Edited By ,Updated: 07 May, 2017 12:52 AM
जहां पाकिस्तान ने अपने जन्म के समय से ही भारत के विरुद्ध छद्म युद्ध छेड़ रखा .....
जहां पाकिस्तान ने अपने जन्म के समय से ही भारत के विरुद्ध छद्म युद्ध छेड़ रखा है, वहीं इसके पाले हुए आतंकवादी भी जम्मू-कश्मीर में हिंसक गतिविधियां जारी रखे हुए हैं। अब तो इन आतंकियों ने आर्थिक जरूरतें पूरी करने के लिए जम्मू-कश्मीर में बैंक लूटने का सिलसिला भी शुरू कर दिया है और वे नोटबंदी लागू होने के बाद 6 महीनों में दक्षिण कश्मीर में लगभग एक दर्जन बैंक लूट चुके हैं :
21 नवम्बर, 2016 को बडग़ाम के मालपुरा में 13 लाख रुपए लूटे। 08 दिसम्बर को पुलवामा में 13 लाख रुपए लूटे। 08 दिसम्बर को ही बडग़ाम के खाग में बैंक लूटने की कोशिश की। 15 दिसम्बर को रंतीपुरा स्थित बैंक से 9.84 लाख रुपए लूट लिए। 19 जनवरी, 2017 को मोमिनाबाद में 14.56 लाख रुपए लूटे। 16 फरवरी को तुर्कवंगम कस्बे में 2 लाख रुपयों की लूट की। 28 अप्रैल को अनंतनाग जिले में बैंक लूटने की कोशिश की। 01 मई को कुलगाम जिले के पोमबाई इलाके में जम्मू-कश्मीर बैंक की कैश वैन को रोक कर 5 पुलिस कर्मचारियों और 2 बैंक कर्मचाारियों की हत्या करके वैन में पड़े 50 लाख रुपए तथा 5 एस.एल.आर. राइफलें लूट लीं। 02 मई को कंडर कस्बे के देहाती बैंक से 65,000 रुपए लूटे।
03 मई को पुलवामा के ‘बहबुग’ गांव में इलाकाई देहाती बैंक से 5 लाख रुपए तथा जम्मू-कश्मीर बैंक से 1.33 लाख रुपए लूट कर ले गए। इस समय समूची कश्मीर घाटी अशांति की लपेट में है और वहां के बैंकों में सुरक्षा प्रबंध नगण्य हैं। प्रदेश के अधिकांश बैंकों में न तो सिक्योरिटी गार्ड तैनात हैं और न उनमें सी.सी.टी.वी. कैमरे ही लगे हुए हैं। इस बारे गुप्तचर एजैंसियों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा बड़े नोट रद्द करने से आतंकी गिरोहों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। इस कारण इन्होंने अब बैंक लूटने शुरू किए हैं और क्षेत्रीय देहाती बैंकों की शाखाएं सुदूर देहाती इलाकों में होने के कारण ये आसानी से निशाना बन रही हैं।
इन्हीं कारणों से पुलिस ने अब दक्षिण कश्मीर में स्थित बैंकोंं की इन शाखाओं को ‘हाईपर सैंसेटिव’ की श्रेणी में डाल दिया है और बैंकों को लूटने की घटनाओं को रोकने में असफल रहने के बाद कश्मीर के शोपियां और पुलवामा जिलों में कुछ समय के लिए बैंक ‘बंद’ रखने के आदेश जारी करने के साथ-साथ लूट में शामिल आतंकवादी संगठनों के सदस्यों के बारे में सूचना देने वालों को पुरस्कार देने की घोषणा भी की है।
पुलिस ने जम्मू-कश्मीर बैंक को अपनी 40 संवेदनशील शाखाओं में नकद लेन-देन बंद करके इसे सुरक्षित स्थानों पर करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही बैंक की मैनेजमैंट ने भी आदेश दिया है कि कैश रखने की सीमा जितनी भी हो, शाखा प्रबंधक काऊंटर पर न्यूनतम कैश रखें और कैश लेकर आने वाले वाहनों को कैश डिलीवर करने के लिए जरा भी प्रतीक्षा न करनी पड़े। बैंक स्टाफ को पुलिस के गहरे संपर्क में रहने और पूरी तरह सुरक्षा के उद्देश्यों से ही बैंक गार्ड भर्ती करने का निर्देश देते हुए कहा गया है कि उनसे कोई अन्य काम न लिया जाए।
घाटी में बैंकों की दयनीय स्थिति को देखते हुए ही हमने 3 मई के संपादकीय ‘जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा बैंकों पर लगातार हमले’ में लिखा था : ‘‘सरकार जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य होने तक बैंकों को सब प्रकार की सुरक्षा प्रदान करे। अन्यथा कहीं ऐसा न हो कि बैंक कश्मीर घाटी में अपनी शाखाएं ही बंद करने के लिए विवश हो जाएं। जब यहां सैनिक व अद्र्धसैनिक बलों के कैम्प और चौकियां ही आतंकवादियों से सुरक्षित नहीं हैं तो फिर सुरक्षा बलों के बगैर बैंक भला अपनी हिफाजत कैसे कर सकते हैं!’’
प्रदेश सरकार द्वारा दो जिलों में बैंकों की 40 शाखाओं को अस्थायी रूप से ‘बंद’ रखने के आदेश ने हमारी उक्त आशंका की पुष्टिï कर दी है। इसके साथ ही स्थानीय लोगों को भी महसूस करना चाहिए कि आतंकवादी तत्वों तथा पत्थरबाजों की मदद करके वे अपने ही भाइयों-बहनों के लिए परेशानी बढ़ा रहे हैं जोकि कुछ समय के लिए 40 बैंकों की शाखाएं ‘बंद’ रखने के सरकार के आदेश से स्पष्ट है।—विजय कुमार