Edited By ,Updated: 27 Oct, 2019 12:51 AM
नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री काल के दौरान गुजरात सरकार में अनेक मंत्रालय संभाल चुकी आनंदी बेन पटेल 22 मई, 2014 को गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। इनके गांव ‘खरोड़’ के लोग इन्हें आदरपूर्वक ‘फोई’...
नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री काल के दौरान गुजरात सरकार में अनेक मंत्रालय संभाल चुकी आनंदी बेन पटेल 22 मई, 2014 को गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। इनके गांव ‘खरोड़’ के लोग इन्हें आदरपूर्वक ‘फोई’ (बुआ) कह कर पुकारते हैं। इनका विवाह 1962 में ‘पिं्रसीपल मफत लाल पटेल’ से हुआ जिनसे इनके 2 बच्चे हैं परन्तु ये दोनों अब एक-दूसरे से अलग रह रहे हैं।
1 अगस्त, 2016 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने के बाद उन्हें पहले अगस्त, 2018 में छत्तीसगढ़ और फिर 20 जुलाई, 2019 को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल नियुक्त किया गया। 25 अक्तूबर को लखनऊ में ‘किंग जार्ज मैडिकल यूनिवॢसटी’ के 15वें दीक्षांत समारोह में नए बने डाक्टरों को डिग्रियां प्रदान करने के अवसर पर अपने भाषण में आनंदीबेन पटेल ने राज्य की खराब स्वास्थ्य सेवाओं और अपराधों की बाढ़ के चलते लोगों में व्याप्त भारी असुरक्षा की भावना के मुद्दे गंभीरतापूर्वक उठाए। अस्पतालों के डाक्टरों और मैडिकल प्रैक्टीशनरों द्वारा गरीब रोगियों से वसूली के रुझान पर गंभीर ङ्क्षचता व्यक्त करते हुए आनंदीबेन पटेल ने कहा कि, ‘‘मैंने कई अस्पतालों का दौरा किया है और देखा है कि गलत प्रबंधन के कारण रोगियों को असुविधा हो रही है। चिकित्सा उपकरण, यहां तक कि थर्मामीटर तक डाक्टरों के कब्जे में पड़े रहते हैं।’’
‘‘केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा अस्पतालों पर भारी रकम खर्च करने के बावजूद अस्पताल रोगियों से वसूली कर रहे हैं लिहाजा नए बनने वाले डाक्टरों को यह शपथ लेनी चाहिए कि वे गलत आचरण में शामिल नहीं होंगे, चाहे वे सरकारी अस्पतालों में प्रैक्टिस करें या प्राइवेट अस्पतालों में।’’ ‘‘किसी डाक्टर द्वारा पैसे की मांग करने का पता चलने पर दुख होता है। क्या आप लोगों को वेतन नहीं मिलता? यदि मिलता है तो फिर आप पर भरोसा करके अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले किसी दुखियारे से पैसे क्यों मांगते हैं?’’
उन्होंने नए बने डाक्टरों को दहेज न लेने की प्रेरणा भी दी और बोलीं, ‘‘आपकी डिग्री ही नहीं, आपके व्यवहार, योग्यता और काम करने की क्षमता से भी पता चलेगा कि आप यहां से क्या सीख कर गए हैं।’’ ‘‘डाक्टरों को समझना होगा कि यह पेशा परोपकार से जुड़ा हुआ है। मरीज के पास धैर्य नहीं होता। वह जल्द इलाज करवाना चाहता है परंतु डाक्टर गरीबों के दुख का अनुचित लाभ उठाते हैं।’’ ‘‘ इलाज के अलावा मरीज के साथ अच्छा व्यवहार भी होना चाहिए। इसलिए डाक्टरों का चरित्र होना बहुत जरूरी है। हमें दुख है कि सरकारी अस्पतालों में भी डाक्टर बीमार लोगों की पीड़ा का अनुचित लाभ उठाते हैं।’’
आनंदीबेन ने इस अवसर पर राज्य में पुलिस थानों के कामकाज पर भी अप्रसन्नता व्यक्त की और कहा, ‘‘पुलिस थानों में डर का माहौल है। बच्चे पुलिस से डर रहे हैं। ऐसे में यदि उन पर विपत्ति आती है तो वे कहां जाएंगे? पुलिस को लेकर लोगों की धारणा सकारात्मक नहीं है।’’ पुलिस विभाग बारे आनंदीबेन पटेल की उक्त टिप्पणी से प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह के कथन की भी पुष्टिï हो गई है जिन्होंने 19 सितम्बर को अलीगढ़ में कहा था कि :
‘‘प्रदेश के 2.85 लाख पुलिस बल में से 60 प्रतिशत पुलिस बल का व्यवहार नकारात्मक है। उन्होंने इस बारे एक सर्वेक्षण का भी हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि पुलिस बल के सिर्फ 40 प्रतिशत सदस्यों का ही व्यवहार सकारात्मक है, लिहाजा पुलिस बलों के सदस्यों के व्यवहार में सुधार लाने की आवश्यकता है।’’ राज्य में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है अत: ऐसे में आनंदीबेन पटेल द्वारा राज्य की स्वास्थ्य एवं पुलिस सेवाओं पर उंगली उठाना मायने रखता है। अत: इसकी ओर प्रदेश सरकार को बिना देर किए ध्यान दे कर दोनों विभागों में व्यापक सुधार करने की जरूरत है ताकि लोगों को संतोषजनक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हों और पुलिस के प्रति व्याप्त भय दूर हो।—विजय कुमार