स्थानीय निकाय चुनाव गुजरात में भाजपा व दिल्ली में ‘आप’ की जीत

Edited By ,Updated: 04 Mar, 2021 03:12 AM

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दिल्ली के विधानसभा चुनावों में भारी जीत दर्ज करने वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा बनाई गई ‘आम आदमी पार्टी’ (आप) ने चूंकि कुछ समय पूर्व तक दूसरी जगहों पर चुनाव लड़ कर मुंह की ही खाई थी इसलिए कहा जाने लगा था कि यह पार्टी..

दिल्ली के विधानसभा चुनावों में भारी जीत दर्ज करने वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा बनाई गई ‘आम आदमी पार्टी’ (आप) ने चूंकि कुछ समय पूर्व तक दूसरी जगहों पर चुनाव लड़ कर मुंह की ही खाई थी इसलिए कहा जाने लगा था कि यह पार्टी दिल्ली तक ही सीमित रह जाएगी परन्तु एकाएक आए बदलाव में विरोधी दलों के तमाम अनुमानों को झुठलाते हुए धीरे-धीरे यह राजधानी दिल्ली से बाहर भी पैर पसारने लगी है।

गत वर्ष दिसम्बर में गोवा में जिला परिषद के चुनावों में आम आदमी पार्टी ने एक सीट जीत कर अपना खाता खोला था और इस वर्ष उसने गुजरात के नगर निकाय चुनावों में अपनी मौजूदगी दर्ज करवाने के अलावा दिल्ली के स्थानीय उपचुनावों में भारी सफलता पाई है। हालांकि फरवरी में गुजरात में नगर निकाय चुनावों में भाजपा को शानदार एकतरफा जीत मिली है और सूरत महानगर पालिका की 120 में से 93 सीटें भी भाजपा ने जीत ली हैं परन्तु ‘आप’ ने वहां शेष सभी 27 सीटें जीत कर धमाका कर दिया है। ‘आप’ ने सूरत में उन वार्डों में यह जीत हासिल की है जो भाजपा के गढ़ माने जाते थे। इस सफलता के चलते ‘आप’ वहां मुख्य विपक्षी पार्टी बन कर उभरी है जबकि कांग्रेस खाता भी नहीं खोल सकी। 

गुजरात में मिली शुरूआती सफलता के एक सप्ताह के भीतर ही ‘आप’ को दूसरी बड़ी सफलता 3 मार्च को घोषित दिल्ली नगर निगम की 5 सीटों के लिए करवाए गए उपचुनावों में मिली है। पंद्रह वर्षों से दिल्ली नगर निगम पर काबिज भाजपा ने इन उपचुनावों में अपनी एकमात्र सीट भी गंवा दी जबकि ‘आप’ ने 4 तथा हाशिए पर पहुंची हुई कांग्रेस ने भी 1 सीट जीत ली है। सूरत में ‘आप’ के उदय को अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में नई राजनीति की शुरूआत बताया और कहा है कि उनकी पार्टी गुजरात में भी दिल्ली जैसी क्रांति करने को तैयार है। इसके साथ ही अब ‘आम आदमी पार्टी’ उत्तर प्रदेश में भी स्वयं को मजबूत करने में जुट गई है जहां इसी वर्ष पंचायत चुनाव तथा अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। 

अरविंद केजरीवाल ने अपनी रणनीति बदल कर अगले दो वर्षों में उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और गोवा में भी चुनाव लडऩे के अपने इरादे की घोषणा कर दी है। हालांकि भाजपा ने गुजरात निकाय चुनाव तो जीत लिए हैं परंतु भाजपा नेतृत्व को यह सोचने की आवश्यकता है कि आखिर ‘सूरत’ में क्या कमियां रह गईं जो ‘आप’ ने पहली बार ही यहां चुनाव लड़ कर इतनी सीटें जीत लीं। स्पष्ट है कि ‘आप’ देश की राजनीति में अपनी जगह बना रही है। अत: यदि ‘आप’ का सफलता अभियान इसी तरह जारी रहा तो इन राज्यों में सत्तारूढ़ दलों भाजपा और कांग्रेस के अलावा अन्य दलों को भी अपने भीतर पैदा हो गई कमियों को दूर करना होगा।-विजय कुमार

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