Edited By ,Updated: 18 Aug, 2019 11:52 PM
आज देश को स्वतंत्रता मिले 7 दशक से भी अधिक हो चुके हैं और देश चांद पर पहुंचने की दिशा में आगे बढ़ रहा है परंतु इसके बावजूद देश में बड़ी संख्या में लोग अंधविश्वासों और रुढिय़ों में जकड़े हुए हैं जिसका खमियाजा जिंदा लोगों को तो क्या मुर्दों तक...
आज देश को स्वतंत्रता मिले 7 दशक से भी अधिक हो चुके हैं और देश चांद पर पहुंचने की दिशा में आगे बढ़ रहा है परंतु इसके बावजूद देश में बड़ी संख्या में लोग अंधविश्वासों और रुढिय़ों में जकड़े हुए हैं जिसका खमियाजा जिंदा लोगों को तो क्या मुर्दों तक को भुगतना पड़ रहा है। इसका प्रमाण हाल ही में ओडिशा के मयूरभंज जिले के कुचेई गांव में देखने को मिला जब जिला पुलिस ने 16 अगस्त को एक कबायली महिला की लाश बरामद की जिसके अंतिम संस्कार में शामिल होने से बिरादरी के लोगों द्वारा इंकार कर दिए जाने के चलते 3 दिनों तक उसका अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका था।
गांव के संथाल कबीले के लोगों का कहना था कि पहले मृतका का पति कंदरा सोरैन बिरादरी को पुराना चला आ रहा जुर्माना अदा करे तभी वे लोग उसकी पत्नी का संस्कार करने में उसकी सहायता करेंगे। इस जुर्माने में शामिल थे एक बकरा, 3 मुर्गे, 15 किलो चावल और 2 घड़ा देसी शराब।
यह जुर्माना कंदरा सोरेन के पिता द्वारा बिरादरी से बाहर की लड़की से प्रेम विवाह करने पर कई दशक पूर्व उनके परिवार पर लगाया गया था।
उल्लेखनीय है कि स्वयं कंदरा सोरेन ने भी बिरादरी की परम्परा का उल्लंघन करके एक बिरादरी के बाहर की पार्वती नामक महिला से प्रेम विवाह किया था जिसके अंतर्गत कबीले की परम्परा के अनुसार दूल्हे के परिवार द्वारा अनिवार्य रूप से दुल्हन के परिवार को विवाह के समय उपहार में गाय या बैल देना जरूरी था परंतु दैनिक मजदूरी करके पेट पालने वाले कंदरा सोरेन ने अपने पत्नी के मायके को कोई उपहार नहीं दिया था।
चूंकि कंदरा सोरेन ने अपनी ससुराल और बिरादरी को जुर्माना देने में मजबूरी जाहिर की थी लिहाजा 14 अगस्त को किसी बीमारी के कारण पार्वती के मर जाने पर उसका अंतिम संस्कार करने के मामले में किसी ने भी उसकी सहायता नहीं की। कंदरा सोरेन के अनुसार बिरादरी और ससुराल वालों को बार-बार यह आश्वासन देने के बावजूद कि वह बाद में जुर्माना अदा कर देगा, उन्होंने उसकी बात मानने से इंकार कर दिया।
आखिर पुलिस ने मृतका के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा और अब यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या बिरादरी के लोगों ने कंदरा सोरेन का सामाजिक बहिष्कार कर रखा है? आज जबकि समूचा विश्व एक अंतर्राष्ट्रीय ‘गांव’ बनता जा रहा है और दूरियां नजदीकियों में बदल रही हैं, इस प्रकार की घिसी-पिटी कुप्रथाओं का जारी रहना निश्चय ही खेदजनक है जिन्हें बढ़ावा देने वालों को कठोरतापूर्वक रोकना और दंड देकर अन्य लोगों के लिए एक उदाहरण सरकार को पेश करना चाहिए। - विजय कुमार