नरेन्द्र मोदी की इंगलैंड यात्रा रोज अखबारों में उन्हीं के चर्चे

Edited By ,Updated: 02 Nov, 2015 12:57 AM

narendra modi s visit to england in their posts daily newspapers

अमरीकी मीडिया की तुलना में ब्रिटिश मीडिया को अधिक मुखर और खोजी एवं खुला माना जाता है और अपनी कवरेज में यह काफी संतुलित रहता है।

अमरीकी मीडिया की तुलना में ब्रिटिश मीडिया को अधिक मुखर और खोजी एवं खुला माना जाता है और अपनी कवरेज में यह काफी संतुलित रहता है। जैसे-जैसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 12 नवम्बर की इंगलैंड यात्रा निकट आ रही है, इसके प्रति ब्रिटिश-यूरोपीय प्रैस के रवैये में एक विशेष प्रकार का बदलाव दिखाई दे रहा है। 

24 अक्तूबर तक फाइनैंशियल टाइम्स, लंदन टाइम्स और यहां तक कि वाल स्ट्रीट जर्नल द्वारा भारत में कट्टïरवादी हिन्दू संगठनों द्वारा चलाए जा रहे बीफ विरोधी तीव्र अभियान के विरुद्ध तथा मोदी द्वारा इस घटनाक्रम पर काबू पाने बारे बहुत नर्म रवैया अपनाने या नाममात्र प्रतिक्रिया जताने के विरुद्ध लगभग प्रतिदिन लेख छापे जा रहे थे, वहीं अब बिहार के चुनावों के संबंध में भी समाचार दिए जा रहे हैं जबकि आमतौर पर भारत में होने वाले किसी राज्य के चुनावों पर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया इतनी रुचि नहीं दिखाता। 
 
लगभग एक दशक में इंगलैंड की यात्रा पर जाने वाले नरेन्द्र मोदी प्रथम भारतीय प्रधानमंत्री हैं हालांकि ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन इस अवधि में 3 बार भारत आ चुके हैं। मोदी की इंगलैंड यात्रा चीनी राष्टपति जिनपिंग की इंगलैंड यात्रा के मात्र एक महीने बाद हो रही है। 
 
जिनपिंग की  यात्रा को चीन व इंगलैंड में व्यापार बढ़ाने के बहुत बड़े अवसर के रूप में सराहा गया था लेकिन अब ब्रिटिश प्रैस और सांसद चीन से भी बढ़ कर भारत के  साथ विशेष संबंधों की चर्चा कर रहे हैं। 
 
 कुछ ही सप्ताह पूर्व कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के कुछ प्रोफैसरों व छात्रों द्वारा इंगलैंड सरकार से नरेन्द्र मोदी को प्रश्रोत्तर कार्यक्रम के लिए अपने विश्वविद्यालय में आमंत्रित न करने की मांग को लेकर आंदोलन तेज कर दिया गया है। ये अध्यापक और छात्र अपनी सरकार को याद दिला रहे हैं कि उसने 2012 तक गुजरात की मोदी सरकार से संबंध-विच्छेद कर रखा था। 
 
इंगलैंड सिख कौंसिल ने भी 24 अक्तूबर को बॄमघम में बैठक करके आप्रवासी भारतीयों से मोदी से भेंट संबंधी कार्यक्रम में भाग न लेने के लिए कहा है। यहां यह बताना भी दिलचस्पी से खाली नहीं होगा कि नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध सर्वाधिक सक्रिय प्रोटैस्ट पाकिस्तानी समाचार पत्र तथा इंगलैंड में रहने वाले पाकिस्तानी कर रहे हैं। 
 
इंगलैंड में मुस्लिम समुदाय के अग्रणी एक्टीविस्ट तथा पाकिस्तान पैट्रियोटिक फ्रंट के सदस्य तारिक महमूद ने पुलिस से अनुरोध किया है कि जैसे ही ‘गुजरात का कसाई’ इंगलैंड की धरती पर कदम रखे उसे गिरफ्तार कर लिया जाए। नरेन्द्र मोदी को गिरफ्तार करने के पक्ष में वह गुजरात के दंगों में मारे गए 6 ब्रिटिश नागरिकों का उदाहरण दे रहा है। 
 
इंगलैंड सरकार दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने के लिए वहां रहने वाले भारतीयों की सहायता लेने के उपाय तलाश रही है और इसके लिए वह मोदी के रास्ते की हर बाधा हटाने के वायदे कर रही है। इसी कारण कैमरन इंगलैंड में काम कर रही 800 भारतीय कम्पनियों के साथ इंगलैंड का व्यापार दोगुना करने के लिए उतावले हैं। 
 
इंगलैंड सरकार ने आप्रवासी भारतीयों को मोदी के स्वागत के सिलसिले में अनेक समारोह आयोजित करने की अनुमति दी है। इनमें सबसे बड़ा समारोह 13 नवम्बर को वैैम्बले में होगा जहां मोदी आप्रवासी भारतीयों को संबोधित करेंगे। इस आयोजन में आर्ट आफ लिविंग, इस्कॉन, स्वामी नारायण मंदिर तथा भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद और व्यापारियों के 400 समूह शामिल हैं। उनका विचार है कि यह इंगलैंड में भारतीयों का सबसे बड़ा दीपावली उत्सव होगा। 
 
जहां भारतीय मूल के लगभग सभी दलों से संबंधित सांसद नरेन्द्र मोदी के स्वागत की तैयारी में व्यस्त हैं, वहीं इंगलैंड की इंडियन मुस्लिम फैडरेशन इस  संबंध में कुछ नकारात्मकप्रतिक्रिया दे रही है। इसके प्रधान शम्सुद्दीन आगा का कहना है कि बेशक कैमरन को अपने देश में व्यापार का ध्यान रखना है लेकिन उन्हें मोदी के साथ बरतने में सावधान रहना चाहिए। यह समूह मोदी की यात्रा के विरुद्ध प्रोटैस्ट करने की संभावना पर भी विचार कर रहा है। 
 
परन्तु अब अन्य रोष व्यक्त करने वाले स्वर धीमे पड़ रहे हैं। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने भी कह दिया है कि ज्ञान के मंदिर में किसी व्यक्ति को सुने बगैर ‘सैंसर और जज’ की भूमिका निभाना उचित नहीं है। 
 
अब मीडिया ने एक नपी-तुली खामोशी धारण कर रखी है और वह कोई नकारात्मकता नहीं दर्शा रहा। कुल मिलाकर मोदी के शो की तैयारियां एक बार फिर जोरों पर हैं।
 

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