Edited By ,Updated: 12 Jun, 2019 12:40 AM
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते समय इमरान खान ने ‘नया पाकिस्तान’ बनाने और पांच वर्षों में देश की हालत में सुधार लाने आदि की जो बातें कही थीं पाकिस्तान में वैसा कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा। पाकिस्तान की जनता महंगाई की मार से ग्रस्त है तथा...
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते समय इमरान खान ने ‘नया पाकिस्तान’ बनाने और पांच वर्षों में देश की हालत में सुधार लाने आदि की जो बातें कही थीं पाकिस्तान में वैसा कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा। पाकिस्तान की जनता महंगाई की मार से ग्रस्त है तथा मार्च में वहां महंगाई 9.48 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर थी। इस साल पाकिस्तान की विकास दर 3.3 प्रतिशत रहने की संभावना है जबकि लक्ष्य 6.3 प्रतिशत का था।
पाकिस्तान में बेरोजगारी चरम शिखर पर है और उसकी अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। पाकिस्तानी रुपए की कीमत भारत के रुपए की तुलना में आधी रह गई है। भारी विदेशी कर्ज के बोझ तले दबी पाकिस्तान सरकार के पास देश का खर्च चलाने तक के लिए धन नहीं है और 10 वर्षों में पाकिस्तान का कर्ज 6,000 अरब रुपयों से बढ़ कर 30,000 अरब रुपयों तक पहुंच गया है। देश में टैक्स वसूली से होने वाली 4,000 अरब रुपए की आय में से 2000 अरब रुपए तो विदेशी कर्ज का ब्याज चुकाने में ही चले जाते हैं और शेष बचे 2000 अरब रुपयों से देश नहीं चलाया जा सकता।
इसीलिए इमरान खान ने 10 जून को अपने संदेश में जहां देश वासियों से ईमानदारी से टैक्स चुकाने की अपील की वहीं 30 जून तक सब को अपनी बेनामी सम्पत्ति घोषित करने का भी फरमान सुनाते हुए ऐसा न करने पर कड़ी कार्रवाई की धमकी भी दे दी है। यहीं नहीं पाकिस्तान की सेना ने देश के आर्थिक संकट को देखते हुए अपने बजट में स्वयं ही कटौती करने का फैसला कर लिया हैै। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का कहना है कि पाकिस्तान का खजाना खत्म होने के किनारे पहुंच चुका है और जानकार इस तरह की स्थिति के लिए इमरान खान की वर्तमान सरकार को ही जिम्मेदार मानते हैं।
इस स्थिति से उबरने का एक ही रास्ता है कि इमरान खान सरकार आतंकवाद को बढ़ावा देने पर करने वाला अनावश्यक खर्च बंद करके उस धन को रचनात्मक कार्यों में लगाए और आतंकवाद पर नकेल कस कर आतंकवादियों द्वारा की जा रही विनाशलीला पर रोक लगाए। —विजय कुमार