Edited By ,Updated: 16 Jun, 2019 12:57 AM
देश में नक्सलवाद अथवा माओवाद बहुत बड़ा खतरा बन चुका है जिसकी सर्वाधिक मार आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्टï्र, उड़ीसा, झारखंड और बिहार झेल रहे हैं। इस समय नक्सलवादी गिरोह न सिर्फ सरकार के विरुद्ध छद्म लड़ाई में लगे हुए हैं बल्कि कंगारू अदालतें लगा...
देश में नक्सलवाद अथवा माओवाद बहुत बड़ा खतरा बन चुका है जिसकी सर्वाधिक मार आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़ीसा, झारखंड और बिहार झेल रहे हैं। इस समय नक्सलवादी गिरोह न सिर्फ सरकार के विरुद्ध छद्म लड़ाई में लगे हुए हैं बल्कि कंगारू अदालतें लगा कर मनमाने फैसले सुना रहे हैं तथा लोगों से जबरन वसूली, लूटपाट तथा हत्याएं भी कर रहे हैं।
नक्सलवादी इस वर्ष 1 मई तक देश में 53 हमले करके 107 लोगों की हत्या कर चुके थे जबकि उसी दिन नक्सलवादियों ने महाराष्ट्र के गढ़ चिरौली में एक और हमला करके सुरक्षा बलों के 15 सदस्यों की हत्या कर दी थी। और अब 13 जून को एक और बड़ा कांड करते हुए नक्सलवादियों ने झारखंड के सरायकेला में हमला करके 5 पुलिस कर्मियों को शहीद कर दिया और उनके हथियार भी लूट कर ले गए।
कश्मीर में तो आतंकवादी घटनाओं के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने की बात कही जा सकती है परंतु देश के दूसरे हिस्सों में लगातार नक्सलवादियों की गतिविधियों का जारी रहना हमारे रणनीति निर्धारकों की गलत नीतियों का ही नतीजा है। सरकार के ढीले-ढाले रवैए के कारण ही 13 वर्षों तक दक्षिण भारत का कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन नहीं पकड़ा जा सका था जिसे अंतत: 18 अक्तूबर, 2004 को उसके तीन साथियों के साथ तमिलनाडु पुलिस ने मार गिराया था और उसे पकडऩे पर सरकार के 20 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।
उल्लेखनीय है कि पिछली कांग्रेस सरकार और वर्तमान भाजपा सरकार दोनों के ही नेता यह स्वीकार कर चुके हैं कि नक्सलवाद देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा बन चुका है। अत: नक्सलवादियों के बढ़ते दुस्साहस व संबंधित राज्य सरकारों की इनके उन्मूलन में नाकामी के दृष्टिïगत अब जरूरी हो गया है कि इनके लगातार बढ़ रहे खतरे का खात्मा करने के लिए सुरक्षा बलों को इनके विरुद्घ कार्रवाई की खुली छूट दी जाए।
जिस तरह श्रीलंका सरकार ने लिट्टे उग्रवादियों के विरुद्ध सेना और वायु सेना की सहायता से कार्रवाई करके 6 महीने में ही अपने देश से उनका सफाया करने में सफलता प्राप्त की, नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए हमारी सरकार को भी इसी तरह खुली छूट देनी होगी। सरकार को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि पंजाब में भी आतंकवाद सेना की सहायता से ही समाप्त हो सका था।—विजय कुमार