‘जानलेवा मिड-डे मील’ द्वारा ‘बच्चों के जीवन से खिलवाड़’

Edited By ,Updated: 06 Dec, 2019 12:43 AM

messing with children s lives  by  deadly mid day meal

भारत में सरकारी स्कूलों के जरूरतमंद बच्चों को दोपहर का भोजन बांटने के लिए चलाई जा रही ‘मिड-डे मील’ योजना विश्व की सबसे बड़ी नि:शुल्क खाद्य वितरण योजना है जो 1995 में जरूरतमंद बच्चों को स्कूलों की ओर आकर्षित करने के लिए शुरू की गई थी। उस समय अधिकांश...

भारत में सरकारी स्कूलों के जरूरतमंद बच्चों को दोपहर का भोजन बांटने के लिए चलाई जा रही ‘मिड-डे मील’ योजना विश्व की सबसे बड़ी नि:शुल्क खाद्य वितरण योजना है जो 1995 में जरूरतमंद बच्चों को स्कूलों की ओर आकर्षित करने के लिए शुरू की गई थी। उस समय अधिकांश राज्यों ने इसके अंतर्गत लाभार्थियों को कच्चा अनाज देना शुरू किया था पर 28 नवम्बर, 2002 को सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद बच्चों को पका कर भोजन देना शुरू किया गया। अच्छी योजना होने के बावजूद इसे लागू करने और भोजन पकाने में लापरवाही, स्वास्थ्य मापदंडों की अवहेलना व भ्रष्टाचार के चलते यह वरदान की बजाय अभिशाप सिद्ध हो रही है।

आम शिकायतें हैं कि स्कूलों, आंगनबाडिय़ों आदि में बच्चों के लिए सरकार द्वारा भेजी गई खाद्य वस्तुएं बड़ी मात्रा में ‘मिड-डे मील’ के वितरण से जुड़े कर्मचारी और अधिकारी आपस में मिलीभगत द्वारा अपने घरों को ले जाते हैं। उत्तर प्रदेश में तो अनेक स्थानों पर स्कूली बच्चों को मिड-डे मील में बच्चों को नमक के साथ ही रोटी देने की शिकायतें मिली हैं।   

‘मिड-डे मील’ पकाने में लापरवाही और सुरक्षा के कारण इसमें सब्जियों के साथ सांप, चूहे और छिपकलियां तक पका कर मासूम बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। यहां तक कि 18 जुलाई, 2013 को बिहार में सारन जिले के एक प्राइमरी स्कूल में कीटनाशक वाले डिब्बों में पकाया हुआ ‘मिड-डे मील’ खिला देने से 22 बच्चों की मृत्यु हो गई थी। वैसे तो समूचा भारत ही ‘मिड-डे मील’ के वितरण में भ्रष्टाचार का शिकार है परंतु लोकसभा में हाल ही में पेश आंकड़ों के अनुसार पिछले 3 वर्षों में मिड-डे मील से जुड़े भ्रष्टाचार के सर्वाधिक मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए हैं। 

14 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के बिचपारिया गांव के सरकारी स्कूल में मिड-डे मील में बच्चों को चावल के साथ दाल के नाम पर पानी में हल्दी घोल कर दी गई। 26 नवम्बर को सोनभद्र के चोपन ब्लाक के सलेईबनवा स्कूल में एक लीटर दूध में एक बाल्टी पानी मिलाकर उसे 80 बच्चों में बांटा गया। 03 दिसम्बर को मुज्जफरनगर के ‘पचेंडा’ में बच्चों को परोसे भोजन में मरा चूहा मिला जिसे खाने से 9 छात्र गंभीर रूप से बीमार हो गए। ये तो ‘मिड-डे मील’ पकाने और इसके वितरण में अनियमितताओं के 4 उदाहरण हैं जबकि समय-समय पर ऐसे बेशुमार मामले सामने आते ही रहते हैं। अत: इस योजना को सही अर्थों में उपयोगी बनाने के लिए इसमें भ्रष्टाचार को समाप्त करना और गुणवत्ता मानकों का पालन न करने तथा राशन की चोरी करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई जरूरी है।—विजय कुमार

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