-बड़े नेताओं के उलटे-पुलटे बयान

Edited By ,Updated: 12 Apr, 2019 03:47 AM

inverted statement of small leaders on the occasion of elections

हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा वरिष्ठ राकांपा नेता शरद पवार भी अपने बयानों में राजनीतिज्ञों को विवादास्पद बयान देने से संकोच करने की नसीहत देते रहे हैं परंतु इस पर कतई अमल नहीं हो रहा। देश में चल रहे चुनावी मौसम...

हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा वरिष्ठ राकांपा नेता शरद पवार भी अपने बयानों में राजनीतिज्ञों को विवादास्पद बयान देने से संकोच करने की नसीहत देते रहे हैं परंतु इस पर कतई अमल नहीं हो रहा। देश में चल रहे चुनावी मौसम में तो यह बुराई अत्यधिक बढ़ गई है जिसके चंद उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

भाजपा सांसद वरुण गांधी ने कहा है कि ‘‘मुलायम सिंह ने 1990 में राम भक्तों पर गोलियां चलवा कर जो पाप किए हैं उसका उन्हें फल मिला है। उनके जीवन के अंत में क्या हुआ? उनके अपने बेटे अखिलेश यादव ने धक्का मार कर सड़क पर निकाल दिया...लोग कह रहे हैं कि सपा और बसपा एक हो गए हैं अगर ये एक हो भी गए हैं तो भी किस खेत की मूली हैं।’’रालोद नेता अजित सिंह ने कहा, ‘‘नरेंद्र मोदी झूठ नहीं बोलते बस उन्होंने आज तक सच नहीं बोला है। बच्चों को सिखाया जाता है कि सच बोलो परंतु मोदी के माता-पिता ने नहीं सिखाया।’’

अजित सिंह ने आगे कहा, ‘‘नरेंद्र मोदी इतने होशियार और शातिर आदमी हैं कि अगर वह श्रीलंका चले जाते तो लौट कर कहते कि रावण को मैंने ही मारा है क्योंकि देश में और किसी ने तो कुछ किया ही नहीं।’’ उन्होंने मोदी को महिलाओं का ‘पक्षधर’ बताते हुए कहा, ‘‘वह तीन तलाक, तीन तलाक करते रहते हैं परंतु अपनी पत्नी को एक बार भी तलाक नहीं बोला और छोड़ दिया।’’ 

बिजनौर में योगी आदित्य नाथ बोले, ‘‘1947 में बापू (महात्मा गांधी) ने कहा था कि ‘कांग्रेस का काम समाप्त हो गया है। अब इसका विसर्जन कर दो।’ वह जानते थे कि कांग्रेस का मतलब अब एक परिवार होने जा रहा है। बापू का सपना साकार करने के लिए भाई-बहन (राहुल और प्रियंका) आ चुके हैं। दोनों पार्टी का विसर्जन करेंगे।’’मायावती द्वारा मुसलमानों से अपने वोट बंटने न देने संबंधी की गई अपील पर योगी आदित्यनाथ ने मेरठ में एक सभा में कहा, ‘‘अगर कांग्रेस, सपा और बसपा को ‘अली’ पर विश्वास है तो हमें भी ‘बजरंग बली’ पर विश्वास है।’’ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के नजदीकियों पर आयकर के छापों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कमलनाथ को ‘भ्रष्टनाथ’ करार दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में एक भाषण में कहा था कि ‘‘केवल मेरे जैसा कोई 56 इंच की छाती वाला ही साहसपूर्ण निर्णय ले सकता है।’’ 

गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोधवडिया ने बनासकांठा जिले के दीसा शहर में एक जनसभा में भाषण के दौरान इसका उल्लेख करते हुए कहा : ‘‘एक स्वस्थ व्यक्ति की छाती 32 इंच होती है तथा बॉडी बिल्डर की छाती 42 इंच हो सकती है। केवल गधों की ही छाती 56 इंच की होती है। भक्तों (मोदी के प्रशंसकों) को यह बात समझ नहीं आती और जब कोई मोदी की छाती 56 इंच बताता है तो वे खुश हो जाते हैं।’’ सपा नेता आजम खान के विरुद्ध भड़काऊ बयान देने के आरोप में केस दर्ज किया गया है। रामपुर में एक सभा में उन्होंने कहा था कि ‘‘एक दिन के सजायाफ्ता कल्याण सिंह को गवर्नर बना दिया गया है।’’ इसी के साथ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘मुसलमानों का कातिल’ और ‘धर्म का ठेकेदार’ भी बताया। राकांपा नेता शरद पवार अमरावती में बोले, ‘‘सरकार चलाने की यू.पी.ए. की क्षमता के बारे में चिंता करने की नरेंद्र मोदी को जरूरत नहीं है। हम 10 वर्ष सरकार चला चुके हैं और अब फिर अच्छी तरह चला सकते हैं। मोदी एक ‘राष्ट्रीय आपदा’ हैं जिन्हें देश और संविधान बचाने के लिए हटाने की जरूरत है।’’ 

नरेंद्र मोदी द्वारा एक भाषण में, राकांपा के पारिवारिक झगड़े का उल्लेख करने पर शरद पवार ने कहा, ‘‘मैं अपने घर में खुश हूं। आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। आपको तो जीवन में कभी घर मिला ही नहीं।’’ममता बनर्जी का कहना है कि ‘‘पांच वर्ष पूर्व वह (नरेंद्र मोदी) एक ‘चाय वाला’ थे और अब अचानक वह ‘चौकीदार’ बन गए हैं...मैं उन्हें (मोदी) दंगाबाज व लुटेरा कहती हूं।’’ आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के अनुसार, ‘‘भाजपा 2014 के चुनाव घोषणापत्र में किए हुए अपने वायदे पूरे करने में विफल रही है और इसने सी.बी.आई. तथा अन्य स्वतंत्र एजैंसियों को धमका कर देश का लोकतांत्रिक ताना-बाना नष्ट कर दिया है।’’

राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता ही नहीं बल्कि निजी आक्षेपों से युक्त उक्त बयानों से स्पष्ट है कि हमारे राजनीतिज्ञों की भाषा का स्तर किस कदर गिर गया है।  इस प्रकार के बयानों से न सिर्फ देश में सत्तारूढ़ और विरोधी दलों के नेताओं के बीच दूरियां बढ़ रही हैं बल्कि आम जनता पर भी ऐसे बयानों का प्रतिकूल असर पडऩे के साथ-साथ कटुता ही बढ़ रही है।—विजय कुमार 

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