एक बार फिर प्याज की कीमतें लोगों को रुलाने लगीं

Edited By ,Updated: 25 Sep, 2019 12:00 AM

once again onion prices started making people cry

एक समय था जब बढ़ रही प्याज की कीमतें 1981 में अच्छी-भली चल रही जनता सरकार के पतन का कारण बन गई थीं और 1977 में बुरी तरह हार कर सत्ताच्युत हुई इंदिरा गांधी को सत्ता में लौटने का अवसर मिल गया था। इसे लोगों ने ‘अनियन इलैक्शन’ का नाम दिया था। लेकिन...

एक समय था जब बढ़ रही प्याज की कीमतें 1981 में अच्छी-भली चल रही जनता सरकार के पतन का कारण बन गई थीं और 1977 में बुरी तरह हार कर सत्ताच्युत हुई इंदिरा गांधी को सत्ता में लौटने का अवसर मिल गया था। इसे लोगों ने ‘अनियन इलैक्शन’ का नाम दिया था। लेकिन इंदिरा को भी प्याज ने रुलाया। नवम्बर 1981 में जब प्याज की कीमत 6 रुपए किलो हो गई तो इसके विरुद्ध रोष व्यक्त करने के लिए लोकदल के रामेश्वर सिंह राज्यसभा में प्याजों की माला पहन कर चले आए और जब सभापति हिदायतुल्ला ने उनसे पूछा कि यह आपने क्या पहन रखा है तो उन्होंने प्याज की बढ़ती कीमतों की ओर उनका ध्यान दिलाया था। 

प्याज की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण ही 1998 में दिल्ली के चुनावों में भाजपा हार गई थी और जैसे ही दिल्ली सरकार हारी बाजार में प्याज के भाव गिर कर 10 रुपए किलो पर आ गए थे। आज देश में पुन: 1998 की कहानी दोहराई जा रही है। एक बार फिर प्याज की आकाश छूती कीमतों से लोगों के आंसू छलक पड़े हैं और यह दिल्ली एन.सी.आर. में 60 से 80 रुपए प्रति किलो तथा पंजाब एवं देश के अनेक भागों में 60-70 रुपए प्रति किलो के भाव बिक रहा है। व्यापारियों के अनुसार महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्रप्रदेश व कर्नाटक आदि प्याज उत्पादक राज्यों में वर्षा से प्याज की फसल खराब हो जाने से आर्पूति घटने और नई फसल आने में देर के कारण इसकी कीमतें बढ़ गई हैं। इस समय जितना प्याज मंडियों में आ रहा है मांग उससे डेढ़ गुना अधिक है।

प्याज की बढ़ती कीमतों को लेकर गृहिणियों में भारी रोष व्याप्त है और उनका कहना है कि क्या पहले महंगाई कम थी जो अब प्याज की कीमतों में भी भारी वृद्धि हो गई है। वैसे तो वर्षा के मौसम में प्याज की कमी होने से कीमतें बढ़ जाती हैं अत: जिस प्रकार दिल्ली सरकार ने मोबाइल वैन के जरिए 22 रुपए किलो के भाव प्याज की बिक्री शुरू की है उसकी तरह अन्य राज्य सरकारों को भी प्याज बिक्री की व्यवस्था करनी चाहिए। दो राज्यों महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों तथा अनेक राज्यों के लगभग 5 दर्जन उपचुनावों से ठीक पहले प्याज के दामों में आया उछाल भाजपा सरकार के लिए चिंता का विषय है।—विजय कुमार

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