नेपाल ला रहा कानून संतानों को माता-पिता के खाते में जमा करवानी होगी अपनी 10 प्रतिशत आय

Edited By ,Updated: 09 Jan, 2019 03:51 AM

nepal s law has to be deposited in the parents  account their 10 percent income

एक रिपोर्ट के अनुसार बुजुर्गों के रहने के लिए भारत कोई बहुत अच्छी जगह नहीं और यहां बड़ी संख्या में बुजुर्ग अपनी ही संतानों द्वारा उपेक्षा, अपमान और उत्पीडऩ के शिकार हो रहे हैं। हमारे देश में बड़ी संख्या में ऐसे बुजुर्ग मौजूद हैं जिनसे उनकी संतानों...

एक रिपोर्ट के अनुसार बुजुर्गों के रहने के लिए भारत कोई बहुत अच्छी जगह नहीं और यहां बड़ी संख्या में बुजुर्ग अपनी ही संतानों द्वारा उपेक्षा, अपमान और उत्पीडऩ के शिकार हो रहे हैं। हमारे देश में बड़ी संख्या में ऐसे बुजुर्ग मौजूद हैं जिनसे उनकी संतानों ने उनकी जमीन, जायदाद अपने नाम लिखवा लेने के बाद उनकी ओर से आंखें फेर कर उन्हें बेसहारा छोड़ दिया है। हालत यह है कि 90 प्रतिशत बुजुर्गों को अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी संतानों के आगे हाथ फैलाना पड़ता है और अपने बेटों-बहुओं, बेटियों तथा दामादों के हाथों दुव्र्यवहार एवं अपमान झेलना पड़ता है। 

इसी को देखते हुए सबसे पहले हिमाचल सरकार ने 2001 में ‘वृद्ध माता-पिता एवं आश्रित भरण-पोषण कानून’ बना कर पीड़ित माता-पिता को संबंधित जिला मैजिस्ट्रेट के पास शिकायत करने का अधिकार दिया और दोषी पाए जाने पर संतान को माता-पिता की सम्पत्ति से वंचित करने, सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र में नौकरियां न देने तथा सरकारी सेवा में कार्यरत कर्मचारियों के वेतन से समुचित राशि काट कर माता-पिता को देने का प्रावधान किया। इसके बाद संसद द्वारा पारित ‘अभिभावक और वरिष्ठï नागरिक देखभाल व कल्याण विधेयक-2007’ के अनुसार बुजुर्गों की देखभाल न करने पर उनकी संतानों को 3 मास तक कैद की सजा का प्रावधान किया गया तथा इसके विरुद्ध अपील की अनुमति भी नहीं है। 

कुछ अन्य राज्य सरकारों ने भी ऐसे कानून बनाए हैं जिनमें असम, मध्य प्रदेश, दिल्ली आदि शामिल हैं परंतु देश के सभी राज्यों में ऐसे कानून लागू नहीं हैं जिस कारण बड़ी संख्या में संतानों द्वारा उपेक्षित बुजुर्ग माता-पिता दुख भरा जीवन व्यतीत कर रहे हैं या वृद्धाश्रमों में रहने के लिए विवश हैं। ऐसे में भारत के पड़ोसी देश नेपाल ने एक उदाहरण पेश किया है। नेपाल के वरिष्ठ नागरिक कानून-2006 के अंतर्गत 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को वरिष्ठï नागरिक या सीनियर सिटीजन करार दिया गया है। शीघ्र ही नेपाल सरकार एक नया कानून लाने जा रही है जिसके अंतर्गत किसी भी व्यक्ति की संतान को अपनी आमदनी का पांच से दस प्रतिशत भाग अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल के लिए उनके बैंक खाते में जमा करवाना होगा। ऐसा न करने वालों को कानून के प्रावधानों के अनुसार दंड दिया जाएगा। 

नेपाल के प्रधानमंत्री खड्ग प्रसाद शर्मा ओली के प्रैस सलाहकार कुंदन अरयाल के अनुसार मंत्रिमंडल की बैठक में इस तरह के प्रावधान के साथ वरिष्ठï नागरिक कानून 2006 में संशोधन के लिए विधेयक संसद में पेश करने का फैसला किया गया है। प्रस्तावित विधेयक का मुख्य उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। अरयाल के अनुसार, ‘‘इस आशय के समाचार मिल रहे थे कि लोगों द्वारा अपने माता-पिता की उपेक्षा की जा रही है जिसे देखते हुए हम इस कुप्रवृत्ति को हतोत्साहित करने और बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कानून ला रहे हैं।’’ नेपाल भारत से कहीं छोटा देश है जो अपनी अधिकांश आवश्यकताओं के लिए दूसरे देशों पर ही निर्भर है। नेपाल को भी भारत की भांति ही अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है परंतु इन सब समस्याओं से जूझने के बावजूद नेपाल सरकार अपने वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा के प्रति अपना दायित्व नहीं भूली जिसे देखते हुए यह उक्त कदम उठाने जा रही है। 

पड़ोसी नेपाल से प्रेरणा लेकर भारत सरकार को भी अपने सभी राज्यों में बुजुर्ग माता-पिता के संरक्षण के लिए उक्त कानून की तर्ज पर कोई व्यापक कानून बनाना चाहिए ताकि बुजुर्ग अपने जीवन की संध्या सुखपूर्वक आराम से व्यतीत कर सकें। बचपन के बाद बुढ़ापा ही जीवन की ऐसी अवस्था है जब मनुष्य को प्यार और देखभाल की सर्वाधिक आवश्यकता होती है।—विजय कुमार

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