माओवादी हिंसा लगातार जारी सरकार सेना लगाकर इसे काबू करे

Edited By ,Updated: 20 Jul, 2016 12:45 AM

maoist violence by the military government continued to control it

माओवादी देश के लिए कितना बड़ा खतरा बन चुके हैं इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि मात्र वर्ष 2015 में ही इन्होंने देश के विभिन्न भागों में हिंसा ...

माओवादी देश के लिए कितना बड़ा खतरा बन चुके हैं इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि मात्र वर्ष 2015 में ही इन्होंने देश के विभिन्न भागों में हिंसा की 1088 घटनाएं कीं जिनमें 226 लोगों के प्राण चले गए।   

 
इस समय माओवादी गिरोह न सिर्फ सरकार के विरुद्ध छद्म लड़ाई में लगे हुए हैं बल्कि कंगारू अदालतें लगा कर मनमाने फैसले भी सुना रहे हैं। ये लोगों से जब्री वसूली, लूटपाट व हत्याएं भी कर रहे हैं जिसकी सबसे अधिक मार आंध्र, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड और बिहार झेल रहे हैं।
 
हाल ही में संसद की एक स्थायी समिति की रिपोर्ट में बताया गया कि देश में 10 राज्यों के 106 जिलों को इन्होंने अपनी लपेट में ले रखा है जिनमें से 35 जिले तो बुरी तरह प्रभावित हैं। इनकी ङ्क्षहसा के चलते मात्र 20 दिनों में 6 सिविलियनों तथा सुरक्षाबलों के 10 सदस्यों के प्राण जा चुके हैं :
 
* 29 जून को माओवादियों ने छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में पुलिस का मुखबिर होने के संदेह में एक व्यक्ति की हत्या कर दी।
* 9 जुलाई को ओडिशा के गुमुतम्हा में 2 महिलाओं और एक बच्चे सहित कम से कम 5 लोगों को अपना शिकार बनाया।
 
और अब 18 जुलाई को बिहार में सीरियल आई.डी. विस्फोटों में सी.आर.पी.एफ. कोबरा कमांडो के 8 जवानों को शहीद कर दिया गया। 
 
लगातार इनकी गतिविधियों का  जारी रहना भारतीय सुरक्षाबलों की चूक और हमारे रणनीति निर्धारकों की ढुलमुल नीतियों का ही नतीजा है। अधिकांश माओवादग्रस्त इलाके विकास से दूर हैं।
 
स्थानीय लोगों के पिछड़ेपन, गरीबी, अशिक्षा, अज्ञानता व सुविधाओं के अभाव का लाभ उठाते हुए वहां सक्रिय माओवादी फुसला कर उन्हें पहले तो अपने गिरोहों में शामिल कर लेते हैं और फिर उनका शोषण करते हैं जिनमें महिलाओं का देह-शोषण भी शामिल है।
 
अत: देश को इनके लगातार बढ़ रहे खतरे से मुक्त करवाने के लिए माओवादग्रस्त इलाकों में विकास की गति तेज करने और इनके विरुद्ध उसी प्रकार सैन्य कार्रवाई करने की आवश्यकता है जिस प्रकार श्रीलंका सरकार ने लिट्टे उग्रवादियों के विरुद्ध कार्रवाई करके 6 महीने में ही अपने देश से उनका सफाया कर दिया था।                   
 

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