‘जिसका काम उसी को साजे’ नितिन गडकरी ने कही पते की बात

Edited By ,Updated: 17 Sep, 2022 04:30 AM

nitin gadkari said about the address whose work adorns him

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी भाजपा के स्पष्टवादी नेताओं में से एक हैं, जो अपने काम का प्रचार करने की बजाय चुपचाप काम करने में विश्वास रखते हैं। उनके काम की

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी भाजपा के स्पष्टवादी नेताओं में से एक हैं, जो अपने काम का प्रचार करने की बजाय चुपचाप काम करने में विश्वास रखते हैं। उनके काम की प्रशंसा सहयोगी ही नहीं, विरोधी दलों के नेता भी करते हैं। मणिपुर से भाजपा सांसद टापिर गाओ ने 21 मार्च, 2022 को कहा, ‘‘गडकरी हैैं तो संभव है। वह मकड़ी के जाल की भांति देश में सड़कों का जाल बिछा रहे हैं। इसलिए मैंने उनका नाम ‘स्पाइडरमैन’ रख दिया है।’’ 

श्री नितिन गडकरी जहां दूसरों के गुण बताने में संकोच नहीं करते, वहीं अपनी कमजोरी भी खुले दिल से स्वीकार करते हैं। इसकी एक मिसाल उन्होंने गत 8 सितम्बर को बेंगलुरु में एक कांफ्रैंस ‘मंथन-आइडियाज ऑफ एक्शन’ में पेश की। इसमें भाषण देते हुए उन्होंने एक किस्सा अपने अहंकार का ही सुना दिया और कहा : 

‘‘कभी-कभी छोटे लोगों से भी कुछ बातें सीखने को मिलती हैं क्योंकि अच्छी बातों पर किसी का पेटैंट नहीं है। मुझे लगता है कि मैं मंत्री हूं, मुझे कौन सिखा सकता है, पर ऐसा नहीं होता।’’ ‘‘मुझे अभी भी बहुत सी चीजें मालूम ही नहीं हैं। मुझे अभी समझ में नहीं आता कि लोग मुझे ‘रोड एक्सपर्ट’ क्यों बोलते हैं। वे कहते हैं कि मैंने बहुत काम किया है।’’

‘‘मैं अपने घर में कंट्रैक्टर बना था। हमारा मिट्टी का घर था बहुत बड़ा, मैंने आर्किटैक्ट को निकाल दिया। उस समय मैंने मुंबई में फ्लाईओवर, वर्ली-बांद्रा सी लिंक, एक्सप्रैस हाइवे बनाया था तो मुझे भी बड़ा अहंकार हो गया था कि मुझे सब समझ आ गया है।’’ 

‘‘यही मान कर मैंने अपने मन से घर को डिजाइन किया। बाद में मेरे बैडरूम में पलंग के सामने पिलर आ गया। तब मुझे मालूम हुआ कि अगर मैं कंट्रैक्टर की बात मान लेता तो ठीक होता, मैंने गलती की।’’

नितिन गडकरी ने उक्त स्वीकारोक्ति में अपनी एक क्षणिक भूल की ओर इशारा किया है परंतु यह बात हम सब पर लागू होती है क्योंकि अक्सर हम में से कई लोग ऐसे कामों में अपनी टांग अड़ाना अपना कत्र्तव्य समझते हैं जो हमारे वश में नहीं होते, इसीलिए कहा गया है कि ‘जिसका काम उसी को साजे, और करे तो डंडा बाजे।’ यदि उनकी इस स्वीकारोक्ति से दूसरे बड़े लोग भी कुछ सबक लें तो उनका भी भला हो सकता है।—विजय कुमार

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