शौचालयों की संख्या ही नहीं, इनका सीवरेज से जुड़े होना भी आवश्यक

Edited By ,Updated: 05 Dec, 2015 11:45 PM

number of toilets is not only required to be connected to their sewerage

शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू का कहना है कि स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत मार्च 2016 तक देश के शहरी क्षेत्रों में 25 लाख शौचालयों के निर्माण का जो लक्ष्य रखा गया है

शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू का कहना है कि स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत मार्च 2016 तक देश के शहरी क्षेत्रों में 25 लाख शौचालयों के निर्माण का जो लक्ष्य रखा गया है उसमें से 16,45,000 शौचालयों का उपयोग शुरू हो चुका है जबकि देश के दूरवर्ती क्षेत्रों में चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान भी लोगों का ध्यान आकॢषत कर रहे हैं।

उक्त बयान से अलग दूसरे पहलू की ओर ध्यान दिलाते हुए जर्मन मानव विज्ञानी (एंथ्रोपोलोजिस्ट) आसा डोरोन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में गरीब वर्ग के लिए बनाए गए शौचालयों की चौंकाने वाली हकीकत बयान की है।
 
श्री डोरोन के अनुसार वाराणसी में जिस ढंग से ये शौचालय बनाए गए हैं उससे तो महिलाओं की और मुसीबत हो गई है। अनेक शौचालय किसी भी सीवरेज सिस्टम के साथ जुड़े हुए नहीं हैं जिस कारण न सिर्फ इनकी देखभाल करना कठिन है बल्कि परिवार की महिलाओं को ही इनकी सफाई करनी पड़ती है। आमतौर पर यह काम परिवार की बहू को सौंपा जाता है। 
 
श्री डोरोन ने वाराणसी में शौचालयों की जो हालत बताई है वह देश के कुछ अन्य भागों के शौचालयों की भी हो सकती है। भारतीय बच्चों के स्वास्थ्य के खराब होने का एक कारण खुले में शौच और इस प्रकार के खराब शौचालयों का इस्तेमाल भी है। इसी कारण उनका वजन और स्वास्थ्य सामान्य बच्चों से कम रह जाता है। जो भी पोषाहार ये बच्चे खाते हैं वह तो मल में पनप कर इनके पेट में पहुंच जाने वाले कीड़े खा जाते हैं। 
 
अत: इससे बचाव के लिए शौचालयों का सही ढंग से निर्माण व उनका सीवरेज से जुड़ा होना आवश्यक  है। इस परिप्रेक्ष्य में केन्द्र सरकार के लिए जरूरी है कि वह केवल संख्या पर ही ध्यान न दे, शौचालयों की गुणवत्ता और निर्माण की वैज्ञानिकता पर ध्यान देना भी जरूरी है।   
 

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