लालू यादव का कुनबा भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Jul, 2017 10:02 PM

lalu yadavs knot in the wake of allegations of corruption

लालू यादव एक निर्धन परिवार से उठ कर राजनीति में उच्च शिखर पर....

लालू यादव एक निर्धन परिवार से उठ कर राजनीति में उच्च शिखर पर पहुंचे। अपने लम्बे राजनीतिक सफर के दौरान वह केंद्र में पूरे 5 साल रेल मंत्री रहने के अलावा 3 बार बिहार के मुख्यमंत्री भी बने। बिहार के मुख्यमंत्री काल के दौरान 1997 में सामने आए 950 करोड़ रुपए के ‘चारा घोटाले’ में संलिप्तता के चलते उन्हें पद से त्यागपत्र देना पड़ा। 

इस केस में कुल 45 लोगों को आरोपी बनाया गया था तथा इस घोटाले में 16 साल बाद विशेष सी.बी.आई. अदालत ने 1 मार्च, 2012 को लालू, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र व 31 अन्य पर आरोप तय किए। अदालती कार्रवाई के लम्बे दौर के बाद 30 सितम्बर, 2014 को उक्त घोटाले में सी.बी.आई. ने लालू और जगन्नाथ मिश्र व 45 अन्य को दोषी ठहराया जिसके बाद 3 अक्तूबर को सी.बी.आई. अदालत ने लालू यादव को 5 साल के कारावास की सजा सुनाई परंतु बाद में उन्हें जमानत मिल गई। 

इस समय लालू पर 6 अलग-अलग मामले लंबित हैं तथा 8 मई, 2016 को सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर सभी मामलों में उनके विरुद्ध आपराधिक षड्यंत्र के आरोपों के अंतर्गत अलग-अलग मुकद्दमे चलाए जा रहे हैं। इस बीच 15 नवम्बर, 2015 को बिहार में लालू यादव की ‘राजद’ अपने धुर विरोधी नीतीश कुमार की जद (यू) तथा कांग्रेस के साथ ‘महागठबंधन’ करके बिहार सरकार में भागीदार बन गई और नीतीश ने लालू के दोनों बेटों तेज प्रताप सिंह व तेजस्वी को अपनी सरकार में मंत्री बना दिया। 

‘चारा घोटाले’ के कारण तो लालू पहले ही ‘संकट’ में घिरे हुए थे, सी.बी.आई. द्वारा 7 जुलाई, 2017 को लालू, तेजस्वी, राबड़ी तथा उनके विश्वासपात्रों के विरुद्ध  भ्रष्टाचार का नया मामला दर्ज करके चार शहरों में उनके एक दर्जन ठिकानों पर छापेमारी की गई। यह मामला तब का है जब लालू कांग्रेस सरकार में रेल मंत्री (24 मई 2004-23 मई 2009) थे। आरोप है कि लालू यादव ने रेल मंत्री के तौर पर भ्रष्टाचार की साजिश के अंतर्गत निजीपक्ष (सुजाता होटल्स) को लाभ पहुंचाने के लिए रेलवे के नियंत्रण वाले बी.एन.आर. होटलों के संचालन संबंधी टैंडर की शर्तें ढीली कर दीं। रेलवे के होटलों का यह टैंडर घोटाला ‘चारा घोटाले’ से भी बड़ा बताया जाता है जिसमें करोड़ों रुपयों का हेरफेर हुआ। 

इसके अगले दिन 8 जुलाई को लालू यादव की बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती और उनके पति के दिल्ली स्थित 3 फार्म हाऊसों और उनसे संबंधित एक फर्म पर प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने छापेमारी की। इसके बाद लालू समर्थकों और विरोधियों में राजनीति शुरू हो गई है तथा जहां कांग्रेस ने खुल कर लालू के समर्थन में आते हुए सी.बी.आई. और प्रवर्तन निदेशालय पर केंद्र सरकार की कठपुतली की तरह काम करने का आरोप लगाया है, वहीं लालू यादव ने भी इसे बदलाखोरी की भावना के अंतर्गत उठाया गया पग बताया है। 

तेजस्वी के विरुद्ध भ्रष्टाचार का मामला दर्ज होने और उनके विरुद्ध सी.बी.आई. की छापेमारी के बाद उन्हें मंत्रिमंडल से हटाने की मांग भी उठ रही है। राष्ट्रपति पद के लिए होने जा रहे चुनाव के लिए नीतीश कुमार ने अलग स्टैंड लेते हुए ‘महागठबंधन’ समर्थित मीरा कुमार के स्थान पर भाजपा के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद का समर्थन करके महागठबंधन में फूट का संकेत तो पहले ही दे दिया था, अब इन छापों से लालू के पुत्रों के राजनीतिक भविष्य के साथ-साथ बिहार सरकार का भविष्य भी दाव पर लगा दिखाई दे रहा है। 

नीतीश कुमार की इस मामले में ‘खामोशी’ राज्य के सत्तारूढ़ ‘महागठबंधन’ में पैदा हो रही दूरियों का संकेत दे रही है लेकिन राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि इस समय महागठबंधन टूटने की कोई संभावना नहीं क्योंकि दोनों मुख्य भागीदारों के बीच संबंध कितने भी तनावपूर्ण क्यों न हों, इस मौके पर एक-दूसरे का साथ छोडऩा किसी के भी हित में नहीं होगा और ‘महागठबंधन’ टूटने का सीधा लाभ भाजपा को ही मिलेगा। उत्तर प्रदेश और बिहार देश के दो बड़े राज्य हैं और उत्तर प्रदेश सहित देश के 14 राज्यों पर भाजपा का पहले ही कब्जा हो चुका है। यदि आगामी चुनावों में बिहार की सत्ता पर भी भाजपा का कब्जा हो गया तो इसके लिए संसद में विभिन्न कानून पास करवाने में आसानी होने के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लेने में भी बहुत सुविधा हो जाएगी।—विजय कुमार 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!