‘निजी महत्वाकांक्षाओं के चलते’ ‘टूट रही पार्टियां और भिड़ रहे परिवार’

Edited By ,Updated: 08 Apr, 2021 04:07 AM

parties breaking up due to personal ambitions and families clashing

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक भारत का लोकतंत्र जितना मजबूत है इस देश पर शासन करने वाली राजनीतिक पार्टियां उतनी ही ‘कमजोर’ सिद्ध होने के कारण अक्सर टूटन का शिकार होती रही हैं। 136 साल पुरानी ‘ग्रैंड ओल्ड पार्टी’ कांग्रेस स्वतंत्रता

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक भारत का लोकतंत्र जितना मजबूत है इस देश पर शासन करने वाली राजनीतिक पार्टियां उतनी ही ‘कमजोर’ सिद्ध होने के कारण अक्सर टूटन का शिकार होती रही हैं। 136 साल पुरानी ‘ग्रैंड ओल्ड पार्टी’ कांग्रेस स्वतंत्रता से पहले भी दो बार टूटी और स्वतंत्रता के बाद भी कई बार टूट चुकी है। 

शुरू में इसका चुनाव चिन्ह ‘दो बैलों की जोड़ी’ था। जब इंदिरा गांधी ने अलग पार्टी ‘कांग्रेस रिक्वीजीशन’ बनाई तब उन्होंने असली कांग्रेस के चिन्ह ‘बैलों की जोड़ी’ से मेल खाता चुनाव चिन्ह ‘गाय और बछड़ा’ प्राप्त किया था। इसकी तुलना लोग इंदिरा गांधी व उनके पुत्र संजय गांधी से करते थे। 1977 में हार के बाद इंदिरा ने नई पार्टी कांग्रेस (आई) बनाकर उसका नाम ‘इंडियन नैशनल कांग्रेस’ रखवा लिया और चुनाव चिन्ह ‘पंजा’ चुना। कांग्रेस के बाद दूसरी सबसे पुरानी ‘भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी’ पहली बार 7 नवम्बर, 1964 को दोफाड़ हुई और ‘माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी’ अस्तित्व में आई जिसके बाद यह ‘भाकपा माले’ आदि अनेक धड़ों में बंट चुकी है। 

23 जनवरी, 1977 को इंदिरा गांधी का मुकाबला करने के लिए 7 दलों के मेल से ‘जनता पार्टी’ बनी। इसने चुनावों में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की परंतु आपसी फूट के कारण जल्दी ही यह भी टूट गई। 1988 में बना ‘जनता दल’ भी जल्दी ही टूट गया जिसका गठन जनता पार्टी के धड़ों राष्ट्रीय लोकदल, इंडियन नैशनल कांग्रेस (जगजीवन), जन मोर्चा व जद (स) के मेल से हुआ था। इसको तोडऩे की शुरुआत 1992 में चंद्रशेखर ने की तथा ‘समाजवादी जनता पार्टी’ से टूट कर मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में ‘समाजवादी पार्टी’ (सपा) बनी। 

1994 में नीतीश कुमार व अन्य नेताओं ने लालू यादव से अलग होकर ‘समता पार्टी’ बनाई और फिर 5 जुलाई,1997 को लालू यादव ने ‘राष्ट्रीय जनता दल’ (राजद)  बनाया। इसके साथ ही जनता दल यूनाइटिड अर्थात जद (यू) (शरद यादव) बनी। 17 सितम्बर, 1949 को सी.एन. अन्नादुराई ने तमिलनाडु में ‘द्रविड़ मुनेत्र कझगम’ (द्रमुक) की स्थापना की थी जो 17 अक्तूबर, 1972 को दोफाड़ हो गई और एम.जी. रामचंद्रन ने ‘अ.भा. अन्नाद्रमुक’ बना ली। 7 फरवरी, 2017 को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम द्वारा मुख्यमंत्री पद की दावेदार रही शशिकला को अन्नाद्रमुक से निकालने के बाद शशिकला के भतीजे दिनाकरण ने उसके विरुद्ध नई पार्टी ‘अम्मा मक्कल मुनेत्र कझगम’ बना ली। 

राजनीतिक परिवार भी इस उठापटक से अछूते नहीं रहे। यादव परिवार में 2017 में पुत्र अखिलेश तथा पिता मुलायम सिंह अलग-अलग खेमों में बंटते दिखाई दिए तथा मुलायम के भाई शिवपाल ने मुलायम के नेतृत्व में नई पार्टी ‘समाजवादी सैकुलर मोर्चा’ बनाने की घोषणा कर दी।

पूर्व वित्त मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराने के लिए तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं जबकि उनके पुत्र जयंत सिन्हा भाजपा में हैं और केंद्र सरकार में राज्यमंत्री हैं। गांधी परिवार में सोनिया गांधी की देवरानी मेनका गांधी और भतीजा वरुण गांधी कांग्रेस की विरोधी पार्टी भाजपा में महत्वपूर्ण पदों पर हैं। त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल ‘तथागत राय’ भाजपा में हैं जबकि उनके छोटे भाई सौगत राय भाजपा की विरोधी तृणमूल कांग्रेस के सांसद हैं और दोनों एक-दूसरे की पार्टी की आलोचना करने से कभी नहीं चूकते। 

बंगाल का एक अन्य राजनीतिक परिवार तृणमूल सांसद और फिल्म अभिनेत्री ‘नुसरत जहां’ का भी है। भाजपा नेता और फिल्म अभिनेता यश दासगुप्ता के साथ नुसरत की नजदीकियां चर्चा का विषय बनी हुई हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवी लाल (इनैलो) के पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के दोनों पुत्र अजय तथा अभय अलग-अलग खेमों में हैं। अजय के दोनों पुत्र दुष्यंत और दिग्विजय अपनी अलग ‘जननायक जनता पार्टी’ (जजपा) बनाकर भाजपा सरकार में भागीदार हैं जिनके चाचा अभय से राजनीतिक मतभेद हैं। हाल ही में अभय ने दुष्यंत को चुनौती देते हुए कहा कि ‘‘वह पानीपत और हिसार में प्रोग्राम करते हैं अगर दम है तो अपने निर्वाचन क्षेत्र उचाना में करके दिखाएं।’’ 

वास्तव में राजनीतिक पार्टियों में टूटन और परिवारों में इसी को लेकर उठा-पटक का यह सिलसिला निजी महत्वाकांक्षाओं का ही परिणाम है जिस पर रोक लगना कठिन ही दिखाई देता है क्योंकि आज देश के हितों के मुकाबले में निजी स्वार्थ सर्वोपरि हो गए हैं।—विजय कुमार 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!