भाजपा से जद (यू) और शिव सेना नाराज मोहन भागवत ने भी दी उनको नसीहत

Edited By ,Updated: 08 Jun, 2019 02:53 AM

jad u and shiv sena from bjp mohan bhagwat also gave them permission

भाजपा द्वारा अपनी पूर्व घोषणा के अनुरूप मंत्रिमंडल गठन में विजेता सहयोगी दलों को एक-एक पद देने पर जद (यू) और शिव सेना में नाराजगी पाई जा रही है। इसी कारण नीतीश कुमार ने जद (यू) को दिया गया एक मंत्री पद स्वीकार करने से इंकार कर दिया अलबत्ता इसके साथ...

भाजपा द्वारा अपनी पूर्व घोषणा के अनुरूप मंत्रिमंडल गठन में विजेता सहयोगी दलों को एक-एक पद देने पर जद (यू) और शिव सेना में नाराजगी पाई जा रही है। इसी कारण नीतीश कुमार ने जद (यू) को दिया गया एक मंत्री पद स्वीकार करने से इंकार कर दिया अलबत्ता इसके साथ ही यह अवश्य कहा कि उन्हें भाजपा नेतृत्व से कोई नाराजगी नहीं है। 

परंतु 2 दिन बाद ही 2 जून को नीतीश कुमार ने बिहार मंत्रिमंडल के विस्तार में भाजपा को एक भी पद न देकर और सभी 8 नए मंत्री जद (यू) से ही शामिल करके ‘जैसे को तैसा’ का संकेत भी दे दिया। इसी दिन बड़ा बयान देते हुए जद (यू) नेता के.सी. त्यागी ने घोषणा कर दी कि पार्टी कभी भी राजग नीत केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं बनेगी। शिव सेना भी इसी कारण भाजपा से नाराज है क्योंकि भाजपा ने महाराष्ट्र में जीतने वाले अपने 23 सदस्यों में से तो 7 को केंद्र में मंत्री बना दिया परंतु वहां 18 सीटें जीतने वाली सहयोगी शिव सेना का केवल एक ही मंत्री लिया है। 

शिव सेना को भारी उद्योग मंत्रालय देने पर नाराजगी जताते हुए संजय राऊत ने अमित शाह से उनका मंत्रालय बदलने की मांग करते हुए कहा है कि पार्टी को लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद दिया जाए। संजय राऊत ने कहा, ‘‘यह पद हमारी डिमांड नहीं बल्कि हमारा स्वाभाविक दावा और अधिकार है जो हमें मिलना ही चाहिए। भाजपा को पूर्ण बहुमत दिलाने में शामिल सहयोगी दलों को भी सम्मान मिलना जरूरी है।’’ संभवत: सहयोगी दलों के प्रति भाजपा नेतृत्व के ऐसे व्यवहार को देखते हुए ही भाजपा के अभिभावक संगठन आर.एस.एस. के प्रमुख मोहन भागवत को 4 जून को कहना पड़ा कि ‘‘चुनी हुई सरकारें सत्ता के दुरुपयोग को रोकने पर ध्यान दें। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुने गए लोगों में अपार शक्ति होती है परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि इसका दुरुपयोग किया जाए।’’ 

भागवत ने कहा, ‘‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने कितना अच्छा काम किया और कितने लोगों की मदद की। अहंकार सब कुछ छीन लेता है। यदि किसी भी पड़ाव पर सरकार लडख़ड़ाती हुई दिखाई देगी तो संघ सकारात्मक दृष्टिïकोण के साथ सलाह और सुझाव देगा।’’ अत: भाजपा नेतृत्व के लिए जरूरी है कि वह अपने पुराने सहयोगियों में नाराजगी पैदा होने से पहले ही उन्हें दूर करके अपने साथ जोड़े रखने की कोशिश करे।—विजय कुमार 

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