आसिम मुनीर पाकिस्तान का नया सेनाध्यक्ष लग सकती है इमरान की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर ब्रेक

Edited By ,Updated: 28 Nov, 2022 04:52 AM

munir may be new army chief of pakistan break on imran s political ambitions

पाकिस्तान पर सेना ने 30 वर्ष से अधिक सीधे तौर पर शासन किया है तथा सरकार के पीछे सदा सेना का ही हाथ रहा। न केवल सेना के पास पाकिस्तान के समूचे रियल एस्टेट का 10 प्रतिशत से अधिक

पाकिस्तान पर सेना ने 30 वर्ष से अधिक सीधे तौर पर शासन किया है तथा सरकार के पीछे सदा सेना का ही हाथ रहा। न केवल सेना के पास पाकिस्तान के समूचे रियल एस्टेट का 10 प्रतिशत से अधिक भाग है बल्कि सेना के लोग चीनी मिलों से लेकर सीमैंट तक 50 बड़े विभिन्न धंधों में शामिल हैं। 

इमरान खान जोकि जनरल कमर जावेद बाजवा के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे, ने अपने प्रधानमंत्रित्वकाल में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ तथा उनके परिवार के भ्रष्टाचार की जांच शुरू करवाई, लेकिन जांच अधिकारी इतना उत्तेजित हो उठे कि उन्होंने सेनाध्यक्ष बाजवा तथा उनके परिवार के भ्रष्टाचार की जांच भी कर डाली। इसमें बताया गया कि कमर जावेद बाजवा की पत्नी, बेटी, समधी, बहू और दूसरे रिश्तेदारों के पास कम से कम 1200 करोड़ रुपए की सम्पत्ति है जो 2016 में बाजवा के सेनाध्यक्ष बनने के बाद 6 वर्षों में बनाई गई है। यह राशि इमरान खान की सम्पत्ति से कहीं अधिक है। बाजवा की बहू महनूर साबिर की सम्पत्ति भी, जो अक्तूबर 2018 में शून्य थी, 2 नवम्बर, 2018 को एकाएक बढ़ कर 127.1 करोड़ रुपए हो गई। 

इस खुलासे के बाद उक्त जांच में शामिल 2 अधिकारियों को निलम्बित कर दिया गया तथा इस विवरण को वैबसाइट पर डालने वाला अहमद नूरानी नामक अमरीका स्थित पाकिस्तानी पत्रकार भी छिपता फिर रहा है क्योंकि इस रहस्योद्घाटन से पाकिस्तानी सेना की प्रतिष्ठा को धक्का लगा है। बहरहाल, जब देश की सेना ने एक योजनाबद्ध तरीके से इमरान खान का साथ छोड़ कर शहबाज शरीफ की गठबंधन सरकार को, उनसे छुटकारा पाने के लिए हरी झंडी दे दी तो इमरान ने अपने सत्ताच्युत किए जाने के लिए बार-बार सार्वजनिक रूप से सेना को जिम्मेदार ठहराकर उसकी नाराजगी बढ़ा दी है। इस लिहाज से उनका राजनीतिक भविष्य अगले सेनाध्यक्ष के साथ सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। 

अब जनरल बाजवा के 29 नवम्बर को रिटायर होने पर उनकी जगह उनका पसंदीदा लै.ज. आसिम मुनीर नए सेनाध्यक्ष का पद संभालने जा रहा है, जिसे इमरान खान ने अपने प्रधानमंत्री काल में आई.एस.आई. के मुखिया के पद से बेआबरू करके हटाया था जब आसिम मुनीर ने इमरान की पत्नी मेनका बुशरा पर ही भ्रष्टाचार का आरोप लगा दिया था। मुनीर ने कहा था कि फराह गोगी नामक एक व्यापारी महिला के साथ मिल कर बुुशरा पैसे बना रही है और फराह गोगी ने ट्रांसफर या भ्रष्टाचार से बने पैसों से उसे एक हीरों का हार भी दिया था। 

आसिम मुनीर लंदन में बैठे नवाज शरीफ की पसंद है और हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सेनाध्यक्ष अपने पद पर आते ही पाकिस्तान में बदल जाते हैं जिस प्रकार भुट्टो ने जनरल जिया-उल-हक को चुना था और उसने भुट्टो को फांसी पर चढ़ा दिया था और नवाज शरीफ ने मुशर्रफ को सेनाध्यक्ष बनाया तो उसने सत्ता पर कब्जा करके नवाज शरीफ को पहले जेल में डाला और फिर देश निकाला दे दिया। मुनीर यूं तो 27 नवम्बर को रिटायर हो रहे थे इसलिए उसका नाम पहली सूची में नहीं था परंतु शहबाज शरीफ और नवाज शरीफ ने जोर देकर उनका नाम डलवाया। 

इमरान खान ही अकेले पाकिस्तानी राजनीतिज्ञ नहीं हैं जिनके उत्थान और पतन में सेना का हाथ रहा है परंतु यह पहली बार हो रहा है कि पाक सेना अपनी छवि और स्थिति को स्पष्ट और साफ करने की कोशिश कर रही है। इसी सिलसिले में हाल ही में आई.एस.आई. के मुखिया अंजुम को पहली बार एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित करके कहना पड़ा कि सेना तथा आई.एस.आई. ने राजनीति से दूर रहकर अपनी संवैधानिक भूमिका तक सीमित रहने का फैसला किया है। 

रिटायरमैंट से पहले अपने अंतिम सार्वजनिक संबोधन में जनरल बाजवा ने कहा कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को सेना ने नहीं बल्कि राजनीतिज्ञों की नीतियों ने भी हराया। हालांकि उस समय जनरल याहिया खान की सरकार थी। उन्होंने यह भी कहा कि लडऩे वाले फौजियों की संख्या 92000 नहीं बल्कि सिर्फ 34,000 थी। बाकी लोग अलग-अलग सरकारी विभागों से थे। इन 34000 लोगों का मुकाबला अढ़ाई लाख भारतीय सेना और 2 लाख ट्रेंड मुक्तिवाहिनी से था। हमारी सेना बहुत बहादुरी से लड़ी। 

वास्तविकता यह है कि 16 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल नियाजी ने कुल 93000 सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अब तक का सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण भी था और यह पाकिस्तानी सेना के ऊपर सबसे बड़ा धब्बा है। बाजवा का यह भी कहना था कि भारतीय सेना ने कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन किया परंतु भारत में सेना की बहुत इज्जत की जाती है क्योंकि वह सरकार में हस्तक्षेप नहीं करती। ऐसे में अब पाकिस्तान आर्मी भी वही करेगी परंतु राजनीतिज्ञ और सिविल सोसायटी को संयम बरतना होगा क्योंकि सेना के धैर्य की भी एक सीमा है। 

जनरल बाजवा चाहते तो तीसरी बार भी पाक सेनाध्यक्ष बने रह सकते थे परंतु भ्रष्टाचार के आरोपों ने उनका रास्ता रोक दिया। इसलिए ध्यान बटाने के लिए वह लोगों को लोकतंत्र क्या होता है, समझा रहे हैं। 29 नवम्बर को आसिम मुनीर सेनाध्यक्ष का पद संभालने जा रहा है तो प्रश्र यह भी पूछा जा रहा है कि अब इमरान के आजादी मार्च का क्या होगा? प्रेक्षकों का मानना है कि नया सेनाध्यक्ष इमरान खान का कोई लिहाज नहीं करेगा तथा प्रधानमंत्री के रूप में उनकी वापसी का विरोध ही करेगा। इसीलिए फिलहाल पाकिस्तान की राजनीति में इमरान खान की वापसी की संभावनाएं तो लगभग अटक ही गई हैं। 

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