पाकिस्तान सरकार आतंकियों संग ‘चूहे-बिल्ली का खेल’ खेलती रही

Edited By ,Updated: 11 Jan, 2021 02:50 AM

pakistan government continues to play  cat and mouse  game with terrorists

एक महत्वपूर्ण बदलाव के चलते पाकिस्तान में एक आतंकवाद रोधी अदालत ने गुरुवार को जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को आतंकी वित्तपोषण के आरोपों में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। दूसरी ओर मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के आप्रेशन

एक महत्वपूर्ण बदलाव के चलते पाकिस्तान में एक आतंकवाद रोधी अदालत ने गुरुवार को जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को आतंकी वित्तपोषण के आरोपों में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। दूसरी ओर मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के आप्रेशन कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी को भी लाहौर में एक पाकिस्तानी आतंकवाद विरोधी अदालत (ए.टी.सी.) लाहौर के न्यायाधीश एजाज अहमद बुट्टर ने संयुक्त राष्ट्र के आतंकवादी लखवी को तीन मामलों में प्रत्येक में तीन साल की सजा के साथ पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। 

ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ हो। मई 2019 में संयुक्त राष्ट्र ने अजहर को एक वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था परन्तु जब तक चीन ने पाकिस्तान-आधारित जे.एम. प्रमुख को ब्लैक लिस्ट करने के प्रस्ताव पर अपनी पकड़ हटा नहीं ली, यह मुमकिन न हुआ। दिल्ली ने इस मुद्दे पर पहली बार विश्व निकाय का दरवाजा लगभग 10 साल पहले खटखटाया था। 

पाकिस्तान सरकार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादियों को पकडऩे का या फिर उन्हें छोडऩे का चूहे बिल्ली का यह खेल खेलती आई है। 2008 के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा (एल.ई.टी.) के आतंकवादी समूह के आप्रेशन कमांडर लखवी को आतंकी वित्तपोषण मामले में पाकिस्तानी आतंकवाद विरोधी अदालत ने 15 साल की सजा सुनाई थी। संयुक्त राष्ट्र के कथित आतंकवादी 61 वर्षीय लखवी मुंबई आतंकवादी हमले के मामले में 2015 से जमानत पर था। उसे एक सप्ताह पहले पाकिस्तानी पंजाब प्रांत के आतंकवाद रोधी विभाग (सी.टी.डी.) ने गिरफ्तार किया था। लखवी को दिसंबर 2008 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा लश्कर और अलकायदा से जुड़े होने के कारण यू.एन. द्वारा एक वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था। 

पुलवामा हमले के बाद भी भारी अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तान सरकार ने जैश-ए-मोहम्मद (जे.ए.एम.) प्रमुख के बेटे और भाई सहित प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के 100 से अधिक सदस्यों को गिरफ्तार किया था। जैश-ए-मोहम्मद ने पुलवामा आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें सी.आर.पी.एफ के 40 जवान मारे गए थे। 

पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने जैश मुख्यालय के प्रशासनिक नियंत्रण को अपने कब्जे में लेने का दावा किया जिसमें बहावलपुर में मद्रेसतुल साबिर और जामा मस्जिद सुभानल्लाह शामिल थे। परन्तु धीरे-धीरे इन सबको या तो छोड़ दिया गया या किसी न किसी बहाने लापता बताया गया। ऐसे में यह मानना गलत न होगा कि पाकिस्तानी सरकार ही इन्हें अपने साए तले संरक्षण देती है और जब चाहे औपचारिक तौर पर जेल में डाल देती है। 

ग़ौरतलब है कि पैरिस स्थित एफ.ए.टी.एफ . ने जून 2018 में पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में रखा था और इस्लामाबाद को 2019 के अंत तक मनी लॉड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए कार्ययोजना लागू करने को कहा था। कोविड-19 प्रकोप के बाद समय सीमा बढ़ा दी गई थी। जबकि नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि इन कार्रवाइयों का समय स्पष्ट रूप से ‘एशिया पैसिफिक ज्वाइंट ग्रुप’ (ए.पी.जे.जी.) से मिलने और अगले ‘फाइनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (एफ.ए.टी.एफ.) जोकि फरवरी 2021 में होना है, के आगे अनुपालन की भावना व्यक्त करने का इरादा बताता है। 

भारतीय प्रवक्ता ने आगे कहा कि लखवी को जेल की सजा सुनाए जाने और जैश-ए-मोहम्मद (जे.ई.एम.)  प्रमुख मसूद अजहर के खिलाफ  गिरफ्तारी वारंट जारी करना मात्र यह बतलाता है कि पाकिस्तान के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह महत्वपूर्ण बैठकों से पहले ठोस कार्रवाई करे। संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं और नामित आतंकवादियों ने अपने भारत-विरोधी एजैंडे को पूरा करने के लिए पाकिस्तानी संगठनों के साथ मिलकर ये कार्य किए हैं।

पाकिस्तान जोकि आर्थिक संकट की डगर पर है तो उसके लिए ब्लैक लिस्ट में चले जाने से उस पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। एक वैश्वीकरण माहौल में अन्य देशों की तरह पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ नहीं है तथा यह पूर्णत: अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों पर निर्भर है। यदि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया तो इससे उसके आयात, निर्यात तथा राजस्व पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय ऋण लेने की पहुंच भी सीमित हो जाएगी। ब्लैक लिस्ट होने से अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) तथा ए.डी.बी. जैसे संस्थान इमरान खान सरकार से निपटने में और सचेत हो जाएंगे और इसके अलावा जोखिम दर तय करने वाली एजैंसियां जैसे मूडीज एस.एन.पी. तथा फीच रेटिंग को डाऊन ग्रेड करने के लिए बाध्य होगी। 

इस्लामाबाद इस समय वित्त संकट की मझधार में है और यह वर्तमान संकट 1988 के परमाणु परीक्षणों के बाद से भी बुरा है। ब्लैक लिस्ट होने से पाकिस्तान की चीन की बैल्ट एंड रोड इनीशिएटिव की बिलियन डालर परियोजना भी तहस-नहस हो जाएगी। इसलिए पाकिस्तान चाहेगा कि सभी आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया जाए ताकि ब्लैक लिस्ट से वह बाहर रह सके। 

फाइनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफ.ए.टी.एफ.) अध्यक्ष मार्कस प्लेयर का कहना है कि पाकिस्तान ने अपनी कार्रवाई योजना में से 27 आइटमों से 21 को पा लिया है और सरकार ने संकेत दिया है कि वह बाकी आइटमों को भी पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे पहले एफ.ए.टी.एफ. का अध्यक्ष एक चीनी शियांगमिन ली था जो पाकिस्तान को किसी भी नकारात्मक कार्रवाई से बचाता रहा है जबकि वर्तमान अध्यक्ष मार्कस प्लेयर एक जर्मन नागरिक है जोकि आतंकवाद के कड़े विरोधी हैं।

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