‘अधिकारियों का फरमान’ ‘सरकारी नौकरी में रिश्वत लेना नहीं हराम’

Edited By ,Updated: 26 Nov, 2016 01:55 AM

officials decree not to take bribe in government jobs haram

एक ओर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश से जाली करंसी, काला धन और भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए ‘नोटबंदी’ अभियान छेड़ा हुआ...

एक ओर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश से जाली करंसी, काला धन और भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए ‘नोटबंदी’ अभियान छेड़ा हुआ है और काला धन पकडऩे के लिए कार्रवाई कर रहे हैं तो दूसरी ओर देश के दुश्मन काले धन के कारोबारी और भ्रष्टाचारी सरकारी कर्मचारी व अधिकारी इसे नाकाम करने के लिए अपने पुराने तौर-तरीकों से बाज नहीं आ रहे और लोगों को यह भी बता रहे हैं कि रिश्वत लेना क्यों जरूरी है। 

पिछले दिनों जब उत्तर प्रदेश में लोक निर्माण विभाग के एक रिश्वतखोर इंजीनियर को, जो उस समय ‘संध्या’ कर रहा था, उसके किसी शुभचिंतक ने 500 और 1000 रुपए के नोट रद्द होने की सूचना देते हुए उसे समय रहते अपनी काली कमाई ठिकाने लगाने की सलाह दी तो उक्त इंजीनियर कुछ देर शांत रहने के बाद फिर पहले की तरह पूजा में लीन हो गया। 

बताया जाता है कि इस अधिकारी ने अपने घर में काम चलाऊ बैड बॉक्सनुमा सोफे में लोहे के ट्रंक में काली कमाई के लाखों रुपए रखे हुए थे और पूछने पर उसने एक संवाद समिति के प्रतिनिधि से कहा कि उसने इसका हल ढूंढ लिया है। हालांकि उसने यह नहीं बताया कि वह क्या है?

यह पूछने पर कि क्या वह अपने कृत्य पर शॄमदा नहीं है तो उसने उत्तर दिया, ‘‘शर्म कैसी? अपने खर्चे पूरे करने के लिए कमीशन के रूप में अतिरिक्त राशि लेना हमारी मजबूरी  है और सरकारी नौकरी में रिश्वत लेना हराम नहीं है।  अब सरकारी नौकरियों में रिश्वत लेना बुराई नहीं माना जाता।’’

इस अधिकारी का कहना है कि ‘‘हर पर्व-त्यौहार के मौके पर हमें अपने सीनियरों को ही नहीं बल्कि उनकी औलादों को भी मूल्यवान उपहार उदाहरणार्थ घडिय़ां, सूट और सोने के गहने आदि देकर खुश रखना पड़ता है। ऐसे में क्या आप हम से यह उम्मीद करते हैं कि हम उन्हें अपनी तनख्वाह में से रिश्वत देंगे? नहीं, कभी नहीं।’’ 

इसी के साथ ही इंजीनियर का यह भी कहना है कि ‘‘ऊपर बैठे मंत्री से लेकर फाइल ले जाने वाले संतरी तक कमीशन से सबको फायदा पहुंचता है और मैं जो रिश्वत लेता हूं वह दूसरों की तुलना में ली जाने वाली रिश्वत के आगे कुछ भी नहीं है।’’

वास्तव में रिश्वत आज एक दस्तूर बन चुकी है और बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी खुलेआम रिश्वत लेने में भी संकोच नहीं करते। कुछ समय पूर्व उत्तर प्रदेश के एक अफसरशाह ने कहा कि 70 लाख रुपए देने में विफल रहने पर उसने मैजिस्ट्रेट बनने के अपने प्रयास त्याग दिए परंतु उसने यह नहीं बताया कि उससे रिश्वत की मांग कौन कर रहा था। 

भारतीय सिविल सेवा में 30 वर्ष काम कर चुके अवकाश प्राप्त अफसरशाह एस.पी. सिंह के अनुसार, ‘‘मुश्किल यह है कि अपनी रिश्वतखोरी की योजनाओं को गुप्त रखने के लिए राजनीतिज्ञों और अफसरशाहों ने एक-दूसरे के साथ ‘सांझेदारी’ कायम कर रखी है।’’

यह किन्हीं एक या दो सरकारी कर्मचारियों की कहानी नहीं है। हमारे देश में न जाने ऐसे कितने ही रिश्वतखोर अधिकारी मौजूद हैं जो काली कमाई करने को ही अपना ईमान और अपना धर्म मानते हैं। 

ऐसी सोच अफसरशाही में घर कर चुके एक खतरनाक रुझान का संकेत है जिससे स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का रोग देश में इस कदर गहरी जड़ें जमा चुका है कि यदि भारत को ‘भ्रष्टाचार का महासागर’ कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

नकली करंसी तथा भ्रष्टाचार के काले धन से दूषित हो चुके इस महासागर को केवल कठोर उपायों से ही साफ और स्वच्छ किया जा सकता है परंतु इस क्रम में सरकार को यह भी यकीनी बनाना होगा कि ऐसा करते हुए आम लोगों के लिए उस तरह की कठिनाइयां और परेशानियां न पैदा हों जिस तरह की कठिनाइयों और परेशानियों से उन्हें काले धन के विरुद्ध अभियान के मौजूदा दौर में गुजरना पड़ रहा है।    
 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!