पठानकोट हमले के जांच अधिकारी की हत्या ‘भीतरघात का परिणाम’

Edited By ,Updated: 05 Apr, 2016 01:14 AM

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1 जनवरी 2016 की रात को भारतीय सेना की वर्दी पहने 5 सशस्त्र संदिग्ध आतंकवादियों ने पठानकोट में सुपरिंटैंडैंट आफ पुलिस सलविंद्र सिंह व उनके दो साथियों का कार सहित अपहरण कर लिया।

1 जनवरी 2016 की रात को भारतीय सेना की वर्दी पहने 5 सशस्त्र संदिग्ध आतंकवादियों ने पठानकोट में सुपरिंटैंडैंट आफ पुलिस सलविंद्र सिंह व उनके दो साथियों का कार सहित अपहरण कर लिया। इसी दिन नरोट जैमल सिंह के गांव भनवाल के एक टैक्सी मालिक इकागर सिंह की हत्या भी की गई थी।

 
इसके अगले ही दिन 2 जनवरी को तड़के 3.20 बजे भारतीय सैनिकों की वर्दी पहने पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर हमला कर दिया।
 
आतंकियों को निष्क्रिय करने की कार्रवाई में 5 आतंकवादी मारे गए परंतु हमें भी अपने 3 जवान गंवाने पड़े तथा 6 अन्य घायल हो गए। ये आतंकवादी 30 दिसम्बर, 2015 की रात 7 से 8 बजे के बीच पाकिस्तान सीमा से बमियाल सैक्टर के रास्ते भारत में दाखिल हुए थे। 
 
बताया जाता है कि 4 आतंकवादियों के पठानकोट पहुंचने से 20 घंटे पहले ही 2 आतंकवादी पठानकोट आ चुके थे। संभवत: एयरबेस के किसी सुरक्षित कोने में पहुंच कर इन दोनों ने भीतर की गतिविधियों पर नजर रखी और बाद में अपने अन्य साथियों के साथ हमला कर दिया।
 
ऐसा देश में पहली बार हुआ जब आतंकवादियों ने एयरबेस के अंदर घुस कर हमला किया है। इससे पहले भी अवंतिपुरा और श्रीनगर एयरफोर्स स्टेशनों पर हमले हुए थे लेकिन कभी भी आतंकी अंदर नहीं घुस पाए थे।
 
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 30 मार्च को कहा था कि पाकिस्तान ने पहली बार पठानकोट हमले की जड़ें अपने देश में होने की बात स्वीकार की है और पाकिस्तान से इन हमलों की जांच करने के लिए पठानकोट आई पाकिस्तान की ज्वायंट इन्वैस्टीगेशन टीम (जे.आई.टी.) के सदस्यों ने औपचारिक रूप से 31 मार्च को स्वीकार किया था कि पठानकोट आतंकी हमला उसकी जमीन से संचालित हुआ और उसे अंजाम देने वाले आतंकवादी उसके ही नागरिक थे।
 
परंतु 2 अप्रैल को पाकिस्तान लौटते ही जे.आई.टी. ने पासा पलटते हुए बयान दे दिया कि  पठानकोट हमले के मामले में भारतीय अधिकारी पाकिस्तानी आतंकवादियों के संलिप्त होने के बारे में कोई ठोस प्रमाण देने में असफल रहे हैं। 
 
हैरानी की बात है कि पाकिस्तान की जांच टीम के वापस लौटते ही इस हमले की जांच कर रही भारत की नैशनल इन्वैस्टीगेशन एजैंसी (एन.आई.ए.) के दल में शामिल वरिष्ठï अधिकारी 45 वर्षीय तंजील अहमद की बिजनौर जिले में स्योहारा के निकट 2 मोटरसाइकिल सवार नकाबपोश हमलावरों द्वारा हत्या कर दी गई। 
 
गुप्त जानकारियां प्राप्त करने में माहिर स्व. तंजील अहमद  बी.एस.एफ. से  एन.आई.ए. में डैपुटेशन पर भेजे गए थे। उर्दू का गहन ज्ञान होने के कारण वह पठानकोट हमले की जांच के लिए पाकिस्तानी जांच दल से बात करने वाली एन.आई.ए. की टीम में बतौर संपर्क अधिकारी शामिल थे। वह प्रतिबंधित संगठन इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ी अनेक महत्वपूर्ण घटनाओं की जांच से भी जुड़े हुए थे। 
 
एन.आई.ए. के महानिरीक्षक संजीव कुमार ने इस हमले को एक सुनियोजित हमला करार दिया है। चर्चा है कि इसके लिए अपराधियों ने रेकी भी की थी। उत्तर प्रदेश ए.टी.एस. के आई.जी. असीम अरुण ने भी इस घटना के पीछे आतंकियों का हाथ होने की आशंका व्यक्त की है क्योंकि आम अपराधी 9 एम.एम. पिस्तौल इस्तेमाल नहीं करते।
 
जिस प्रकार पठानकोट कांड को अंजाम देने वाले आतंकवादियों ने पठानकोट एयरबेस के भीतर प्रवेश करके 2 जनवरी की घटना को अंजाम दिया और अब अपराधी तत्वों ने इस जांच से जुड़े एक वरिष्ठï अधिकारी की हत्या की है, उससे कहीं न कहीं इस घटना के पीछे उन लोगों का हाथ जरूर होने की आशंका उत्पन्न होती है जिन्होंने पठानकोट एयरबेस पर हमला करने वालों की कथित रूप से सहायता की होगी।
 
कुल मिलाकर इस घटना ने एक बार फिर यह याद दिलाने की कोशिश की है कि हमारे ही घर में मौजूद कुछ काली भेड़ें शत्रु को महत्वपूर्ण गुप्त सूचनाएं देकर देश की सुरक्षा को खतरे में डालने में भागीदार बन रही हैं जिन्हें ढूंढ कर ठिकाने लगाना जरूरी है।  

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