अब नेपाल के विदेश मंत्री ने लगाया भारत सरकार पर संबंध न सुधारने का आरोप

Edited By ,Updated: 02 Aug, 2020 01:59 AM

nepal s foreign minister accused the indian govt of not improving relations

विश्व के एकमात्र हिन्दू देश और भारत के निकटतम पड़ोसी नेपाल के बीच सब कुछ ठीक चल रहा था पर इन दिनों चीन के उकसावे पर नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार लगातार भारत विरोधी निर्णय ले रही है।  इनमें अन्य भारत

विश्व के एकमात्र हिन्दू देश और भारत के निकटतम पड़ोसी नेपाल के बीच सब कुछ ठीक चल रहा था पर इन दिनों चीन के उकसावे पर नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार लगातार भारत विरोधी निर्णय ले रही है। इनमें अन्य भारत विरोधी कदमों के अलावा हाल ही में भारत के 3 इलाकों ‘लिपुलेख’, ‘कालापानी’ व ‘लिंपियाधुरा’ पर अपना दावा जताने और पूरी भारत-नेपाल सीमा सील करके नेपाल पुलिस के जवानों को तैनात करना और भारतीय क्षेत्रों पर भी नेपाल के झंडे लगाना आदि शामिल है। 

जहां ये सब भारत विरोधी निर्णय नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के निर्देशों पर हो रहे हैं जिससे नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी का ही एक सशक्त वर्ग उनके विरुद्ध हो गया है। यही नहीं, ओली ने परोक्ष रूप से भारत सरकार पर उन्हें हटाने की साजिश रचने का आरोप भी लगाया है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रवक्ता नारायण श्रेष्ठ का कहना है कि ओली ने भारत के विरुद्ध अनर्गल आरोप लगाकर बड़ी गलती की है जबकि इस समय दोनों देशों के बीच बातचीत द्वारा सीमा समस्या सुलझाने की आवश्यकता है। 

नारायण श्रेष्ठ के अनुसार ओली ने पहली भूल भारत के नीति वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ के विरुद्ध अनर्गल बातें कह कर की, उनकी दूसरी भूल है भारत पर अपनी सरकार पलटने की साजिश रचने का निराधार आरोप और तीसरी भूल उन्होंने भगवान राम की जन्म भूमि को नेपाल में बीरगंज के निकट बताकर की। अपनी पार्टी में पनपे विद्रोह के चलते अपनी कुर्सी बचाने के प्रयासों में जुटे ओली लगातार सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक टालते आ रहे हैं जिस पर बल देने के लिए पिछले दिनों ओली के विरोधी कैम्प के 20 नेता जबरदस्ती उनके घर के अंदर जा घुसे थे।

ऐसे माहौल के बीच जून में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता सुरेश भैया जी जोशी व अन्यों ने नेपाल के साथ संबंधों में गिरावट और तनाव पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए केंद्र की भाजपा सरकार को नसीहत देते हुए कहा था कि ‘‘इसे नई दिल्ली और काठमांडू के बीच संबंधों के पुनॢनर्माण पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।’’इसके साथ ही भारत और नेपाल द्वारा बातचीत से अपने मतभेद हल नहीं कर पाने पर चिंतित संघ नेताओं ने सरकार और गुप्तचर एजैंसियों द्वारा पड़ोसी देशों के घटनाक्रमों पर सतर्कता न बरतने पर भी चिंता व्यक्त की थी। 

और अब इस तरह की स्थिति के बीच नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञावाली ने 31 जुलाई को कहा है कि ‘‘सीमा विवाद भारत के साथ अनसुलझी समस्याओं में से एक है। हम अभी भी भारत सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि दोनों देशों के बीच वार्तालाप का सिलसिला जल्द से जल्द शुरू किया जाए ताकि समस्याएं इतनी न बढ़ जाएं कि मामला सड़कों तक पहुंच जाए।’’ दोनों देशों के बीच औपचारिक कूटनीतिक संबंधों पर बल देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘नेपाल सरकार कई बार नई दिल्ली से ‘काला पानी’ क्षेत्र संबंधी विवाद सुलझाने के लिए कूटनीतिक स्तर पर बातचीत शुरू करने के लिए कह चुकी है और इसके लिए तारीखों का सुझाव भी दिया परंतु कोई उत्तर नहीं मिला।’’ 

नेपाल की आंतरिक स्थिति पर भारत का स्टैंड जैसा भी हो, केंद्रीय नेतृत्व को नेपाल के विदेश मंत्री की टिप्पणी का संज्ञान लेते हुए दोनों देशों के बीच चले आ रहे विवाद निपटाने की दिशा में अविलंब सकारात्मक पग उठाने चाहिएं ताकि दोनों पारंपरिक मित्र देशों के बीच संबंधों में तनाव का चीन आदि देश अनुचित लाभ न उठा सकें।—विजय कुमार 

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