Edited By ,Updated: 07 Mar, 2020 03:09 AM
इस शताब्दी की भयंकरतम महामारी साबित होने जा रहे कोरोना के वायरस ने विश्व के एक बड़े हिस्से को लपेट में ले लिया है जिससे समूचा विश्व दहशत में है और लगभग 4000 लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं।
इस रहस्यमय वायरस का तोड़ तलाशने में जुटे वैज्ञानिक अभी तक...
इस शताब्दी की भयंकरतम महामारी साबित होने जा रहे कोरोना के वायरस ने विश्व के एक बड़े हिस्से को लपेट में ले लिया है जिससे समूचा विश्व दहशत में है और लगभग 4000 लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं। इस रहस्यमय वायरस का तोड़ तलाशने में जुटे वैज्ञानिक अभी तक अपने प्रयासों में सफल नहीं हो पाए। अलबत्ता चिकित्सा विशेषज्ञों ने कुछ बचावात्मक सुझाव अवश्य दिए हैं जिनमें एक सुझाव यह भी है कि लोग बार-बार अपने हाथों को सैनीटाइज करें और मुंह पर हाथ न फेरें। इसी को देखते हुए विश्व में लोग अभिवादन का तरीका बदल रहे हैं क्योंकि डाक्टरों का कहना है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति से 2 से अढ़ाई फुट तक की दूरी रखना आवश्यक है।
फ्रांस में लोगों ने एक-दूसरे से मिलने पर अभिवादन स्वरूप गाल चूमने का रिवाज त्यागा तो अमरीका में लोगों ने आपसी मुलाकात पर गले मिलना बंद करके हाथ हिला कर अभिवादन करना शुरू कर दिया है। न्यूजीलैंड में नाक से नाक रगड़ कर अभिवादन करने के पारंपरिक ‘माओरी’ तरीके पर रोक लगा दी गई है। आस्ट्रेलिया में लोगों को सलाह दी गई है कि वे अभिवादन स्वरूप हाथ मिलाने की बजाय एक-दूसरे की पीठ थपथपाएं। पाकिस्तान में लोगों को एक-दूसरे से हाथ मिलाने की बजाय अभिवादन का इस्लामी तरीका अपनाने अर्थात ‘अस्सलाम अलेकुम’ और उसके जवाब में ‘वालेकुम अस्सलाम’ कहने का परामर्श दिया गया है। बेशक भारत में भी हाथ मिलाकर अभिवादन करने की परम्परा प्रचलित है परंतु कोरोना से बचाव के लिए दोनों हाथ जोड़ कर नमस्ते या नमस्कार कहना हमारी प्राचीन संस्कृति का हिस्सा रहा है और पूर्णत: वैज्ञानिक तथा सुरक्षित होने के साथ-साथ अभिवादन की सर्वाधिक लोकप्रिय विधि है।
वैज्ञानिकों के अनुसार हाथ जोड़ कर नमस्कार या नमस्ते करने से व्यक्ति का हृदय चक्र और आज्ञा चक्र सक्रिय होते हैं जिससे शरीर में तीव्रतापूर्वक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, इसलिए ‘हाय-हैलो’ की बजाय हाथ जोड़ कर ‘नमस्कार’ या ‘नमस्ते’ करना सब प्रकार से लाभदायक है। संभवत: इसी को देखते हुए इसराईल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक संवाददाता सम्मेलन में अपने देश के लोगों को हाथ जोड़ कर अभिवादन का भारतीय तरीका ‘नमस्कार’ अथवा ‘नमस्ते’ अपनाने की सलाह दी है। इस बीच कुछ स्थानों पर लोगों द्वारा हाथ मिला कर या गले मिल कर अभिवादन करने के स्थान पर अब पैरों से पैर का स्पर्श करवा के अभिवादन करने का चलन शुरू होने का समाचार भी वायरल हो रहा है। बहरहाल, इसराईली प्रधानमंत्री का अभिवादन के लिए ‘नमस्ते’ अपनाने का परामर्श जहां प्राचीन भारतीय अभिवादन प्रणाली को श्रद्धांजलि है वहीं इसकी वैज्ञानिकता भी स्वयं सिद्ध है। अत: यदि सभी लोग अभिवादन के लिए हाथ मिलाने की ‘दूषित’ परम्परा का त्याग कर नमस्कार की विधि अपनाएं तो इससे इस जानलेवा संक्रमण से किसी सीमा तक बचाव अवश्य हो सकेगा।—विजय कुमार