वायु सेना के पुराने विमानों को अब जल्दी से जल्दी बदलना चाहिए

Edited By ,Updated: 01 Oct, 2019 12:15 AM

old air force aircraft should now be replaced as soon as possible

एक ओर अत्याधुनिक ‘राफेल’ एवं अन्य विमानों से भारतीय वायुसेना को और मजबूत तथा अत्याधुनिक बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं तो दूसरी ओर भारतीय वायुसेना और सेना में शामिल चार दशक से भी अधिक पुराने लड़ाकू विमानों और हैलीकाप्टरों का इस्तेमाल हमारे वायु...

एक ओर अत्याधुनिक ‘राफेल’ एवं अन्य विमानों से भारतीय वायुसेना को और मजबूत तथा अत्याधुनिक बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं तो दूसरी ओर भारतीय वायुसेना और सेना में शामिल चार दशक से भी अधिक पुराने लड़ाकू विमानों और हैलीकाप्टरों का इस्तेमाल हमारे वायु सैनिकों के प्राण ले रहा है। 

इसी वर्ष विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने बारे एक याचिका की सुनवाई पर कटु टिप्पणी करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने कहा, ‘‘वायु सेना के मिराज विमान काफी पुराने हैं जो क्रैश होने ही हैं।’’ कुछ समय पूर्व वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोआ ने भी कहा, ‘‘हमारी वायुसेना जितने पुराने मिग विमानों को उड़ा रही है उतनी पुरानी तो कोई कार भी नहीं चलाता।’’ 1971 से 2012 तक 482 मिग विमानों की दुर्घटना में 171 लड़ाकू पायलटों, 39 आम नागरिकों, 8 सैन्य कर्मियों तथा विमान चालक दल के एक सदस्य की मौत हुई लेकिन केवल मिग ही नहीं बल्कि भारतीय वायु सेना और सेना के पुराने पड़ चुके अन्य विमान तथा हैलीकाप्टर भी दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं : 

28 जनवरी को वायुसेना का जैगुआर लड़ाकू विमान उत्तर प्रदेश के कुशी नगर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। 27 फरवरी को बडग़ाम के नसलापुर में वायुसेना का एक मिग विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से वायुसेना के 2 पायलटों की मृत्यु हो गई। 25 सितम्बर को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में वायुसेना का एक मिग-21 ट्रेनर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। और अब गत 27 सितम्बर को पूर्वी भूटान के योंगफुला में भारतीय थल सेना का सिंगल इंजन वाला चीता हैलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से उसमें सवार दोनों पायलटों लैफ्टिनैंट कर्नल रजनीश परमार और उनके को-पायलट भूटान सेना के ‘कालजांग वागदी’ की मृत्यु हो गई। 

इस बारे रजनीश परमार के चाचा वेद परमार ने सरकार से अनुरोध किया है कि :‘‘पुराने हैलीकाप्टर बड़ी संख्या में हमारे सैनिकों के प्राण ले रहे हैं लिहाजा इन्हें बदला जाए। यहां तक कि वाहन भी प्रत्येक 15 वर्ष के बाद बदल दिए जाते हैं। हमारे बच्चे तो कभी वापस नहीं आएंगे पर पुराने हैलीकाप्टरों को नए हैलीकाप्टरों से बदल कर अन्य अनेक सैनिकों के प्राण बचाए जा सकते हैं।’’ 

चीता हैलीकाप्टरों को भारतीय सेना में शामिल हुए 40 वर्ष से अधिक हो चुके हैं और अतीत में इन्हें बदलने के सारे प्रयास किसी न किसी कारणवश विफल होते रहे हैं। समय की मांग है कि भारतीय सेना एवं वायु सेना में प्रयुक्त हो रहे पुराने लड़ाकू विमानों और हैलीकाप्टरों आदि को जल्द से जल्द बदला जाए ताकि हमारी प्रतिरक्षा प्रभावित न हो और हमारे मूल्यवान सैनिकों को अकाल मृत्यु का शिकार भी न होना पड़े।—विजय कुमार

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