Edited By Pardeep,Updated: 10 Jul, 2018 02:48 AM
अपनी स्थापना के समय से ही पाकिस्तान का इतिहास खून से सना रहा है। वहां सत्ता में आने वाले शासक इसके संविधान को अपनी मर्जी से तोड़ते-मरोड़ते आ रहे हैं जिससे देश अस्थिरता का शिकार है। पाकिस्तान बनने के एक वर्ष के भीतर ही इसके निर्माता मोहम्मद अली...
अपनी स्थापना के समय से ही पाकिस्तान का इतिहास खून से सना रहा है। वहां सत्ता में आने वाले शासक इसके संविधान को अपनी मर्जी से तोड़ते-मरोड़ते आ रहे हैं जिससे देश अस्थिरता का शिकार है। पाकिस्तान बनने के एक वर्ष के भीतर ही इसके निर्माता मोहम्मद अली जिन्ना की मृत्यु के बाद वहां हिंसा और राजनीतिक हत्याओं का जो दौर शुरू हुआ वह अभी तक थमने में नहीं आया।
इसके पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की 16 अक्तूबर, 1951 को हत्या कर दी गई, सिकंदर मिर्जा को देश निकाला दिया गया, जुल्फिकार अली भुट्टïो को 4 अप्रैल, 1979 को फांसी दी गई, सेनाध्यक्ष से राष्ट्रपति बने जिया-उल-हक की 17 अगस्त, 1988 को एक विमान दुर्घटना में रहस्यमय रूप से मृत्यु हुई और बेनजीर भुट्टïो की 27 दिसम्बर, 2007 को हत्या कर दी गई। वहां पहली बार पूर्ण बहुमत से 1997 में चुनी गई ‘पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज)’ के नेता नवाज शरीफ की सरकार का तख्ता 1999 में परवेज मुशर्रफ ने पलट दिया जो स्वयं अब दुबई में निर्वासन झेल रहा है।
नवाज शरीफ तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने पर एक बार भी कार्यकाल पूरा न कर सके। अंतिम मामले में 28 जुलाई, 2017 को उन पर यू.ए.ई. स्थित अपने बेटे की कम्पनी से मिले वेतन की घोषणा नहीं करने का आरोप लगाकर उन्हें प्रधानमंत्री के अयोग्य ठहराया गया व उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा। और अब एक बार फिर पाकिस्तान में नैशनल असैम्बली व प्रांतीय विधानसभाओं की 849 सामान्य सीटों पर 25 जुलाई को चुनाव होने जा रहे हैं। इस बार इन चुनावों में विभिन्न धार्मिक दलों ने भी 460 से अधिक प्रत्याशी उतारे हैं जो एक रिकार्ड है और सभी धार्मिक संगठन मौलाना फजलुर्रहमान के नेतृत्व में ‘मुत्तहिदा मजलिस-ए-अमल’ (एम.एम.ए.) के झंडे तले इकट्ठे हो गए हैं।
भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराए गए और चुनाव लडऩे के अयोग्य घोषित पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को, जो इस समय लंदन में हैं, पाकिस्तान सुप्रीमकोर्ट ने 6 जुलाई को 10 साल व उनकी बेटी मरियम को 7 साल की सजा सुनाई है। चुनावों से 17 दिन पूर्व 8 जुलाई को पाकिस्तान सुप्रीमकोर्ट ने जाली बैंक खातों के मामले में नवीनतम रहस्योद्घाटन के बाद पूर्व राष्टï्रपति एवं ‘पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी’ (पी.पी.पी.) के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी व उनकी बहन फरयाल तालपुर की विदेश यात्रा पर रोक लगा दी है। जरदारी पर आरोप है कि उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिल कर एक महिला सहित 7 लोगों के नाम पर 29 बैंक खाते खोले जिनमें से 18-19 खाते तो ‘सम्मिट बैंक’ में ही हैं जिनमें अरबों रुपए जमा हैं।
इसी दिन पाक ‘राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो’ (नैब) ने अरबों रुपए के भ्रष्टïाचार के मामले में परवेज मुशर्रफ और उसकी पत्नी के नाम सम्मन जारी कर उन्हें 10 जुलाई को रावलपिंडी के दफ्तर में हाजिर होने का आदेश दिया है। ‘नैब’ के अनुसार मुशर्रफ दम्पति के किए हुए अपराधों की पहचान कर ली गई है इसलिए वे अपनी खरीदी हुई 10 सम्पत्तियों का स्पष्टीकरण दें। एक अन्य घटना में नवाज के दामाद मोहम्मद सफदर को शरीफ परिवार की सम्पत्तियों संबंधी मामले में ‘नैब’ ने गिरफ्तार कर लिया परंतु इसके जल्द ही बाद उन्हें पत्नी मरियम के साथ जमानत मिल गई लेकिन अगले दिन 9 जुलाई को सफदर को गिरफ्तार करके अदियाला जेल में भेज दिया गया।
जहां चुनाव मैदान में उतरी दोनों बड़ी पार्टियों ‘पी.पी.पी.’ और ‘पी.एम.एल. (एन)’ के नेताओं आसिफ अली जरदारी, नवाज शरीफ आदि को विभिन्न प्रतिकूल हालात का सामना करना पड़ रहा है वहीं पूर्व क्रिकेटर इमरान खान और उनकी ‘तहरीक-ए-इंसाफ’ पार्टी की हालत भी कोई अच्छी नहीं। जहां अपनी साख बचाने के लिए वह 4 जगह से चुनाव लड़ रहे हैं वहीं उनकी पूर्व पत्नी रेहाम खान द्वारा अपनी शीघ्र प्रकाशित होने वाली पुस्तक में उनके विरुद्ध समलैंगिकता आदि के लगाए गए विभिन्न आरोपों के चलते इमरान खान की छवि को भारी आघात लगा है। गत दिवस जब वह इस्लामाबाद में पार्टी की सभा में भाग लेने गए तो वहां लोगों ने नवाज शरीफ के पक्ष में नारे लगाने शुरू कर दिए।
उक्त तीन दलों और छोटे-मोटे दलों के अलावा ‘मुत्तहिद कौमी मूवमैंट’ नामक पार्टी भी मैदान में है जिसके नेता खालिद मकबूल सिद्दीकी भी अनेक आरोपों में घिरे हुए हैं। ऐसे माहौल में जब पाकिस्तान की राजनीति का बुरा हाल है, बदहाली के शिकार लोगों को इनसे क्या हासिल होगा, यह कहना मुश्किल है। लोगों के सामने बड़ी दुविधापूर्ण स्थिति है कि वे वोट डालें तो किसे क्योंकि वहां तो राजनीति के हम्माम में सभी नंगे हैं और भ्रष्टïाचार की दलदल में गले तक धंसे हैं।—विजय कुमार