वर्षा से हिमाचल प्रदेश में भारी विनाश और मौतें

Edited By ,Updated: 19 Aug, 2016 12:57 AM

massive destruction and the deaths of rain in himachal pradesh

पिछले 10 वर्षों से कम वर्षा के कारण देश के अनेक भागों में कृषि को भारी क्षति पहुंची तथा महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों से तो बड़ी संख्या में किसानों ...

पिछले 10 वर्षों से कम वर्षा के कारण देश के अनेक भागों में कृषि को भारी क्षति पहुंची तथा महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों से तो बड़ी संख्या में किसानों और मवेशियों का पलायन भी हुआ परंतु इस वर्ष मौसम विभाग ने अच्छी वर्षा की भविष्यवाणी की थी जो काफी हद तक सही सिद्ध हुई। 

 
इस वर्ष जहां देश में अच्छी फसल होने की उम्मीद जगी है वहीं बिहार, असम और हिमाचल प्रदेश आदि चंद राज्यों में भारी वर्षा और बाढ़ से जान-माल की भारी क्षति भी हुई है। बिहार में बाढ़ से कम से कम 61, असम में 27 तथा हिमाचल में 26 लोगों की मृत्यु हुई।
 
हिमाचल में अगस्त महीने का पहला पखवाड़ा लगातार वर्षामय रहा। शिमला सहित प्रदेश के अन्य इलाकों में बिजली की लाइनों, सड़कों और पेयजल योजनाओं को भारी नुक्सान पहुंचा और खेतों में पानी भर जाने से फसलें खराब हो गईं।
 
बड़ी संख्या में पशु धन की हानि भी हुई। प्रदेश में अभी तक 567.32 करोड़ रुपए से अधिक की सार्वजनिक सम्पत्ति नष्टï हुई है। सर्वाधिक 396 करोड़ रुपए की क्षति पुलों तथा सड़कों आदि के टूटने से हुई है। अनेक स्थानों पर पूरी की पूरी सड़कें ही गायब हो गई हैं और 400 से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। 
 
बिजली विभाग को लगभग 70 करोड़ रुपए की हानि हुई जबकि सामुदयिक एवं सरकारी सम्पदाओं को क्षति का अनुमान लगभग 3.17 करोड़ रुपए लगाया गया है। कृषि एवं बागवानी विभागों को क्रमश: लगभग 4.29 करोड़ रुपए तथा 15.86 करोड़ रुपए की क्षति का अनुमान है। 
 
न सिर्फ हिमाचल में वर्षा से जनजीवन अस्त-व्यस्त है बल्कि प्रदेश के विभिन्न भागों में स्थित पुरानी और जर्जर हो चुकी आवासीय इमारतों में रहने वाले लोगों का जीवन भी खतरे में पड़ा हुआ है। 
 
अकेले राजधानी शिमला में 100 से अधिक असुरक्षित आवासीय इमारतें हैं जिनमें से अनेक अंग्रेजों के जमाने की हैं। इनमें बड़ी संख्या में लोग रहते हैं और ये किसी भी समय गिर कर भारी प्राणहानि का कारण बन सकती हैं।  
 
रहने के अयोग्य इन इमारतों में अधिकांशत: प्रवासी मजदूर रहते हैं जो अपने रहने का कोई अन्य ठिकाना न होने तथा अधिक किराया न दे सकने के कारण, अपनी जान को खतरा होने के बावजूद इन जर्जर इमारतों को छोड़कर जाने को तैयार नहीं।
 
गत 12 अगस्त को छोटा शिमला में वर्षा के कारण एक इमारत के गिर जाने से एक प्रवासी मजदूर की मौत हो गई। इसी तरह 17 अगस्त को रोहड़ू के निकट सरस्वती नगर में हटकोली-कांची रोड पर भारी वर्षा से एक तिमंजिला मकान के ढह जाने से उसमें दब कर 2 लोगों की मृत्यु हो गई।
 
हिमाचल के मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने बाढ़ से हुई क्षति का जायजा लेने के लिए 17 अगस्त को बुलाई बैठक में अधिकारियों को टूटे पुलों व गांवों की सम्पर्क सड़कों की मुरम्मत का काम प्राथमिकता के आधार पर तेजी से करवाने के अलावा बाढ़ पीड़ितों को तुरंत राहत देने तथा कुल्लू मार्ग पर हनौगी माता के निकट राष्ट्रीय उच्च मार्ग-21 पर भूस्खलन के स्थायी समाधान के लिए एकमुश्त राशि जारी करने के निर्देश भी दे दिए हैं। 
 
हालांकि अब प्रदेश में सामान्य जनजीवन बहाल करने हेतु नुक्सान से प्रभावित लोगों को तुरंत राहत प्रदान करने के लिए समस्त जिलों व संबंधित विभागों को 106 करोड़ रुपए जारी कर दिए गए हैं पर इतना ही काफी नहीं है।
 
स्थानीय निकायों द्वारा प्रतिवर्ष मानसून से पूर्व जर्जर इमारतों का सर्वेक्षण यकीनी बनाने, जर्जर और असुरक्षित इमारतों में रहने वाले लोगों के पुनर्वास, नदियों के किनारे बनी मजदूर कालोनियों एवं अस्थायी बस्तियों की समस्या के समाधान और भूस्खलन रोकने के स्थायी प्रबंध करने के अलावा सड़कों के किनारे पुलियों तथा नालियों की सफाई को सुनिश्चित करना भी जरूरी है ताकि बाढ़ की स्थिति में पानी रुकने से इनके आसपास के इलाकों में तबाही न मचे।
 

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