Edited By ,Updated: 22 Aug, 2021 04:01 AM
पाकिस्तान आज लोकतंत्र का प्रतीक न रह कर आतंकवाद की नर्सरी बन गया है। इसने अफगानिस्तान के तालिबानी आतंकवादियों की सहायता के लिए अपने यहां से आतंकवादी भेज कर अफगानिस्तान की निर्वाचित सरकार को सत्ताच्युत करके देश पर तालिबानियों का कब्जा करवाने में
पाकिस्तान आज लोकतंत्र का प्रतीक न रह कर आतंकवाद की नर्सरी बन गया है। इसने अफगानिस्तान के तालिबानी आतंकवादियों की सहायता के लिए अपने यहां से आतंकवादी भेज कर अफगानिस्तान की निर्वाचित सरकार को सत्ताच्युत करके देश पर तालिबानियों का कब्जा करवाने में बड़ी भूमिका निभाई है। आरोप है कि तालिबान की मदद के लिए पाकिस्तान की गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. ने मदरसों से 20,000 से अधिक जेहादी अफगानिस्तान भेजे।
पाकिस्तान आज तालिबान का ‘एनर्जी बूस्टर’ बन गया है जिनके विरुद्ध अफगान जनता उठ खड़ी हुई है। अफगानिस्तान के लड़ाके तालिबान के विरुद्ध सड़कों पर उतर आए हैं और उन्होंने तीन जिले स्वतंत्र भी करवा लिए हैं।
इसे विडम्बना ही कहा जाएगा कि एक ओर तो पाकिस्तानी आतंकवादी अफगानिस्तान में तालिबानियों की मदद कर रहे हैं तो दूसरी ओर अपने ही देश में लोगों को गोलियों से भून रहे हैं :
* 8 अगस्त को क्वेटा में एक होटल के निकट पुलिस वैन को निशाना बना कर किए गए शक्तिशाली बम धमाके में 2 पुलिस कर्मचारी मारे गए।
* 12 अगस्त को खैबर पख्तूनख्वाह में चीनी इंजीनियरों को लेकर जा रही बस पर बम से किए गए हमले में 9 चीनी नागरिकों सहित 13 लोगों की मौत हो गई।
* 14 अगस्त को कराची में एक ट्रक पर हमले में 9 लोग मारे गए।
* 14 अगस्त को ही पाकिस्तान के अशांत दक्षिण-पश्चिमी ब्लूचिस्तान में आतंकवादियों ने 4 सैनिकों को मार डाला।
* 15 अगस्त को कराची के ‘बाल्डिया’ टाऊन में एक ट्रक पर बम से हमले से उसमें सवार 11 लोगों की मौत तथा अन्य कई घायल हो गए।
*19 अगस्त को बहावल नगर में शिया मुसलमानों के जलूस पर बम से हमले में 5 लोगों की मौत व 50 से अधिक घायल हो गए।
* 20 अगस्त को ग्वादर में एक सड़क के निर्माण से जुड़े चीन के इंजीनियरों को निशाना बनाकर किए गए फिदायीन हमले में 9 चीनी इंजीनियरों सहित 12 लोगों की जान चली गई।
ऐसे घटनाक्रम के बीच पाकिस्तान के शासकों को याद रखने की जरूरत है कि अपने आतंकवादियों के जरिए जो आग वे दूसरे देशों में लगा रहे हैं, उसी में वे स्वयं भी झुलस रहे हैं। पहले ही दीवालिया हो चुके पाकिस्तान में अफगानिस्तान से भारी संख्या में शरणार्थी वहां जाने के कारण उस पर आॢथक बोझ बढ़ रहा है जो उसकी अपनी ही करनी का फल है। लिहाजा आतंकवाद को शरण और बढ़ावा देने की बजाय यदि पाकिस्तान के शासक इसके उन्मूलन के प्रयास करने के साथ-साथ अपने देश में व्याप्त लाकानूनी, गरीबी, भूख, महंगाई और बेरोजगारी जैसी बेशुमार समस्याएं दूर करने पर जोर दें तो ज्यादा अच्छा होगा।—विजय कुमार