नितिन गडकरी के लगातार बयान ‘कहां हैं निगाहें...कहां है निशाना’

Edited By ,Updated: 05 Feb, 2019 12:33 AM

nitin gadkari s continuous statement  where are the eyes

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी भाजपा के स्पष्टवादी नेताओं में से हैं जो कुछ महीनों से लगातार अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को उनकी त्रुटियों के बारे में सचेत करते आ रहे हैं। उन्होंने ऊपर से नीचे तक भाजपा नेताओं द्वारा दिए जा...

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी भाजपा के स्पष्टवादी नेताओं में से हैं जो कुछ महीनों से लगातार अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को उनकी त्रुटियों के बारे में सचेत करते आ रहे हैं। उन्होंने ऊपर से नीचे तक भाजपा नेताओं द्वारा दिए जा रहे बयानों पर आपत्ति जताते हुए गत वर्ष 19 दिसम्बर को कहा था कि ‘‘भाजपा में कुछ लोगों को कम बोलने की आवश्यकता है।’’

उन्होंने 1972 की हिन्दी फिल्म ‘बॉम्बे टू गोवा’ के एक दृश्य का उल्लेख भी किया जिसमें एक बच्चे के माता-पिता उसे खाने से रोकने के लिए उसके मुंह में कपड़े का एक टुकड़ा डाल देते हैं। श्री गडकरी ने कहा, ‘‘हमारी पार्टी में कुछ लोगों के लिए ऐसे ही कपड़े की जरूरत है।’’इस प्रकार जहां उन्होंने अपनी पार्टी के बयानवीरों को नसीहत देने की कोशिश की, वहीं अपने अन्य बयानों में वह विभिन्न मुद्दों पर पार्टी नेतृत्व को सचेत करते आ रहे हैं। इसी सिलसिले में :

10 मार्च, 2018 को भाजपा के ‘अच्छे दिन’ वाले नारे पर प्रश्रचिन्ह लगाते हुए उन्होंने कहा कि, ‘‘अच्छे दिन होते ही नहीं हैं, यह तो मानने वाले पर निर्भर करता है। अच्छे दिन का मतलब है रोटी, कपड़ा और मकान।’’ 24 दिसम्बर, 2018 को उन्होंने कहा, ‘‘जीत के कई बाप होते हैं लेकिन हार अनाथ होती है। संस्था के प्रति जवाबदेही साबित करने के लिए पार्टी के नेतृत्व को हार और विफलताओं की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।’’

25 दिसम्बर, 2018 को श्री गडकरी बोले, ‘‘सिस्टम सुधारने के लिए दूसरों की बजाय पहले खुद को सुधारना चाहिए।’’ घमंडी नेताओं पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को साथ लेकर चलना चाहिए। यदि आपके साथ लोगों का समर्थन नहीं है तो आपके अच्छे या प्रभावशाली होने का कोई मतलब नहीं।’’

04 जनवरी, 2019 को उन्होंने कहा,‘‘देश को इस समय जिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है उनमें बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। हर कोई सरकारी नौकरी प्राप्त नहीं कर सकता।’’

13 जनवरी, 2019 को श्री गडकरी ने कहा, ‘‘नेताओं को दूसरों के मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। लोग अपने-अपने क्षेत्रों के मामलों को स्वयं निपटाएं।’’

27 जनवरी, 2019 को श्री गडकरी ने नेताओं द्वारा लोगों को सब्जबाग दिखाने के रुझान की आलोचना की और कहा ‘‘सपने दिखाने वाले नेता लोगों को अच्छे लगते हैं परंतु दिखाए गए सपने जब पूरे नहीं होते तो जनता उनकी पिटाई भी करती है। इसलिए सपने वही दिखाओ जो पूरे हो सकें।’’ और अब 2 फरवरी को नागपुर में भाजपा की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में वह बोले :

‘‘मैं कई लोगों से मिला हूं जिन्होंने कहा है कि हम भाजपा एवं देश के लिए अपना जीवन समर्पित करना चाहते हैं। मैं (ऐसे लोगों से) कहता हूं, आप क्या कर रहे हैं और आपके परिवार में और कौन लोग हैं?’’

‘‘वह बताता है कि मैंने अपनी दुकान बंद कर दी है क्योंकि वह ठीक से नहीं चल रही थी। घर में पत्नी और बच्चे हैं।’’

‘‘मैं (उनसे) कहता हूं कि जो अपना घर नहीं संभाल सकता, वह देश नहीं संभाल सकता। ऐसे में पहले अपना घर संभालें तथा अपने बच्चे, संपत्ति देखने के बाद पार्टी और देश के लिए काम करें।’’

लोकसभा चुनावों से पूर्व श्री गडकरी के बयानों के निहित राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि विरोधी दल तो पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘सपनों का सौदागर’ का खिताब दे चुके हैं और ‘अच्छे दिन’ के नारे पर जम कर चुटकी ली जाती है। ऐसे में कांग्रेस ने कहा है कि ‘‘नितिन गडकरी के निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं और उनकी निगाहें प्रधानमंत्री की कुर्सी पर हैं।’’

विरोधी जो भी कहें, अपने उक्त बयानों से श्री गडकरी ने जहां अपनी वैचारिक स्वतंत्रता और खुलेपन का संकेत दिया है, वहीं अपनी पार्टी को आइना भी दिखाया है जिसका संज्ञान लेकर पार्टी नेतृत्व को इन बातों पर गंभीरतापूर्वक मनन करना चाहिए ताकि उनके भीतर जो त्रुटियां हैं उन्हें दूर करके वे देश और समाज की बेहतर ढंग से सेवा कर सकें।       —विजय कुमार   

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!