चुनाव परिणामों को लेकर नेताओं के घबराहट भरे बयान

Edited By ,Updated: 08 May, 2019 12:32 AM

nervous statements of leaders about election results

अब जबकि लोकसभा चुनावों का पांचवां चरण समाप्त होने के साथ ही देश में 80 प्रतिशत मतदान पूरा हो चुका है और दोनों ही बड़े दल भाजपा तथा कांग्रेस अपनी-अपनी सफलता का दावा कर रहे हैं परंतु दोनों ही दलों में मौजूद चंद नेताओं ने नकारात्मक परिणामों की ...

अब जबकि लोकसभा चुनावों का पांचवां चरण समाप्त होने के साथ ही देश में 80 प्रतिशत मतदान पूरा हो चुका है और दोनों ही बड़े दल भाजपा तथा कांग्रेस अपनी-अपनी सफलता का दावा कर रहे हैं परंतु दोनों ही दलों में मौजूद चंद नेताओं ने नकारात्मक परिणामों की चेतावनी दी है।

भाजपा नेता अजय अग्रवाल ने 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा था कि ‘निष्पक्ष चुनाव होने पर आप जो 400 सीटों का दावा कर रहे हैं उसकी जगह आप सिर्फ 40 सीटों पर सिमट सकते हैं।’ इसी प्रकार 19 अप्रैल को वरिष्ठ भाजपा नेता शांता कुमार ने नरेंद्र मोदी को सोनिया गांधी की वह टिप्पणी याद दिलाई कि ‘2004 में श्री वाजपेयी अजेय लग रहे थे परंतु कांग्रेस जीत गई थी।’ इसी तरह 6 मई को भाजपा के वरिष्ठ नेता राम माधव ने कहा है कि ‘इस लोकसभा चुनाव में भाजपा बहुमत से पीछे रह सकती है।’

इसके अगले ही दिन 7 मई को भाजपा की सहयोगी शिव सेना के वरिष्ठ नेता संजय राऊत ने भी कहा है कि ‘भाजपा के लिए 280 सीटों के आंकड़े पर पहुंच पाना थोड़ा मुश्किल दिख रहा है।’ जहां तक कांग्रेस का संबंध है, पार्टी के नेता कमलनाथ ने 21 अप्रैल को एक साक्षात्कार में स्वीकार किया कि ‘बेशक कांग्रेस चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेगी परंतु इसे अपने दम पर बहुमत मिलता दिखाई नहीं दे रहा।’

इनके बाद 5 मई को कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने यह स्वीकार किया कि चुनाव में उनकी पार्टी को अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा अर्थात 272 सीटें नहीं मिलेंगी। उन्होंने कहा, ‘यदि कांग्रेस को 272 सीटें मिलने का विश्वास होता तो वह निश्चित रूप से राहुल गांधी को प्रधानमंत्री का प्रत्याशी घोषित करती।’ इसके साथ ही उन्होंने आशा व्यक्त की कि केंद्र में कांग्रेस के गठबंधन वाली यू.पी.ए. की सरकार बन सकती है।

कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि इस बार दोनों ही बड़ी पाॢटयों में चुनाव परिणामों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है और किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत प्राप्त न होने पर त्रिशंकु लोकसभा के संकेत दिखाई दे रहे हैं। अत: भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही तय करना होगा कि पूर्ण बहुमत न मिलने की स्थिति में उनके संगी-साथी कौन होंगे!    —विजय कुमार 

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